विदेश में रह रहे ब्लैकमनी रखने वाले एनआरआई को भी देना होगा टैक्स

By: Team Aapkisaheli | Posted: 06 July, 2015

विदेश में रह रहे ब्लैकमनी रखने वाले एनआरआई को भी देना होगा टैक्स
नई दिल्ली। देश के वे लोग जिनका स्विस बैंक में एकाउंट है और उनकी विदेश में प्रॉपर्टी भी है वे लोग ऎसे नए नियमों की आशा नहीं कर रहे थे। वे लोग इस कानून से बचने के लिए एनआरआई बन गए हैं, नए नियम के अनुसार से उनका भी टैक्स के फंदे से बचना बढ़ा मुश्किल होगा। जो लोग ब्लैक मनी के मामले में टैक्स और एन्फोर्समेंट ऑफिशियल्स से जान छु़डाने की तैयारी कर रहे थे, उन्हें इस मामले में पेश नियम ने हैरान कर दिया है। नया कानून अत्यन्त जटिल है। इसमें खर्च किए जाने वाले पैसे पर टैक्स लगाया गया है, जिससे एक नई आशंका पैदा हो गई है।

इस बारे में ईटी ने जिन सीनियर टैक्स प्रोफेशनल्स से बात की, उनका कहना है कि विदेश में रखी गई संपत्ति की जानकारी देने की मोहलत का ज्यादा लोग इस्तेमाल नहीं करेंगे। हम यहां उसकी वजहें बता रहे हैं। सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट दीपक लखानी ने बताया, 'जब से एकाउंट खोला गया है, उसके बाद हर डिपॉजिट की डिटेल रेजिडेंट के पास होना मुश्किल है। विदेशी बैंक 5 साल से पुराने बैंक स्टेटमेंट्स नहीं दे रहे हैं।' काला धन कानून के अनुसार, जो लोग माफी चाहते हैं, उन्हें विदेशी खाते में रखी गई रकम पर 60 प्रतिशत कर देना होगा।

इसके साथ बैंक खाता खोलने की तारीख, उसकी लोकेशन, एकाउंट नंबर और वैल्यूएशन के दिन तक हर डिपॉजिट की जानकारी भी देनी होगी। लखानी ने कहा, \'विदेशी प्रॉपर्टी पर टैक्स वहां की सरकार से मान्यता प्राप्त वैल्यूअर की वैल्यूएशन रिपोर्ट के अनुसार लगेगा। रेजिडेंट इंडियन विदेशी सरकार से वैल्यूअर के मान्यता प्राप्त होने के क्या सबूत पेश करेगाक् अगर वैल्यूएशन पर टैक्स अथॉरिटीज मान जाती हैं और मान लीजिए कि प्रॉपर्टी 3 वर्ष बाद बेची जाती है तो उस पर टैक्स किस तरह से लगेगाक् जरा कल्पना करिए कि किसी ने 10 करो़ड में दुबई में एक अपार्टमेंट खरीदा था और अब उसकी वैल्यू 20 करो़ड रूपये हो गई है।

वह इसका 60 प्रतिशत कर देता है। अब कुछ साल बाद वह प्रॉपर्टी को 50 करो़ड में बेचता है तो उसे 40 करो़ड के कैपिटल गेन पर टैक्स चुकाना होगा, जबकि वह नई स्कीम के अनुसार 20 करो़ड की वैल्यू पर पहले ही कर दे चुका है।\' टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसमें टैक्स के लिए प्रॉपर्टी की खरीद कीमत को आधार बनाना चाहिए। इनकम टैक्स कानून के अनुसार, डिपार्टमेंट 16 वर्ष तक के मामलों की जांच कर सकता है। वहीं, ब्लैक मनी लॉ में इसकी कोई सीमा तय नहीं है। ऎसे में उसे 16 वर्ष से पुराने एसेट्स की भी जानकारी देनी होगी।

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