मलिक की संसद सदस्यता निलंबित, दोहरी नागरिकता के मामले में पाक सुप्रीम कोर्ट का फैसला

By: Team Aapkisaheli | Posted: 05 Jun, 2012

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मलिक की संसद सदस्यता निलंबित, दोहरी नागरिकता के मामले में पाक सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मलिक को संसद की सदस्यता से निलंबित कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले के लिए आधार दिया कि वह अपनी ब्रिटिश नागरिकता छोडने का सबूत देने में नाकाम रहे हैं। अदालत के इस फैसले ने उनके मंत्री बने रहने पर सवाल खडह्य कर दिए हैं। प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने संसद के दोनों सदनों के कई सदस्यों की दोहरी नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका सुनने के बाद अंतरिम आदेश दिया। इससे पहले पीठ ने 60 वर्षीय मलिक को ब्रिटिश नागरिकता छोडने संबंधी ब्रिटेन बार्डर एजेंसी द्वारा जारी घोषणापत्र सौंपने के लिए आज तक का समय दिया था।

मलिक के अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय को कई दस्तावेज और घोषणा पत्र पेश किए लेकिन ब्रिटेन बार्डर एजेंसी का घोषणा पत्र जमा नहीं किया। जब कोर्ट की कार्यवाही एक घंटे के विश्राम के बाद फिर शुरू हुई तो मलिक के वकील एक बार फिर घोषणा पत्र सौंपने में नाकाम रहे। इसके बाद अदालत ने संसद के ऊपरी सदन या सीनेट से मलिक की सदस्यता निलंबित करने का अंतरिम आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मलिक से 13 जून को अगली सुनवाई तक यह साबित करने के लिए कहा है कि 2008 में जब वह सीनेट का चुनाव लडे थे तब वह ब्रिटिश नागरिक नहीं थे। आदेश में कहा गया कि अगर वह ऎसा करने में नाकाम रहते हैं तो अदालत उनके खिलाफ आगे की कार्यवाही करेगी। अंतरिम आदेश में यह बात नहीं कही गई है कि वह गृह मंत्री के तौर पर बने रह सकते हैं या नहीं।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संसद की सदस्यता निलंबित होने के बाद मलिक मंत्री के तौर पर काम नहीं कर सकते। मलिक सीनेट के लिए चुने जाने से पहले प्रधानमंत्री के लिए गृह मामलों के विशेष सलाहकार रह चुके हैं। मलिक के वकील द्वारा सौंपे गए दस्तावेज के संदर्भ में अदालत ने कहा कि एक घोषणापत्र में कहा गया है कि मलिक ने मार्च 2008 में ब्रिटिश नागरिकता छोड दी थी जबकि एक अन्य घोषणा पत्र में कहा गया कि यह काम अप्रैल 2008 में किया गया। शीर्ष अदालत ने मलिक के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 63 (1 सी) के आधार पर कार्यवाही की जिसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य की नागरिकता ग्रहण करता है तो वह संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाएगा। मलिक ने 1990 के दशक में ब्रिटेन में निर्वासन का जीवन बिताते हुए ब्रिटिश नागरिकता ग्रहण की थी।
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