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शहद-महिलाओं का लाजवाब साथी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 23 Apr, 2012

शहद-महिलाओं का लाजवाब साथी
शहद के गुणकारी तत्व सभी के लिए लाभकारी सिद्ध होते हैं। इससे मिलने वाली ऊर्जा और ताकत हमें चुस्त-दुरूस्त बनाए रखती है। वर्तमान समय के अनुसार हमें सदैव एक्टिव रहने की जरूरत भी होती है। परंतु एक समय के बाद हमारे शरीर में बदलाव होने लगते हैं और शिथिलता आने लगती है जिससे थकान और सुस्ती हमें घेर लेती है। तब जरूरत होती है ऎसे आहार की जो शरीर में ऊर्जा का संचार कर दे। शहद इस कार्य के लिए सर्वथा उपयुक्त है। शहद में उपस्थित मिनरल और विटामिन हमें ऊर्जा प्रदान कर ज्यादा समय तक गतिशील रखते हैं। शहद को अलग से खाने के अलावा चीनी की जगह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें उपस्थित प्राकृतिक मिठास धीरे-धीरे शरीर को ऊर्जा देती है, जिससे लंबे समय तक ताजगी बनी रहती है। इतना ही नहीं शहद में चीनी से अधिक मिठास होती है और मीठा करने के लिए कम मात्रा में रस की जरूरत होती है। शहद औषधि के तौर पर भी कई बीमारियो में उपयोगी माना जाता रहा है। औषधि होते हुए भी यह खाने में स्वादिष्ट है। इस कारण शहद बच्चों का भी मनपसंद है। बच्चे दिनभर खेलते-कूदते रहते हैं, उनके शरीर को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऎसे में उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पडती है। परंतु समस्या यह है कि बच्चों के लिए भोजन पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट होना भी जरूरी है। ऎसे में शहद सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प साबित होता है। शहद पेरेंट्स और बच्चे दोनों की ही ख्वाहिशें पूरी करता है। स्वास्थ्य की देखभाल की बात करें तो महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का खास खयाल रखने की सलाह दी जाती है। रहन-सहन या खान-पान के चलते महिलाएं कई बार समय से पहले ही अपना जवांपन खो देती हैं। चेहरे पर चमक चली जाती है, त्वचा बेजान हो जाती है, वजन बढने लगता है और थकावट महसूस होती है। ऎसे में वो अपनी उम्र से हीं ज्यादा बडी दिखने लगती हैं। इसका असर केवल शारीरिक तौर पर ही नहीं मानसिक तौर पर भी पडता है। उनके आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति में कमी आने लगती है। इसलिए जरूरी हो जाता है कि शरीर की अंदरूनी और बाहरी दोनों खूबसूरती बनाए रखी जाए। इसमें सबसे बेहतरीन साथी साबित होता है शहद। इसके पोषक तत्व शारीरिक तौर पर हमें मजबूत बनाते हैं। कई बीमारियों से हमें बचाते है और वजन को बढने से भी रोकता है। इससे चेहरे पर चमक आती है और सदाबहार खूबसूरती भी बनी रहती है। इस तरह सर्वगुण सम्पन्न शहद महिला-पुरूष, बूढे-जवान सभी के लिए लाभदायक होता है। शहद की खासियत है कि यह सामान्य जीवनचर्या में भी फिट बैठता है। आज की तेज दिनचर्या में हम पर्याप्त भोजन नहीं कर पाते हैं परन्तु शहद के लिए कोई समय निकालने की जरूरत नही होती। शहद को नींबू पानी, दूध, चाय या अन्य पेय के साथ मिलाकर पिया जा सकता है। साथ ही इसे कॉर्नफ्लेक्स, टोस्ट आदि के साथ भी लिया जा सकता है। विचारों की शुद्धि करता है शहद शहद के सेवन से व्यक्ति के मन में पवित्र विचार पनपते हैं और ऎसा माना जाता है कि जब व्यक्ति के शरीर में कोई रोग नहीं होता तो वह स्वस्थ और प्रसन्न दिखाई देता है। फिर वह चुस्त दिखाई देता है और कठिन परिश्रम करने से घबराता भी नही है। परिश्रम से उसका भाग्य दो कदम आगे निकलता है और उसे सुख प्राप्त होता है। बस सफलता का छोटा सा रहस्य यही है। अत: शहद का सबसे बडा लाभ यही है कि यह व्यक्ति के आचरण को सही रखता है। व्यक्ति विवेकहीन होकर कोई कार्य नहीं करता है। उसका ह्वदय सही कायोंü को करने की आज्ञा प्रदान करता है और मस्तिष्क उस कार्य को सम्पन्न करने के लिए दो कदम आगे रहता है। शुद्ध शहद की पहचान शुद्ध शहद की क्या पहचान है इसे विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से बताया है। अत: उन्हीं के बनाए हुए संकेतों के आधार पर शहद की पहचान निम्न बिन्दुओं से की जा सकती है। क वैसे तो शहद का रंग कुछ मटमैला और लाल होता है। लेकिन यह भूरा, हरा या कुछ सफेद भी होता है। इसमें छोटे-छोटे दाने भी मिलते हैं। क शहद में फलों की सुगंध आती है। यदि मधुमक्खी उसे गुलाब के फूल से लाई हैं तो गुलाब की खुशबू आएगी। परंतु यदि वे नीम के फलों से लाई हैं तो विषैली गंध आती है। वैसे सबसे अच्छा शहद नीम की डालों पर छत्ता बनाने वाली मधुमक्खियों का होता है। क शहद दवा से अधिक लाभकारी होता है लेकिन कभी-कभी इसमें विषैले अंश रह जाते हैं। ऎसे शहद को खाकर हमे हानि भी हो सकती है। इसलिए छत्ता तुडवाने के बाद तुरंत शहद को चखना नहीं चाहिए। बल्कि उसकी जांच करवानी चाहिए। क पहाडी मधुमक्खियों द्वारा इकठ्ठा किया जाने वाला शहद अधिक उपयोगी होता है। यह शहद विष का हरण करने वाला और ह्वदय को शक्ति बढाने वाला होता है। क शहद जितना पुराना होता है उतना ही गुणकारी होता है। पुराने शहद का रंग कुछ श्यामवर्ण हो जाता है। इसमें आयरन अधिक माना जाता है। क आजकल कम्पनियां शक्कर, गुड, शीरे आदि से शहद बना,एगमार्क लगाकर शुद्ध शहद के रूप में बेचती हैं। इसलिए बीस रूपए किलो और बारह रूपए किलो वाले गुड से तैयार शहद को 150 से 200 रूपए किलो में बेचा जाता है। क असली शहद भारी होता है। वह पानी में डालने से नीचे तल में बैठ जाता है परन्तु घुलता नहीं है। क असली शहद पर मक्खियां बैठकर तुरंत उड जाती है क्योंकि शुद्ध शहद के तत्व पर मक्खी के पंजे चिपकते नही हैं। क शुद्ध शहद को रूई की बत्ती पर लगाकर जलाकर देखा जाता है। यह सरसों के तेल की तरह जलने लगता है। लेकिन नकली शहद की बत्ती जलाते समय शक्कर की गंध छोडने लगती है। क शुद्ध शहद को आंखों में लगाने से पलकें चिपकती नहीं है तथा गंदा पानी बाहर निकल जाता है। शहद का प्रयोग क शहद को कभी गरम करके इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे ये विषैला हो जाता है और इसके तत्व जल जाते हैं। क चूर्ण, काढा, चटनी के साथ शहद को खाया जा सकता है। क शहद को घी, नींबू, मक्खन, चर्बी और अर्क के साथ बराबर मिलाकर नही लिया जा सकता है। क अकेले शहद को जहां तक हो सके सेवन नहीं करना चाहिए। दूध या पानी में मिलाकर खाना चाहिए। क किसी भी तरह के ज्वर, जुकाम या अन्य किसी रोग में शहद का इस्तेमाल चाटने वाली या पीने वाली दवा में मिलाकर करें। क गुड, खांड या खजूर आदि के साथ शहद का उपयोग न करें। इससे मूल शहद में विषैले तत्व बढ जाते हैं। क ठंड के मौसम में शहद दूध के साथ लेने पर बहुत लाभ होता है। बारिश के मौसम में अदरक के साथ, इलायची के चूर्ण, आदि के साथ ले सकते हैं। शहद में पाए जाने वाले तत्व क शहद में सबसे ज्यादा शर्करा का अंश होता है परंतु शहद की शर्करा गन्ना, चुकंदर, अंगूर, फलों, खजूर आदि की शर्करा से अधिक लाभकारी तथा तीव्र होती है। इसलिए इस शर्करा को गुणकारी माना गया है। क इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौहतत्व, गंधक और पोटेशियम जैसे खनिज तत्व 10.5 प्रतिशत पाए जाते हैं। क शहद में विटामिन, प्रोटीन, चिकनाई आदि के तत्व भी मिलते हैं।

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