अभिभावकों की पहली पसंद कोचिंग...
By: Team Aapkisaheli | Posted: 28 Aug, 2012
आज के आधुनिक दौर में जिस तरह की जिन्दगी होगी हैं उसको देखते हुए अभिभावक बच्चो की पढाई-लिखाई को लेकर बेहद जागरूक होते जा रहे हैं। वे अपने बच्चो का एडमिशन अच्छे स्कूल में कराते हैं ताकि उनका बेस मजबूत बने। बच्चो भी अभिभावकों की उम्मीदों को पूरा करने लिए जी जान से मेहनत करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वे बडे होते जाते हैं, उनके सामने करियर की चुनौती बढने लगती है। स्कूली शिक्षा के दौरान प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव बच्चो पर दिखने लगता है बच्चो इस चुनौती का सामना बिना किसी परेशानी के कर पाएं, इसके लिए अभिभावक बच्चो को कोचिंग कराते हैं। लेकिन अकसर यह देखा गया है कि बच्चो के मन में कोचिंग के बिना आगे ना बढ पाने की भावना कब घर कर जाती है, पता ही नहीं चलता।
बच्चे तो कोचिंग पर निर्भर हो ही जाते हैं, साथ ही माता-पिता भीबच्चो के पढाई की जिम्मेदारी कोचिंग पर डालकर बेफि क्र हो जाते हैं। कोचिंग संस्थान लोगों की जरूरत को बखूबी जानते हैं। इसीलिए खुद को ऎसे पेश करते हैं मानो जैसे कोचिंग किए बिना बच्चो के करियर की नैया पार ही नहीं लग सकती। अगर नतीजे उम्मीद के अनुसार नहीं मिलते, तो बच्चो हीनभावना के शिकार हो जाते हैं और अभिभावाकों को लगता है कि उन्होंने तो बच्चो की पढाई के लिए हर वो कोशिश की जो वो कर सकते थे लेकिन, फिर भी कमी कहां रह गई?
कोचिंग बनी जरूरत
इस बढती प्रतिस्पर्धा और स्कूल शिक्षा गिरते स्तर ने बच्चो को कोचिंग की राह पर चलने के लिए मजबूर कर दिया है। हर साल कई बच्चो स्कूल के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। ऎसे मे अभिभावक 10वीं के बाद से ही बच्चो को कोचिंग कराने लगते हैं। हालांकि स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लासेज की व्यवस्था होती है, जिनमें बच्चो को खास सबजैक्ट पर ध्यान देने की विशेष नसीहत दी जाती है, लेकिन उनसे बच्चो को ज्यादा मदद नहीं मिलती। दूसरी ओर कुछ लोग ऎसा भी हैं माना है कि कोचिंग में एग्जाम्स के पैटर्न के हिसाब से तैयारी करवाई जातीहै। वहां कई तरह की ट्रिक्स भी बताई जाती हैं, जो बच्चो कहीं और से नहीं सीख सकते।
अभिभावकों पर दबाव
अभिभावक भी काफी तनाव में रहते हैं। उन्हें बच्चो के करियर की फिक्र भी होती है और फीस का इंतजाम भी करना होता है। अभिभावाकों पर तरह का फाइनेंशियल दबाव तो होता ही है, लेकिन वो हर सम्भव कोशिश करते हैं ताकि दिल में यह मलाल ना रह जाए कि अगर थोडा और प्रयास किया होता तो शायद बच्चो का भविष्य और उФावल होता।
कोचिंग ही नहीं है सहारा
ऎसे कई बच्चो हैं जिन्होंने कोचिंग के बिना सफलता हासिल की। अगर आपको कॉन्सेप्ट क्लियर है, तो फिर किसी और चीज की जरूरत नहीं पडती। सच यही है कि करियर अपनी मेहनत के बलबूते बनता है, सिर्फ कोचिंग करने से नहीं।
कोचिंग को फायदा
जिस तरह लोग बिना सोचे-समझे बच्चो को कोचिंग कराते हैं, उससे उन कोचिंग संस्थानो को फायदा होता है, जिनका बच्चो के भविष्य से कोई सरोकार नहीं। ऎसे ही कोचिंग संस्थान हैं, जो शिक्षा को व्यवसाय के तौर पर देखते हैं। अपने करियर की जिम्मेदारी खुद के ऊपर होती है, ना कि कोचिंग पर।
करियर का चुनाव भी हो सही
कई बच्चो अभिभावकों के दबाव या पीयर प्रेशर में अपने सबजैक्ट चुन लेते हैं। बच्चो पर दबाव बनाने और कोचिंग के जरिये कमी पूरा करने के बजाय उसकी रूचियों जानें। जब बच्चो अपनी रूचि के विष्ाय चुनते हैं और फिर इस दिशा में आगे बढते हैं तो उन्हें सफलता भी जरूर मिलती है।