ओटीटी ने विकल्प दिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि थिएटर का समय खत्म हो गया : माधुरी दीक्षित
By: Team Aapkisaheli | Posted: 28 Dec, 2025
मुंबई। सिनेमा हमेशा से ही लोगों के मनोरंजन का सबसे बड़ा जरिया रहा है। बड़े पर्दे पर फिल्म देखना एक अलग अनुभव होता है, लेकिन हाल के वर्षों में सिनेमा देखने के तरीके और आदतों में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। टिकट की बढ़ती कीमतें और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की सुविधा को लेकर बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने एक इंटरव्यू में अपनी राय साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे इन बदलावों ने सिनेमा उद्योग और दर्शकों की पसंद पर असर डाला है।
माधुरी दीक्षित ने कहा, अच्छी फिल्में अभी भी दर्शकों को आकर्षित करती हैं, लेकिन बढ़ती टिकट कीमतें अब परिवारों को सोच-समझकर ही फिल्म देखने के लिए मजबूर कर रही हैं। पहले लोग बिना ज्यादा सोचे थिएटर में फिल्म देखने चले जाते थे, लेकिन अब एक परिवार के लिए टिकट का खर्चा इतना बढ़ गया है कि उन्हें बजट के हिसाब से ही फैसला करना पड़ता है कि कौन-सी फिल्म देखनी है और कौन-सी छोड़नी है।
माधुरी का कहना है कि यह सिर्फ बजट पर ही नहीं, बल्कि दर्शकों के थिएटर जाने के अनुभव और योजना बनाने के तरीके पर भी असर डाल रहा है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की वजह से लोग अब अपने घर पर ही फिल्में आसानी से देख सकते हैं। काम के बाद थककर घर आने वाले लोग रात में थिएटर जाने की बजाय अपने आरामदायक घर में ही फिल्म देखना पसंद करते हैं। अब लोग घर पर पॉपकॉर्न और स्नैक्स बना कर, पूरी सुविधा के साथ फिल्म का आनंद ले सकते हैं। ओटीटी की यह सुविधा विशेष रूप से उन लोगों के लिए आसान है, जो सप्ताह में हर दिन काम करते हैं और शाम के समय थिएटर जाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है।
माधुरी ने कहा, आजकल ज्यादातर लोग शाम को साढ़े आठ या नौ बजे तक घर आते हैं। इसके बाद थिएटर जाने में समय और ऊर्जा लगती है, इसलिए अब वीकेंड या छुट्टियों में ही लोग थिएटर का रुख करते हैं। यही कारण है कि परिवारों को टिकट का खर्च और समय दोनों देखकर ही फिल्म चुननी पड़ती है। अच्छी फिल्में अभी भी चलेंगी, लेकिन दर्शकों के निर्णय अब और सोच-समझ कर होते हैं।
माधुरी दीक्षित ने यह भी साझा किया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और थिएटर दोनों के अपने फायदे हैं। ओटीटी की सुविधा सस्ती और आरामदायक है, जबकि थिएटर में बड़े पर्दे और अनुभव का मजा कुछ अलग ही होता है। लोग अभी भी सिनेमा का अनुभव पसंद करते हैं, लेकिन कुछ चीजों में सुधार की जरूरत है ताकि लोग थिएटर जाने का फैसला खुशी-खुशी करें।
माधुरी ने कहा कि उन्हें सिनेमा के भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं है, बल्कि यह जरूरी है कि अनुभव और सुविधाओं में सुधार हो। अभिनेत्री ने कहा, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने दर्शकों को फिल्मों को देखने के विकल्प दिए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि थिएटर का समय खत्म हो गया। यदि फिल्म अच्छी है, तो वह चलेगी और लोग थिएटर में भी देखने आएंगे। फर्क केवल इतना है कि अब लोग ज्यादा सोच-समझकर और अपने समय और खर्च का ध्यान रखकर निर्णय लेते हैं।
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