करवा चौथ पर बिंदिया चमकेगी,चूडी खनकेगी
By: Team Aapkisaheli | Posted: 07 Nov, 2012
एक सुहागन के लिए उस के सुहाग की लंबी उम्र और कुशलता के लिए रखा जाने वाले व्रत है करवा चौथ। अपने पिया के लिए खास तरीके से तैयार होना, सजना-संवरना हर सुहागिन की अभिलाषा होती है। इसी इच्छापूर्ति के लिए महिलाओं ने जोर-शोर से करवा चौथ की तैयारियां पूर्ण कर ली है। ज्वेलरी से लेकर, कपडे और मेकअप सामग्री सभी की बिक्री में इजाफा हुआ है। हर सुहागिन की ख्वाहिश है कि वो बेहतर से बेहतर तरीके से सज संवरकर करवा चौथ का व्रत करें। करवा चौथ पर जब कपडे और जेवर सब खास हैं तो मेकअप भी खास होना चाहिए। इसीलिए कई दिनों पहले से महिलाओं ने पार्लर्स में बुकिंग करवा ली हैं। स्त्री के लिए अपने पति के लिए तैयार होने से बढकर और कुछ नहीं होगा। करवा चौथ ऎसा ही त्यौहार है। जिसमें महिलाएं मनपसंद साडियां, गहने पहन कर सोलह श्रृंगार और व्रत करती हैं।
मेहंदी का भी महत्व
करवा चौथ के आते ही मेहंदी लगवाने की खास तौरपर तैयारी शूरू कर देती हैं। कुछ महिलाएं पार्लर जाती हैं तो कुछ मेहंदी लगाने वालों के पास पहुंच जाती हैं, क्योंकि बिना मेहंदी के तो श्रृंगार अधूरा लगता है।
पूजा का महत्व
करवा चौथ की पूजा की प्रमुख सामग्री करवा भी बाजार में मिलने लगे हैं। जिन लोगों का पहला करवा चौथ रहता है उनके यहां मायके से करवा आता है। वैसे तो बाजार में भी करवा सजा हुआ मिलता है लेकिन उसके बाद भी महिलाएं उसे आकर्षक तरीके से तैयार करतीं हैं।
सरगी का विशेष महत्व
करवा चौथ में सरगी का विशेष महत्व रहता है। घर की जो बडी-बुजुर्ग महिला होती है वो अपने से छोटी बहुओं, बेटियों को सरगी करवाती हैं। सरगी सुबह 4 से 4:30 के बीच होती है। इसमें दूध और फेनी या दूध से बने पदार्थ का महत्व रहता है। जो पहली बार व्रत रखतीं हैं उनके लिए सरगी मायके से आती है, जो शुभ मानी जाती है। करवा-चौथ में दिन भर निर्जला व्रत रखते हैं। शाम को गोधूली बेला में करवा चौथ की पूजा की जाती है। कथा होती है। पूजा की थाली को सभी महिलाओं में सात बार घुमाने की प्रथा होती है। इसके साथ ही उसी पूजा से चांद निकलने पर उसकी पूजा करते हैं और व्रत खोलते समय वही पानी पीते हैं। एक बार व्रत शुरू करने पर उसे बीच में तोडा नहीं जाता है।