फिल्म समीक्षा : "दम लगा के हईशा"

By: Team Aapkisaheli | Posted: 28 Feb, 2015

फिल्म समीक्षा :
अक्सर बॉलीवुड फिल्मों में हम ऎसी जोडियां देखते है जो एक दूसरे को कॉम्प्लीमेंट करती हैं, लेकिन अब जो जोडी आप बडे पर्दे पर देखेंगे वो थोडी नहीं बल्कि बहुत ज्यादा हटके है। हर इंसान का बचपन से एक सपना होता है की उसका हमसफर सबसे खूबसूरत हो, लेकिन ये सपना कुछ लोगो के लिए सच में सपना बन कर ही रह जाता है और यही अधूरा सपना अब बडे पर्दे पर आयुष्मान खुराना और डेब्यूटेंट एक्ट्रेस भूमि पेड्नेकर अपनी फिल्म "दम लगा के हईशा" में दिखाया हैं।

यह फिल्म आपको सीधे 90 के दशक में ले जाती है। यही वो पुरानी यादें है जिसे लेखक-डायरेक्टर शरत कटारिया अपनी फिल्म में इतनी आसानी से क्रिएट करते हैं। जिसमें उत्तर भारत के छोटे से गांव हरिद्वार में जो ग्लोबलाइजेशन के दौर में जैसे बहुत पीछे नजर आता है। फिल्म किंग ऑफ मेलोडी कुमार शानू की आवाज से शुरू होती है। कुमार शानू भले ही फिल्म के हीरो ना हो लेकिन फिल्म में उनकी अहमियत किसी टॉप हीरो से कम नहीं है।

कहानी... दम लगा के हईशा फिल्म प्रेम (आयुष्मान खुराना) और संध्या (भूमि पेडणेकर) की काहानी है। प्रेम हाई स्कूल फेल है, कुमार शानू का फैन है और ऑडियो कैसेट की दुकान चलाता है। उसके अंदर किसी तरह का कोई टैलेंट नहीं है। प्रेम के परिवार वाले उसकी शादी संध्या (भूमि पेडनेकर) से करवा देता है। भूमि पढी-लिखी लडकी है। भूमि को तो आयुष्मान पहली नजर में ही भा जाते हैं लेकिन आयुष्मान, भूमि के जंबो साइज की वजह से पसंद नहीं करते। लेकिन जैसे की कहानी 90 के दशक की है जब अरेंज मैरेज का जमाना हुआ करता था, तो आयुष्मान और भूमि से शादी करनी ही पडती है। एक तरफ भूमि अपने पति के दिल में जगह बनाने की पूरी कोशिस करती है वहीं दूसरी तरफ आयुष्मान अपनी मोटी बीवी के साथ बाजार में चलने से भी शरमाते हैं।

भूमि को जब पता चलता है की आयुष्मान उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करते वो तलाख लेने का फैसला करती है और आयुष्मान को भी फैसला मंजूर होता है लेकिन कोर्ट दोनों के 6 महीने साथ रहने का आर्डर देती है। आयुष्मान वैसे ही अपनी बीवी को फूटी आंख नहीं भाते थे ऎसे में उनकी मां उन्हें "दम लगाके हईशा" प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पर मजबूर करती है, जिसमे अपनी बीवी को उठा कर भागना पडता है।

अभिनय... दम लगाके हईशा एक बहुत ही छोटीसी और खूबसूरत लव स्टोरी है। ऎसी लव स्टोरी है जिसमे ना कोई ग्लैमर है ना तडका-भडका। ऎसी कहानी है जिससे कई कपल खुद को जोड सकते हैं। फिल्म में ये दखाने की कोशिश की गई है की शादी और प्यार के लिए सूरत नहीं बल्कि अपने पार्टनर के साथ अनुकूलता और समझ की जरूरत होती है। फिल्म आपको 90 के दशक की खूबसूरत सैर करवाती है। जब दिल साफ और वातावरण शुद्ध हुआ करता था और हां कुमार शानु हर आशिक की जबान पर हुआ करते थे।

क्यों देखे...आयुष्मान खुराना ने फिल्म में इतनी जबरदस्त एक्टिंग की है आप भूल जाएंगे की उन्होंने कभी "हवाईजादा" जैसी फिल्म में काम भी किया था। डेब्यूटेंट भूमि पेडणेकर फिल्म की जान है। भूमि ने इस फिल्म से ये साबित कर दिया की एक्टर बनाने के लिए आपको हॉट, सेक्सी और साइज जीरो होने की कोई जरूरत नहीं। बस टैलेंट चाहिए। भूमि ने अपने किरदार को निभाया नहीं है बल्कि जिया है। फिल्म के डायलॉग बहुत ही प्यारे है। फिल्म की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।

Mixed Bag

Ifairer