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वास्तु शास्त्र: गलत दिशा में लगा दर्पण बन सकता है बर्बादी का कारण

By: Team Aapkisaheli | Posted: 15 Jan, 2020

वास्तु शास्त्र: गलत दिशा में लगा दर्पण बन सकता है बर्बादी 
का कारण
यह बात हम सभी जानते है कि शादी में जाना हो, घर से बाहर जाना हो या फिर ऑफिस जाना हो तो दर्पण की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। बिना दर्पण के गृहस्थी वाले व्यक्ति की जिंदगी अधूरी होती है। दर्पण हमें खुद से रूबरू ही नहीं करवाता बल्कि हमारी तकदीर के दरवाजे भी खोलता है।

वास्तु शास्त्र के हिसाब से भी दर्पण की घर में काफी अहमियत होती है। आपके घर में किस दिशा में, किस आकार और आकृति का दर्पण लगा है, इसका भवन और इसके आस-पास की उर्जा पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसलिए वास्तुशास्त्र में इसके सही इस्तेमाल पर काफी जोर दिया जाता है, क्योंकि दर्पण का इस्तेमाल किसी भी प्रकार की अशुभ उर्जा का मार्ग बदलने के लिए किया जाता है।

वास्तु शास्त्री मानते हैं कि सुख-समृद्धि के लिए सही दिशा में, उपयुक्त आकार के दर्पण का होना बहुत जरूरी है। न सिर्फ भारतीय वास्तु शास्त्र में, बल्कि चाइनीज वास्तु यानी फेंगशुई में भी दर्पण को लाभकारी माना गया है। लेकिन इसके लाभ के लिए इसका सही इस्तेमाल बहुत जरूरी है, क्योंकि गलत इस्तेमाल से नुकसान होते भी देर नहीं लगती।

(1) वास्तु शास्त्र के अनुसार, सकारात्‍मक ऊर्जा की तरह दर्पण नकारात्‍मक ऊर्जा में भी वृद्धि करता है। गलत दिशा में लगा दर्पण बर्बादी का कारण बन सकता है।

(2) काम में मन न लगना या जरूरत के वक्त पैसा न मिलना जैसी अडचन भी दर्पण के गलत दिशा में लगे होने की वजह से उत्‍पन्‍न हो सकती हैं।

(3) घर से बाहर या काम पर जाने का मन नहीं करना भी दर्पण की गलत स्थिति के कारण होता है। प्रवेश द्वार के ठीक सामने लगा दर्पण घर की सारी सकरात्‍मक ऊर्जा को नि‍ष्‍काशित कर देता है।

(4) कभी-कभी दर्पण सही दिशा में लगा होने के बावजूद गलत प्रभाव डालता है। इसकी वजह है उसके आस-पास रखा गया कोई ऐसा सामान जो दर्पण की सकारात्‍मक ऊर्जा को घटा देता है।

(5) दर्पण लोग वास्‍तु के अनुसार नहीं, अपनी सुविधा के अनुसार लगाते हैं। दुखद तथ्‍य यह है कि ज्‍यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि अनजाने में जो परेशानियां वे झेल रहे हैं, उनकी वजह गलत दिशा में रखा गया दर्पण है।

(6) दर्पण की सही दिशा के लिए कई लोग पढी-पढायी बातों पर ध्यान देते हैं। ऐसा करने से बचना चाहिए। क्‍योंकि दर्पण के दिशा निर्धारण में एक योग्‍य वास्‍तु शास्‍त्री कई बातों को ध्‍यान में रखता है, जैसे- भवन की दिशा, कमरे की दिशा, दरवाजे की स्थिति, मुखिया की जन्‍म तिथि आदि।

(7) कई बार आपका बैठने का स्‍थान बीम के नीचे होता है या फिर पिलर दीवार से बाहर निकालकर नकारात्‍मक ऊर्जा का स्रोत बना होता है। ऐसे मामलों में दर्पण दोष निवारण में मदद करते हैं।

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