खरमास में शुभ कार्य नहीं करने के पीछे की वजह हैं गधे, यहां जानिए पूरा रहस्य
By: Team Aapkisaheli | Posted: 28 Dec, 2025
नई दिल्ली। हिंदू पंचांग में खरमास को आमतौर पर ऐसा समय माना जाता है, जब कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे कार्य इस दौरान टाल दिए जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर खरमास का नाम खर यानी गधे से क्यों जुड़ा है? इसके पीछे एक रोचक और बेहद अर्थपूर्ण पौराणिक कथा है।
खरमास से जुड़ी यह कथा मार्कण्डेय पुराण में मिलती है। संस्कृत में खर का अर्थ गधा होता है।
कथा के अनुसार, एक बार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा पर निकले। यात्रा लंबी थी और समय के साथ उनके घोड़े थकने लगे। उन्हें भूख और प्यास सताने लगी। सूर्यदेव ने जब अपने घोड़ों की यह हालत देखी तो उन्हें करुणा आई और उन्होंने घोड़ों को कुछ समय आराम देने का मन बनाया।
लेकिन सूर्यदेव के सामने एक बड़ी समस्या थी।
अगर रथ रुक जाता तो सृष्टि का चक्र बिगड़ सकता था। दिन-रात, ऋतु और जीवन का संतुलन प्रभावित हो जाता। ऐसे में सूर्यदेव की नजर तालाब के किनारे पानी पी रहे दो खर यानी गधों पर पड़ी। सूर्यदेव ने सोचा कि क्यों न कुछ समय के लिए रथ में गधों को जोड़ दिया जाए, ताकि रथ चलता भी रहे और घोड़े आराम भी कर लें।
हालांकि, घोड़े और गधे की शक्ति और गति एक जैसी नहीं होती। जब रथ में गधों को जोड़ा गया तो रथ की गति धीमी हो गई। परिणाम यह हुआ कि जो परिक्रमा सामान्य रूप से कम समय में पूरी होती थी, वही इस बार पूरे एक महीने में पूरी हुई।
कथा के अनुसार, इस देरी से सूर्यदेव के तेज और प्रभाव में कमी आ गई। यही समय आगे चलकर खरमास कहलाया।
इसी मान्यता के कारण खरमास को ऐसा समय माना जाता है, जब सूर्य की ऊर्जा कमजोर रहती है और इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि यह समय अशुभ है। दरअसल, खरमास को भक्ति, संयम और साधना का महीना माना गया है। खरमास में खास तौर पर भगवान विष्णु या सूर्यदेव की पूजा का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दौरान की गई पूजा, दान-पुण्य और जप-तप का फल कई गुना बढ़ जाता है। -आईएएनएस
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