उर्वरक परिवहन पर सब्सिडी घटी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 00 Aug, 0000

शाहरूख का महिलाओं का सम्मान, शुरूआत दीपिका से करेंगे!
उर्वरक परिवहन पर सब्सिडी घटी
नई दिल्ली। उर्वरक सब्सिडी पर शिंकजा कसने की शुरूआत करते हुए सरकार ने फासफोरस और पोटाश वाले उर्वरकों के परिवहन सब्सिडी में आंशिक कटौती की है। इन उर्वरकों पर द्वितीयक चरण (रेल यार्ड से जिला मुख्यालय के बीच के परिवहन पर सहायता) की सब्सिडी को चालू वित्त वर्ष से समाप्त कर दिया है।

हालांकि पहाडी राज्यों में अतिरिक्त सब्सिडी का भुगतान होता रहेगा। उर्वरक विभाग ने एक अधिसूचना में कहा है "फासफोरस और पोटाश यानी (पी एण्ड के) उर्वरकों के द्वितीयक चरण के परिवहन पर लगने भ़ाडे की क्षतिपूर्ति नहीं की जाएगी। सरकार फसलों के लिए पोषक तत्वों का काम करने वाले इन उर्वरकों पर कंपनियों को तीन हिस्सों में सब्सिडी उपलब्ध कराती है। बंदरगाह अथवा कारखाने से उर्वरक को विभिन्न रेलवे रैक बिंदुओं तक पहुंचाने को प्राथमिक आवागमन कहा जाता है।

इसके लिए रेलवे रसीद के अनुसार भ़ाडे का भुगतान कर दिया जाता है। इसके बाद रेलवे रैक बिंदुओं से जिला मुख्यालयों तक उर्वरकों को पहुंचाने को द्वितीयक परिवहन कहा जाता है। इस पर 300 रूपए प्रति टन का खर्च आता है। सरकार ने इसी द्वितीयक परिवहन पर आने वाले खर्च को एक अप्रैल 2012 से समाप्त कर दिया है। अधिसूचना में कहा गया है कि बंदरगाह अथवा कारखानों से सीधे स़डक मार्ग से जिला मुख्यालयों तक सिंगल सुपर फास्फेट को छो़डकर अन्य पोटाश और फासफोरस उर्वरकों के परिवहन पर वास्तविक दूरी के हिसाब से भ़ाडा सब्सिडी सरकार उपलब्ध कराएगी।

इस मामले में अधिकतम दूरी 500 किलोमीटर होगी। सरकार ने रेलवे को उर्वरकों की ढुलाई में कारोबार का नुकसान पहुंचाए बिना बंदरगाहों और कारखानों से सीधे जिला मुख्यालयों तक अधिकतम 500 किलोमीटर की दूरी की भ़ाडा सब्सिडी तय की है। उर्वरक मंत्रालय सूत्रों के अनुसार इसके अलावा सरकार जम्मू और कश्मीर, सिçक्कम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अंडमान और निकोबार और सात पूर्वोत्तर राज्यों को उर्वरकों के परिवहन के मामले में अतिरिक्त भ़ाडा सब्सिडी उपलब्ध कराएगी।
शाहरूख का महिलाओं का सम्मान, शुरूआत दीपिका से करेंगे!Next

Mixed Bag

Ifairer