सरकार की चुप्पी से टेंशन में टीम अन्ना

By: Team Aapkisaheli | Posted: 01 , 2012

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सरकार की चुप्पी से टेंशन में टीम अन्ना
नई दिल्ली। समाजसेवी अन्ना हजारे भले ही ऊपरी तौर पर सरकार से बातचीत नहीं करने की बात कह रहे हों पर उनके खेमे में इस बात की टेंशन साफ देखी जा रही है कि अनशन तुडवाने के लिए सरकारी खेमे में कोई हलचल नहीं है। हालांकि अन्ना हजारे का सम्मान करने वाले सुशील कुमार शिंदे के गृह मंत्री बनने से अन्ना के खेमे को संवाद की कुछ उम्मीद बंधी है। टीम अन्ना ने शिंदे को भी दागी मंत्रियों की सूची में डाल रखा है पर अन्ना ने अभी तक शिंदे के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा है। यही वजह है कि अन्ना और शिंदे के रिश्ते में खिंचाव नहीं आया है। पिछली बार भी केंद्रीय मंत्री शिंदे ने एक धार्मिक संत के जरिए संवाद में थोडी मदद की थी। आने वाले दिनों में यह सामने आएगा कि अन्ना और गृह मंत्री शिंदे के रिश्ते कैसे बने रहते हैं क्योंकि सेहत बिगडने पर दिल्ली पुलिस को अनशनकारियों के साथ जबरदस्ती करनी पड सकती है और ऎसी स्थिति में अन्ना का रूख गृह मंत्री शिंदे को लेकर कैसा रहता है, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। एक हफ्ते के अनशन के बाद भी इस बार समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन को सही दिशा नहीं मिल पा रही है। अन्ना और उनकी टीम भी महसूस कर रही है कि इस बार वह अनशन के दोनों मुद्दों लोकपाल और एसआईटी के गठन की मांग पर लोगों को ठीक से समझाने में सफल नहीं हो सके हैं। टीम अन्ना के एक संस्थापक सदस्य ने कहा कि यह बात सही है कि इस बार गली-मोहल्ले में अनशन के मुद्दों पर पिछली बार जैसी चर्चा और बहस नहीं हो रही है। शायद अनशन के तीन-चार दिन और गुजरने पर लोग अनशन के मुद्दों को ठीक से समझ सकेंगे। टीम के सदस्य ने कहा कि लोग मुद्दों से तब भावनात्मक रूप से जुडेंगे जब अनशनकारी सेहत की परवाह किए बिना अधिक दिनों तक डटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि भले ही सरकार ने एक हफ्ते के अनशन पर बहुत गौर नहीं किया हो पर जिस तरह के तेवर अन्ना और केजरीवाल ने दिखाए हैं, उनसे साफ है कि अनशनकारी थोडी सेहत बिगडने पर तो कमजोर नहीं ही पडेंगे। हालांकि यह भी सच है कि कमजोर सेहत के चलते अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और गोपाल राय के नहीं टिक पाने पर आगे टीम अन्ना के कौन से सदस्य अनशन करेंगे, इसकी टीम ने कोई तैयारी नहीं की है। गोपाल राय को अनशन पर बिठाने को लेकर पहले ही टीम के भीतर सहमति नहीं थी। अनशन के लिए टीम अन्ना के भीतर से और साथियों को तैयार नहीं करने की वजह से आगे चलकर एक बार फिर टीम पर आरोप लग सकते हैं कि उन्होंने बुजुर्ग अन्ना को रक्तचाप की शिकायत रहने पर भी अनशन पर बिठा दिया। स्वामी रामदेव के साथ को लेकर अन्ना और टीम के बीच अब तक सहमति नहीं बन सकी है। अन्ना, स्वामी रामदेव का साथ इसलिए चाहते हैं क्योंकि स्वामी रामदेव के साथ भीड भी है और पर्याप्त संसाधन भी हैं पर टीम अन्ना में स्वामी रामदेव को लेकर यह हिचकिचाहट है कि आंदोलन का सारा श्रेय स्वामी रामदेव अकेले ले जाना चाहते हैं और उनकी करीबी आरएसएस और भाजपा से बनी हुई है। जहां तक स्वामी रामदेव की बात है उन्हें टीम अन्ना या उसके संसाधनों की कोई आवश्यकता नहीं है, उनकी दिलचस्पी तो महज अपने मंच पर अन्ना को बनाए रखने की है।
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