कांग्रेस अध्यक्ष तय करेंगी राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 05 Jun, 2012

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कांग्रेस अध्यक्ष तय करेंगी राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी
नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन का काम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दिया है। कांग्रेस कार्यसमिति की सोमवार को हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। यह प्रस्ताव पार्टी के वरिष्ठ नेता और वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने पेश किया था। कांग्रेस महासचिव एवं पार्टी के मीडिया प्रभारी जनार्दन द्विवेदी ने संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर सोनिया गांधी को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के पार्टी उम्मीदवार के चयन के लिए अधिकृत किया गया। द्विवेदी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष देश के दोनों संवैधानिक शीर्ष पदों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद करेंगी। उन्होंने बताया कि बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी के उम्मीदवार के चयन के सिलसिले में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के घटक दलों से अब तक हुई बातचीत पर चर्चा की गई। राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जून के मध्य तक जारी होने की सम्भावना है। ज्ञात हो कि कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवारों में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के नाम चर्चा में हैं लेकिन पार्टी ने अभी किसी नाम पर अपनी मुहर नहीं लगाई है। चर्चा यह भी है कि पार्टी के कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम राष्ट्रपति पद के लिए प्रस्तावित किया है, लेकिन एक वरिष्ठ नेता ने इसका खंडन किया है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील का कार्यकाल इस वर्ष जुलाई में समाप्त होने जा रहा है। कार्य समिति की बैठक में महंगाई का मुद्दा भी उठा। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने माना की महंगाई से आमजन त्रस्त है लेकिन फिलहाल इसका कोई ठोस उपाय नहीं है। गिरती विकास दर इसका मुख्य कारण है। उन्होंने पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के कारण जनता की नाराजगी से सदस्यों को अवगत कराया। वित्त मंत्री ने कहा कि यह बात मानने का कोई कारण नहीं है कि हम पुन: 1991 जैसी स्थिति का सामना करने जा रहे हैं। 1991 के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 17 दिन के आयात के लिए पर्याप्त था जबकि वर्तमान में विदेशी मुद्रा भंडार साढे सात महीनों के आयात के लिए पर्याप्त है। मुखर्जी ने कहा कि अन्य क्षेत्रों के लिहाज से भी 1991 की तरह की स्थिति नहीं है। वित्त मंत्री का बयान ऎसे समय पर आया है जब रूपए के मूल्य में अप्रत्याशित गिरावट आई है और अर्थव्यवस्था की विकास दर विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण नौ वर्षो में सबसे कम रही है। पिछले हफ्ते केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा जारी आंकडों के अनुसार 31 मार्च को खत्म हुई तिमाही देश की विकास दर 5.3 फीसदी थी, जो पिछले नौ वर्षो में न्यूनतम है। इस तरह वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान विकास दर 6.5 फीसदी थी, जबकि वैश्विक आर्थिक संकट के समय 2008-09 में यह 6.7 फीसदी थी। मुखर्जी ने कहा कि उन्हें आशा है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार होगा। यह सही नहीं है कि हम स्थितियों को सुधारने में सक्षम नहीं हैं। हम स्थितियों को सुधारने के लिए समक्ष होंगे।
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