राजेश खन्ना के बंगले का नाम"आशीर्वाद" हुआ "वरदान आशीर्वाद", अनिता बेहद दुखी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 22 , 2012

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  राजेश खन्ना के बंगले का नाम


हिन्दी फिल्मों के पहले और आखिरी सुपर सितारे रहे स्वर्गीय राजेश खन्ना नफरत की दुनिया को छोड के प्यार की दुनिया में चले गए हैं। लेकिन काका के बंगले का नाम "आर्शीर्वाद" से बदलकर "वरदान आशीर्वाद" कर दिया है। इस बंगले को लेकर पिछले दस सालों से राजेश खन्ना के साथ लिव इन रिलेशन में रह रही अनिता आडवाणी बंगले का नाम बदलने से बेहद दुखी है।

वैसे इस बंगले की भी अपनी एक कहानी है। एक नजर उस पर—
राजेश खन्ना को अपने बंगले "आशीर्वाद" से बेहद प्यार था। मुंबई के कार्टर रोड पर स्थित इस बंगले को खरीदने के बाद राजेश खन्ना ने इसे कभी नहीं छोडा और उनकी अंतिम यात्रा भी इसी बंगले से निकली। राजेश की ख्वाहिश थी कि इस बंगले को उनका म्युजियम बना दिया जाए और संभव है कि उनकी यह इच्छा पूरी की जाए। कभी आशीर्वाद को लोग भूत बंगला कहा करते थे। दशकों पुरानी बात है जब यह बंगला खाली पडा रहता था जबकि इसके आसपास काफी लोग रहते थे। जब यह बहुत दिनों तक खाली रहा तो लोगों ने इसे भूत बंगला कहना शुरू कर दिया। इसका मालिक इसे कम कीमत पर बेचने के लिए तैयार था। जब यह बात फिल्म अभिनेता राजेंद्र कुमार को पता चली तो उन्होंने इसे खरीदने में रूचि ली। राजेंद्र कुमार को इस बंगले के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि यह भूत बंगला है और इसे उन्हें नहीं खरीदना चाहिए। राजेन्द्र कुमार ने सुना सबको लेकिन किया अपने मन का। उन्होंने इस बंगले को उस जमाने में साठ हजार रूपये में खरीदा। साठ के दौर में साठ हजार रूपये की बहुत कीमत थी। कहने वालों ने तो यहाँ तक कहा था कि राजेन्द्र कुमार ने वास्तविक कीमत से ज्यादा इसकी कीमत दी है और वे नुकसान में जाएंगे। राजेन्द्र कुमार ने अपनी बेटी के नाम पर इस बंगले का नाम "डिंपल" रखा।
बंगले में रहने के लिए वे आएं और उनकी किस्मत ही बदल गई। देखते ही देखते राजेन्द्र कुमार बॉलीवुड की जुबली कुमार बन गए। उनकी फिल्मों ने लगातार सफलता प्राप्त करके हिन्दी फिल्मों में एक नया इतिहास रचा। वैसे बडी हैरानी की बात है कि दर्शकों ने राजेन्द्र कुमार को सराहा जबकि न तो उन्हें नृत्य करना आता था और न ही उनके चेहरे पर ऎसे हाव भाव आते थे जिससे उन्हें अभिनेता कहा जा सके। उनका चेहरा हमेशा सपाट रहता था फिर चाहे दृश्य दुख अभिव्यक्त करने का हो या फिर मुस्कुराने का। कुछ वर्ष इस बंगले में रहने के बाद राजेंद्र कुमार ने दूसरी जगह बंगला ले लिया और वहां रहने लगे। "डिंपल" को बेचने में उनकी कोई रूचि नहीं थी। उस समय राजेश खन्ना बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने में व्यस्त थे। उन्हें यह बंगला पसंद था। जब उन्हें पता चला कि राजेंद्र कुमार अब यहां नहीं रहते हैं तो उन्होंने राजेंद्र कुमार से कहा कि वे ये बंगला खरीदना चाहते हैं। राजेंद्र कुमार तैयार नहीं हुए, लेकिन काका ने जिद कर उन्हें मना ही लिया।


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