चंचल, मासूमियत और रूमानी अदाओं से घायल किया मौसम चटर्जी... 
   By: Team Aapkisaheli | Posted: 26 Apr, 2017
    
        
        बंगाली
 फिल्मों के लोकप्रिय निर्देशक तरूण मजूमदर रोज इंदिरा को देखते। उनकी नजर 
में इंदिरा की नटखट और मासूमियत इस कदर बस गई कि उन्होंने सोच लिया कि 
इंदिरा ही उनकी फिल्म में बालिका वधू बनेंगी। वे अपनी नई फिल्म शुरू करने 
की तैयारी में थे। अभिनत्री के किरदार के लिए उन्हें एक स्कूल लडकी की तलाश
 थी, जो देखने में नटखट और मासूम लगे। तरूण मजूमदार को लगा कि इंदिरा उस 
रोल के लिए सही रहेगी। उन्होंने जब इंदिरा से पूछा कि मेरी फिल्म में काम 
करोगी, तब बडी ही मासूमियत से उन्होंने कह दिया, हां...करूंगी, कब से काम 
शुरू करना है क्या आज  से ही करना होगा। लेकिन मैं स्कूल से छुट्टी नहीं ले
 सकती। मुझे पिता से पूछना पडेगा।		 
		 
		कठोर स्वभाव और सेना में नौकरी 
करने वाले इंदिरा के पिता प्रांतोष चट्टोपाध्याय ने साफ मना कर दिया, सवाल 
ही नहीं उठता। मेरी बेटी पढेगी और खूब पढेगी। तब तरूण मजूमदार ने बाबा को 
मनाने की जिम्मेदारी अपनी पत्नी संध्या राय को सौंपी जो उस वक्त बंगाल की 
लोकप्रिय कलाकार थीं।
काफी मश्ककत के बाद संध्या ने जैसे-तैस बाबा 
को मना लिया और इस तरह 14 साल की उम्र में इंदिरा बालिका वधू बन गई। लेकिन 
उन्हें अपना नाम बदलना पडा। तरूण मजूमदार ने कहा था कि इंदिरा से ज्यादा उन
 पर मौसमी नाम सूट करेगा इस तरह मौसमी चटर्जी हिन्दी सिनेमा में आ गई।
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