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अध्यापन कला सिखाता कोर्स

By: Team Aapkisaheli | Posted: 18 Jan, 2012

अध्यापन कला सिखाता कोर्स
भारत में यानी बैचलर ऑफ एजुकेशन एक लोकप्रिय कोर्स रहा है। स्कूली शिक्षा के विस्तार के लिए जब सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र भारी निवेश कर रहे हैं तो इसकी उपयोगिता और संतोषप्रद करियर बनाने के अवसर बढ गए हैं
बीएड प्रोग्राम का प्रारूप
नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के मुताबिक बीएड ऎसा प्रोफेशनल कोर्स है, जो अध्यापकों को स्कूलों में अपर प्राइमरी, मिडिल लेवल, सेकेंडरी और सीनियर कक्षाओं में पढाने के लिए तैयार करता है। आम तौर पर यह एक साल का कोर्स है जो बैचलर्स डिग्री के बाद किया जा सकता है। इसकी अवधि दो साल तक बढाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई थी। ऎसा विचार बीएड प्रोग्राम में कोर्सो की अधिकता को देखते हुए किया जा रहा था-एक साल के कोर्स में थ्योरी, एक्टीविटीज और प्रेक्टिकल की भरमार रहती है। अधिकतर संस्थानों में प्रवेश के लिए कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन जरूरी है। आमतौर पर शिक्षा के सिद्धांत, व्यवस्था और भारतीय शिक्षा से जुडे मुद्दों, अध्यापन सीखने की प्रक्रिया, शिक्षा का मनोविज्ञान, माइक्रो-टीचिंग, मैथेडोलॉजी ऑफ एजुकेशन, शिक्षा का इतिहास, ऑडियोविजुअल एजुकेशन, विभिन्न विषयों को पढाना, सामुदायिक कार्य, स्कूल आधारित अनुभव, छात्रों के लिए तकनीक का ज्ञान कराने वाले कोर्स बीएड का हिस्सा होते हैं। कई विषयों में से चुनाव का विकल्प भी दिया जाता है। बीएड एक लोकप्रिय कोर्स है, जो देश भर में कई संस्थानों में उपलब्ध है। स्पेशलाइज्ड बीएड भी आप कर सकते हैं-मसलन, बी.एड (होम साइंस) और बीएड स्पेशल एजुकेशन (मानसिक रूप से विकलांग बच्चाों के लिए) ये स्पेशलाइज्ड कोर्स दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी इरविन कॉलेज में उपलब्ध हैं। रेगुलर बीएड के अलावा बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी बीएड (स्पेशल) प्रोग्राम की भी पेशकश करती है जिसके तहत विकलांग बच्चों को पढाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। नई दिल्ली के ही जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भी बीएड (नर्सरी) कोर्स करवाया जाता है जिसमें प्री-प्राइमरी और लोअर प्राइमरी लेवल के लिए अध्यापकों को प्रशिक्षित किया जाता है। बैलचर्स डिग्री के साथ बीएड आपको ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) बनाने की योग्यता दे देती है, अब आप कक्षा 10 तक के बच्चों को पढा सकते हैं। मास्टर्स डिग्री के साथ बी.एड. होने पर कक्षा 11-12 को पढाने की पात्रता मिलती है।
प्रशिक्षित अध्यापकों की मांग
सरकारी आंकडों के मुताबिक देश में प्राइमरी, माध्यमिक स्तर पर लगभग 12 लाख और सेकेंडरी स्तर पर यानी कक्षा 9 और 10 के लिए लगभग 2 लाख अध्यापकों की कमी है। यह बीएड और अन्य स्तर पर प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी दर्शाती है। इस कमी को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। जिसके तहत छात्र और अध्यापक अनुपात 1:30 तय किया गया है। अध्यापकों की नियुक्ति के कडे मानक रखे गए हैं। अर्थव्यवस्था के बदलते स्वरूप में बीएड डिग्रीधारियों के सामने अध्यापन के अलावा भी कई विकल्प हैं। आप शिक्षा प्रशासन, शोध, नियामक या परामर्श कार्य से जुडे संस्थानों में नौकरी के लिए प्रयास कर सकते हैं। इनमें कुछ हैं-नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी), स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी), नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एनयूईपीए), यूएसआईडी, यूनिसेफ और एजुकेशनल कंसल्टेंट्स ऑफ इंडिया। शिक्षा में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी से भी बीएड करने वालों के सामने करियर के विकल्प बढे हैं। आज एजुकोम्प सॉल्यूशंस तथा एवरॉन एजुकेशन जैसी कंपनियों में प्रयास कर सकते हैं। ऎसी कंपनियों को ऎकेडेमिक कंटेंट राइटर्स (अकादमिक विषयों पर लिखने वाले) और ऎकेडेमिक काउंसलर्स की जरूरत होती है। अध्यापकों को प्रशिक्षित करने वाले कॉलेजों में परंपरा से ह्युमेनिटीज (मानविकी) पृष्ठभूमि वाले छात्रों की भरमार होती रही है। लेकिन पिछले कुछ समय से अन्य पृष्ठभूमि वाले छात्रों को भी यह कोर्स आकर्षित करने लगा है। मीडिया प्रोफेशनल्स, एमबीए ग्रेजुएट्स, एअर होस्टेस जैसे प्रोफेशनल्स भी बीएड कोर्स करने लगे हैं, इसकी वजह यह है कि भारत ही नहीं, विदेशों में भी नौकरी की बेहतर संभावनाएं हैं। दिलचस्प बात यह है कि सेना अथवा सशस्त्र बल अधिकारियों से शादीकरने वाली महिलाएं बीएड डिग्री लेना अधिक पसंद करती है क्योंकि स्कूल की नौकरी ऎसा प्रोफेशन है, जहां कя┐╜रियर में विराम के बिना ही वे पति के हर तबादले के साथ नई जगह पर नौकरी जारी रख सकती हैं। कुछ सेना अधिकारियों की पत्नियो बहुत उच्चा शिक्षित होती हैं लेकिन जब उनकी शादी हो जाती है तो पारिवारिक जीवन और कя┐╜रियर में संतुलन बिठाने के लिए वे अध्यापक पेशा अपना लेती है।
वेतन
सरकारी और निजी क्षेत्र में अध्यापकों का वेतन और सुविधाएं सरकारी नियमों से जु़डी हैं। केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग में स्कूल अध्यापकों के वेतन में 12,000-13,000 रू. की वृद्धि की सिफारिश की गई थी। सरकारी स्कूल में टीजीटी का शुरूआती वेतन 26,000 रू. हो सकता है तो पीजीटी (कक्षा 11 और 12) का वेतन 38,000 रू.। कई जाने-माने निजी स्कूल इससे अच्छा वेतन दे सकते हैं।
क्या तलाशते हैं नियोक्ता
भावी अध्यापक की योग्यताओं को अमेरिकी शिक्षविद बेंजामिन ब्लूम द्वारा निर्धारित शिक्षा के ध्येय-कॉग्निटिव, इफेक्टिव और साइकोमोटर-के संदर्भ में ही परखा जाता है। ये ध्येय ही अच्छे अध्यापक के गुण को परिभाषित कर देते हैं, मसलन-अध्यापक छात्र को विषय सुगमता से समझा सके, उसे प्रोत्साहित कर सके और छात्र को पढते-पढते खुद सक्षम बनने में मददगार बन सके। सिर्फ बीएड डिग्री ही नौकरी पाने के लिए पर्याप्त नहीं है, नियोक्ता दूसरे पेशों की तरह यहां भी कुछ करने की इच्छा और उत्साह जैसे गुण देखता है। धैर्य, सीखते रहने की इच्छा और योग्यता, समय के साथ व्यक्तित्व का विकास करते रहने, जैसे गुण महत्वपूर्ण हैं। दूसरे शब्दों में, अध्यापक आधे या अधूरे मन से किया जाने वाला काम नहीं है, यह पूर्ण समर्पण और सतत प्रयास की अपेक्षा करता है।
पेशे से जुडी कुछ भ्रांतियां
स्कूल अध्यापन 8 से 2 बजे तक की आरामदेह नौकरी नहीं है, जैसा कि इसके बारे में आम धारणा है, जैसाकि इसके बारे में आम धारणा है। रोज स्कूल के बाद अगले दिन पढाने की तैयारी, कापियां जांचने में घंटों लग जाते हैं। सामान्यतया माना जाता है कि बीएड को कोई और चारा न होने पर अंतिम उपाय के रूप में लिया जाता है, खासकर वे बच्चो जिन्हें कहीं और दाखिला नहीं मिल पाता। अध्यापन पेशे के बारे में दूसरी भ्रांति-जो युवाओं को बीएड करने को हतोत्साहित कर सकती है, वह यह कि स्कूल में पढाना जल्द ही उबाऊ हो जाता है और क रियर वहीं रूक जाता है। इस धारणा का आधार भी कमजोर है। हालांकि कुछ ऎसे अध्यापकों का अनुभव जरूर पुष्टि करता है कि इसमें बौद्धिकता का प्रस्फुटन नहीं हो पाता और साल दर साल एक ही विषय पढाते रहने से ऊब-एक रसता होने लगती है। लेकिन ऎसा तो लगभग हर प्रोफेशन में होता है, अरसे तक काम करते रहने के बाद पेशे में दोहराव, ऊब और ठहराव जैसे नकारात्मक पहलू आ जाते हैं, फिर स्कूल अध्यापन को ही इन अवगुणों से लैस क्यों माना जाए, जिसका मूल उद्देश्य ही सीखने और ज्ञान अर्जित करने में दिलचस्पी पैदा करना है। यही एक वजह है कि अध्यापकों को प्रशिक्षित करने वाले इस बात पर जोर देते है कि इस पेशे में जो युवा आ रहे हैं, उनकी सोच सकारात्मक होनी चाहिए। यह भी कि वे हमेशा कुछ न कुछ नया सीखते रहने, नई सोच और अनुभव के लिए तैयार हों।

संतुष्टि : पिछले कुछ सालों में बीएड कोर्स और पूरी स्कूल व्यवस्था जिस बदलाव से गुजरी है, वह भी शिक्षा में नवीनता का संकेत है। लेडी इरविन कॉलेज केबीएड क्लासरूम में इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट बोड्र्स का इस्तेमाल होता है, जिनका प्रयोग लिखने के अलावा कई कार्यो के लिए हो सकता है। इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी सूत्रों के मुताबिक वहां भी इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नालॉजी और माइक्रोटीचिंग जैसी नई तकनीक प्रयोग होती है। फिर भी यह प्रश्न तो सामने रह ही जाता है : आप आखिर स्कूल अध्यापक बनना ही क्यों चाहते हैंक् छात्र को पढाने और मेधा पल्लवित करने में बेहद संतुष्टि मिलती है। हमारे छात्र जो सफलता पाते हैं, उसके लिए आभार प्रगट करने और भविष्य के लिए आशीर्वाद लेने हमारे पास आते हैं। यह इस पेशे की गुरूता दर्शाने को काफी है।
बीएड कोर्स: एक नजर में
संस्थान : सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, (डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन ऑफ दिल्ली यूनि.), जामिया मिल्लिया इस्लामिया-दिल्ली, महाराजा सायाजीराव यूनि. बडौदा, श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसे (एनएनडीटी) वुमेन्स यूनिवर्सिटी-मुंबई, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और कलकतत्ता यूनिवर्सिटी।
मान्यता
जो भी बी.एड प्रोग्राम आप करें वह नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए। जो कोर्स इस संस्था द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है वे केन्द्र और राज्य सरकार या कॉलेज, यूनिवर्सिटी, स्कूल तथा केन्द्र व राज्य सरकारों से सहायता प्राप्त शिक्षा संस्थानों में नौकरी के लिए वैध नहीं होंगे। कोर्स सामग्री बीएड कोर्स में कुछ अनिवार्य विषय होते हैं, कुछ इलेक्टिव विषय आप चुन सकते हैं, इसके अलावा प्रेक्टिकल्स भी होते हैं। मिसाल के तौर पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के बीएड कोर्स की थ्योरी और प्रैक्टिकल की संरचना इस तरह है।
पार्ट ए: थ्योरी कोर्स
1 : शिक्षा सिद्धांत के बुनियादी विचार कोर्स
2 : शिक्षा का मनोविज्ञान कोर्स
3 : आधुनिक भारतीय शिक्षा:
(क) इसका विकास एवं नवीनतम इतिहास
(ख) इसका संगठन एवं व्यवहार
(ग) स्वास्थ्य शिक्षा कोर्स
4 : मैथाडालॉजी ऑफ टीचिंग
(स्कूल में पढाए जाने वाले दो विषय, मसलन केमिस्ट्री और मैथ)
स्कूल में पढाया जाने वाला विषय-1
स्कूल में पढाया जाने वाला विषय-2
कोर्स 5 : अनिवार्य इलेक्टिव (कुछ उपलब्ध विषय हैं, आर्ट एजुकेशन, बेसिक एजुकेशन, करियर गाइडेंस, कंप्यूटर एजुकेशन और पिछडे वर्ग के बच्चों की शिक्षा)
पार्ट बी: प्रेक्टिकल स्कूल एक्सपीरिएंस प्रोग्राम (एसइपी) एंड पे्रक्टिकल स्किल्स नि टीचिंग स्कूल टीचिंग सब्जेक्ट-1 स्कूल टीचिंग सब्जेक्ट-2 सेशनल प्रेक्टिकल वर्क (विभाजन इस तरह)
(क) प्रेक्टिकल स्कूल असाइनमेंट्स
(ख) ट्येटोरियल वर्क
(ग) साइकालॉजी प्रेक्टिकल्स
(घ) विजुअल एजुकेशन
(च) वर्क एक्सपीरिएंस
(छ) को-करिकुलर एक्टीविटीज (शारीरिक शिक्षा भी शामिल है।)
(ज) कम्युनिटी वर्क।

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