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पेपर ज्वैलरी का छाया टे्रेंड

By: Team Aapkisaheli | Posted: 29 Sep, 2012

पेपर ज्वैलरी का छाया टे्रेंड
इस नई तरह की ज्वैलरी के प्रति यंगगल्र्स से लेकर मिड एज तक की महिलाओं का उत्सुकता दिखाई दे रहा है। पेपर से तैयार होने वाली यह ज्वेलरी कई तरह से फायदेमंद साबित हो रही है। कम कीमत व लाइट वेट के कारण इसे पसंद करने वालों की कमी नहीं है।
एलर्जिक प्रॉब्लम नहीं होती
कई लोगों की स्किन संवेदनशील होती है और मेटल से उन्हें एलर्जी या रिएक्शन की समस्या हो जाती है। पेपर ज्वेलरी से ऎसा नहीं होता। पेपर ज्वेलरी में इयररिंग, ब्रेसलेट, सिंगल पेंडेंट सेट तैयार किए जाते हैं। यह फंकी लुक, सिंपल लुक के तौर पर काफी पसंद की जाती है। इसमें वुडन, ग्लास बीड्स, क्रिस्टल, कुंदन, स्टोन, पोलकी, प्लास्टिक बीड्स व सेमी प्रेशियस स्टोन का यूज किया जाता है, जो ज्चैलरी को अट्रेक्टिव व खूबसूरत बनाने में हेल्प करता है।
वाटरप्रूफ होती है
इस पर पसीने का असर नहीं होता और ना ही पानी के संपर्क में आने पर भी पेपर ज्वैलरी खराब नहीं होती है। इसमें रिसाइकिल पेपर का यूज करते हैं। इससे पर्यावरण से कार्बन घटता है और यह एन्वायरमेंट को कोई नुकसान नहीं पहुँचाता। मेटल ज्वेलरी की अपेक्षा इसकी कीमत काफी कम होती है। कुछ समय तक यूज करने के बाद इन्हें फेंका जा सकता है। पेपर कलिंग से भी ज्वैलरी तैयार की जाती है। इसके लिए थीक शीट वाले पेपर का यूज किया जाता है। कटिंग व डिजाइनिंग के जरिए इसे आभूषण के रूप में ढाला जाता है। इसमें इयररिंग की रेंज 25 रूपए से शुरू होती है, वहीं सिंगल पेंडेंट की रेंज 100 रूपए से शुरू होती है।
ऎसे होती है तैयार
पेपर ज्वेलरी बनाने के लिए पहले रॉ मटेरियल तैयार किया जाता है। फिर इसे हाथ से विभिन्न आकृतियों में ढाला जाता है। इसे जोडने, मजबूत और सख्त करने, रंग करने और वाटरप्रूफबनाने में काफी सावधानी बरती जाती है।

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