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बनठन के रहने में बुराई क्या

By: Team Aapkisaheli | Posted: 21 Sep, 2012

बनठन के रहने में बुराई क्या
महिलाओं के लिए सजनासंवरना तो उनके जीवन की एक ऎसी सचाई है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। सुन्दरता और औरत एक दूसरे का पर्याय हैं। इसलिए अगर वे सजनेसंवरने में अपनी जिन्दगी का लगभग आधा हिस्सा गुजार भी देती हैं, तो इस में गलत क्या हैक् इस बात पर किसी को नागवार क्यों होक् आखिर सजनेसंवरने में बुराई ही क्या हैक् यह तो फै क्ट है कि महिलाओं में खूबसूरत और स्टाइलिश दिखने की चाह होती है और अपने सौन्दर्य को निखारने के लिए वे अनगिनत तरीकौं का यूज करती हैं। सजनेसंवरने और बनठन कर रहने के लिए चाहे उन्हें कितना ही पैसा क्यों ना खर्च करना पडे, वे हिचकती नहीं हैं। यही वजह है कि उनकी खरीदारी में या तो कपडे, फुटवियर या ज्वैलरी शामिल होती हैया फिर सौन्दर्य प्रसाधन। महिलाएं बिना मेकअप के जिन्दगी जीने के बारे में सोच भी नहीं सकतीं। शायद यही कारण है कि सब्जी के लिए मोलभाव करने में अपनी सारी एनर्जी खर्च कर देने वाली भारतीय महिलाओं को महंगे से महंगे सौन्दर्य प्रसाधन खरीदने में पल भर भी नहीं लगता।
बेसिक राइट
आज के समय में जब पुरूषों को सुन्दर दिखने के लिए बोटोक्स ट्रीटमैन्ट और पार्लर जाने मे कोई हिचकिचाहट नहीं होती तो महिलाओं के तो पीछे रहने का सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि सुन्दर दिखना और सजनासंवरना उनका का मौलिक अधिकार है। उन के इस मौलिक अधिकार को उन से छीनने का हक किसी को नहीं है। यह कोई आज की बात तो है नहीं कि महिलाएं सजनेसंवरने के लिए नए-नए तरीके, ट्रीटमैन्ट व सौन्दर्य उत्पाद ढूंढती हैं या घरेलू उपायों को आजमती हैं। यह तो युगों से चली आ रही परंपरा है। पुराने समय में रानीमहारानियों से ले कर दासियों और आम वर्ग की महिलाएं भी अपने सामथ्र्य के अनुसार सजा करती थीं। तब आज की तरह ब्यूटी प्रोडक्ट्स नहीं होते थे, इसलिए वे होंठों को रंगने के लिए गुलाब की पंखुडियों का प्रयोग करती थीं, तो गुलाबजल, दूध या इत्र पानी में डाल कर नहाती थीं। कुदरत ने महिलाएं को ऎसा शरीर, रंगरूप नैननक्श दिए हैं, जिन्हें जरा सा तराशने से उनकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं तो वे उन्हें क्यों ना संवारेक् सुन्दर दिखना उनका मौलिक अधिकार है और वे इस बात को जानते हुए ही पूरे मनोयोग से इस का प्रयोग करती हैं।
बढाता है कॉन्फिडेंस
जो महिलाएं बहुत ढंग से एकदम सलीके से रहती हैं या इस बात को जानती हैं कि वे खूबसूरत हैं, उनके अंदर गजब का आत्मविश्वास भी देखने को मिलता है। यह एहसास कि वे लोगों के आकषर्ण का केंद्रबिंदु हैं या हर निगाह उन्हें देखने को आतुर है, उन में गर्व के साथ-साथ आत्मविश्वास भी भर देता है। यह आत्मविश्वास उनकी चाल से लेकर उनके हावभाव और काम करने के तरीके में भी दिखाई देता है। जब सौन्दर्य में किसी को भी बांधने की ताकत है, खासकर अपने साथी को, तो इसे कायम रखने में स्त्री पीछे क्यों रहेक् कौन सा ऎसा पति है, जो नहीं चाहता कि उाकी पत्नी बनठन कर रहे और सबसे सुन्दर लगक् यदि ऎसाना हो होता तो सुन्दर पत्नी को किसी से मिवाते समय पति के चेहरे पर दर्प ना झलकता। आखिर खूबसूरत पत्नी साथ हो तो समाज में उसका भी तो रूतबा बढता है और चाहे पत्नी की वजह से ही क्यों ना हो, दूसरे पुरूष उससे बात करने के लिए आगे तो आते हैं।

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