1 of 1 parts

आभूषण सुन्दरता के साथ-साथ सेहत भी संवारे

By: Team Aapkisaheli | Posted: 09 July, 2012

आभूषण सुन्दरता के साथ-साथ सेहत भी संवारे
गहने केवल सजने संवरने के लिए ही नहीं, बल्कि अच्छी सेहत के लिए भी पहने जाते हैं। कैसे आइएं जानते हैं- हँसली, हार, पंचलडी ये गर्दन में पहने जाने वाले आभूषण हैं। पहले वक्ष पर हार एक नहीं बल्कि गले से वक्षस्थल पर होता हुआ ऊपर तक अनेक लडियों वाला हार लहराता हुआ पहनते थे, गले से सम्बन्धित सहायी, मध्यच्छद सम्बन्धी तंत्रिका इससे प्रभावित होती है। हार का प्रभाव शरीर के चेहरे आंख, कान, सिर, दांत, होंठ व मुंह सभी पर पडता है। इससे सिर का दर्द, उच्चा रक्तचाप, अंधापन, बहरापन, जुकाम आदि होने का डर नहीं होता है। बाजूबन्द कलाई से ऊपर बाजू पर पहने जाने वाला आभूषण हाथ की चूडियों से भी भारी होता है। इसे पहनने से अन्त: प्रकाष्ठिका, मध्याक्ष पर स्थित तंत्रिका अरीय प्रभाविता होती है। बाजूबंद पहनने से ह्वदय, चुçल्लका ग्रंथि, टौंसिल में लाभ होता है। यहां की तंत्रिका का प्रभाव हमारे फेफडे, नाक वोकल कौड्स गर्दन की ग्रंथि, टौंसिल भुजाओं आदि पर पडता है। चूडियां व कंगन पहनने से कलाई की खूबसूरती के साथ-साथ ओजस्विता का विक ास भी होता है। हकलाना, तुतलाना तथा वाणी के दोष इनके पहनने से नहीं होते। ये मुंह का लकवा, बहरापन, दांत के दर्द में भी लाभकारी हैं। मानसिक रोग, उबकाई, उल्टी जैसी प्रवृति पर भी इन आभूषणों से कंट्रोल होता है। अंगूठी, हाथ की उंगली में पहनने का छल्ला होता है। छोटी उंगली व उसकी पास वाली उंगली में अन्त:प्रकाष्ठिका सम्बन्धी तंत्रिका होती है। अंगूठा तर्जनी व बीच की उंगली व उसके पास की मध्याक्ष पर स्थिर तंत्रिका होती है। इस तंत्रिका का सम्बन्ध कंधों, चुçल्लका गं्रथि और ह्वदय से होता है। अलग-अलग उंगली में अंगूठी पहनने पर इसका अलग-अलग प्रभाव होता है। छोटी उंगली में पहनने पर घबराहट, छाती का दर्द व मानसिक आघात में राहत मिलती है। भुजाओं और कंधों पर भी अंगूठी पहनने का प्रभाव पडता है। करधनी कमर में पहनी जाती है। यह चांदी और सोने की बनाई जाती है। इसे पहनने से इलियों, अधीजठरी, इलियम जंघासा से सम्बन्धित तंत्रिका और जांघ सम्बन्धी तंत्रिका पर दबाव पडता है। इसका प्रभाव शरीर के घुटने, पैर, एडी, पेट बडी आंतों पर होता है। इसे पहनने से घुटनों का दर्द साइटिका, एडी का दर्द अपेन्डिस और यूरिन से सम्बन्धित रोग नहीं होते हैं। पायजेब व पायल पैरों के टखने के जेवर हैं, इन आभूषणों का प्रभाव पेैर, टखने, पीठ आदि पर पडता है, इन्हें पहनने से यूरिन से सम्बन्धित रोग साइटिका, पैरों का मुड जाना और जननेन्द्रियों से सम्बन्धित रोग नहीं होते हैं। बिछुआ पैरों की अंगूलियों में अंगूठे के साथ वाली अंगुली में पहनना जाता है इसे पहनने से पेट का नाडी तंत्र बोझ भार उठाने या ऊंचा नीचा पैर पड जाने पर भी पेट की नाभ सरकने या पेट का दर्द आदि होने का भय नहीं रहता । पैर की अंगुलियों सीधी रहती है, एक दूसरे के ऊपर नहीं चढ पातीं।

Mixed Bag

Ifairer