परफेक्ट दिखने में बुराई नहीं 
   By: Team Aapkisaheli | Posted: 13 May, 2014
    

 
        
        आज के समय में जब पुरूषों को सुन्दर दिखने के लिए बोटोक्स ट्रीटमैन्ट और पार्लर जाने मेे कोई हिचकिचाहट नहीं होती तो महिलाओं के तो पीछे रहने का सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि सुन्दर दिखना और सजनासंवरना उनका का मौलिक अधिकार है। उन के इस मौलिक अधिकार को उन से छीनने का हक किसी को नहीं है। यह कोई आज की बात तो है नहीं कि महिलाएं सजनेसंवरने के लिए नए-नए तरीके, ट्रीटमैन्ट व सौन्दर्य उत्पाद ढूंढती हैं या घरेलू उपायों को आजमती हैं। यह तो युगों से चली आ रही परंपरा है। पुराने समय में रानीमहारानियों से ले कर दासियों और आम वर्ग की महिलाएं भी अपने सामथ्र्य के अनुसार सजा करती थीं। तब आज की तरह ब्यूटी प्रोडक्ट्स नहीं होते थे, इसलिए वे होंठों को रंगने के लिए गुलाब की पंखुडियों का प्रयोग करती थीं, तो गुलाबजल, दूध या इत्र पानी में डाल कर नहाती थीं।
कुदरत ने महिलाओं को ऎसा शरीर, रंगरूप नैननक्श दिए हैं, जिन्हें जरा सा तराशने से उनकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं तो वे उन्हें क्यों ना संवारे। सुन्दर दिखना उनका मौलिक अधिकार है और वे इस बात को जानते हुए ही पूरे मनोयोग से इस का प्रयोग करती हैं।