लोकतंत्र हमारी संस्कृति का हिस्सा : मोदी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 30 Jun, 2019

लोकतंत्र हमारी संस्कृति का हिस्सा : मोदी
नई दिल्ली। लोकतंत्र को भारत की संस्कृति और विरासत का हिस्सा बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि सन् 1975 में 25 जून को लागू किए गए आपातकाल के दौरान लोगों को लगा कि उनसे कुछ छीन लिया गया है।

मोदी ने दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद अपने पहले रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में जलसंकट से निपटने के लिए पानी की हर बूंद बचाने और इसे स्वच्छ भारत मिशन की तरह एक जन आंदोलन बनाने का भी आग्रह किया।   

देश की लोकतांत्रिक भावना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि जून, 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू किए गए आपातकाल का विरोध न सिर्फ राजनीतिक दलों ने किया, बल्कि आम आदमी ने भी किया था।

मोदी ने कहा, ‘‘भारत गर्व से कह सकता है कि नियम और कानून से परे लोकतंत्र हमारी विरासत और संस्कृति है। आम आदमी ने आपातकाल की पीड़ा को महसूस किया था।’’

उन्होंने कहा कि इस विरासत के फल पर लोगों का पालन पोषण हुआ है। ‘‘इसलिए आपातकाल के दौरान हमारे देशवासियों ने इसकी कमी को गहराई से महसूस किया था।’’

मोदी ने कहा, ‘‘जब आपातकाल लगाया गया था, तो इसके खिलाफ विरोध राजनीतिक क्षेत्र या राजनेताओं तक सीमित नहीं था। आम आदमी भी नाराज था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र के नुकसान पर सामूहिक पीड़ा स्पष्ट थी... दिन-प्रतिदिन के जीवन में, लोकतांत्रिक अधिकारों का आनंद तब तक लेना मुश्किल है, जब तक कि उन्हें छीन नहीं लिया जाता।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को लोकतंत्र का आशीर्वाद मिला है,  ‘‘फिर भी हम इसे हल्के में लेते हैं।’’

सन् 1975-77 के आपातकाल के दौरान, विपक्षी पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं को जेल में डाल दिया गया था और मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था।

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि देश की चुनावी प्रक्रिया का पैमाना हर भारतीय को गौरवान्वित करता है।

मोदी ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव में, भारत ने 61 करोड़ से अधिक मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करते देखा। ...अगर आप चीन को छोड़ दें, तो भारत में मतदान करने वालों की संख्या दुनिया के किसी भी अन्य देश की जनसंख्या से अधिक है।’’

मोदी ने चुनाव को सफल बनाने के लिए शिक्षकों, अधिकारियों और सुरक्षाबलों के प्रति आभार जताया।

प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और किताबें पढऩे की जरूरत पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘पानी के संरक्षण का कोई एक तरीका नहीं है। अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं, लेकिन इसका उद्देश्य हर बूंद का संरक्षण करना है।’’

उन्होंने लोगों से जल संरक्षण के बारे में विचार मांगे।

मोदी ने कहा, ‘‘जल संरक्षण के पारंपरिक तरीकों का ज्ञान साझा करें। जल संरक्षण से संबंधित अपनी सामग्री अपलोड करने के लिए हैशटैगजनशक्ति4जलशक्ति का उपयोग करें।’’

उन्होंने जल संरक्षण पर जागरूकता लाने के लिए प्रख्यात लोगों सहित सभी से अपील की।

मोदी ने कहा, ‘‘अगर आप जल संरक्षण पर काम करने वाले लोगों या गैर-सरकारी संगठनों के बारे में जानते हैं, तो उनके बारे में जानकारी साझा करें।’’

पानी बचाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में उन्होंने कहा कि पंजाब में जल निकासी लाइनों को ठीक किया जा रहा है, तेलंगाना के थिम्मैपल्ली में एक पानी की टंकी के निर्माण ने गांव के लोगों का जीवन बदल दिया और छोटे तालाबों ने राजस्थान के कबीरधाम में खेती करने में मदद की।

मोदी ने कहा कि उन्होंने तमिलनाडु के वेल्लोर में सामूहिक प्रयासों के बारे में पढ़ा, जिसमें नाग नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 20,000 महिलाएं एक साथ आईं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस तरह के कई प्रयास किए जा रहे हैं और हम असंभव को संभव कर सकते हैं, जब हम एक साथ होंगे और सामूहिक संकल्प के साथ प्रयास करेंगे। जब लोग हाथ मिलाएंगे, तो जल संरक्षण होगा।’’

मोदी ने लोगों से किताब पढऩे को एक आदत बनाने की भी अपील की और दोहराया कि उपहार में बुके की जगह बुक देनी चाहिए।

उन्होंने  ‘मन की बात’ के बारे में बात की।

मोदी ने कहा, ‘‘कार्यक्रम बताता है कि हमारे देशवासियों के भीतर आंतरिक दृढ़ता, शक्ति और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। समय की आवश्यकता है कि अवसर प्रदान करने और उन्हें कार्यान्वित करने के लिए उन शक्तियों और प्रतिभाओं में तालमेल बैठाया जाए।’’

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में उन्हें ‘मन की बात’ में बहुत सारे पत्र और फोन कॉल मिले। लेकिन उन्हें एक भी ऐसा मामला देखने को नहीं मिला, जहां किसी ने व्यक्तिगत लाभ के लिए कुछ मांगा हो।
(आईएएनएस)

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