...तो बाहुबली 2 को कभी नहीं पछाड़ सकती आमिर की दंगल!

By: Team Aapkisaheli | Posted: 22 May, 2017

...तो बाहुबली 2 को कभी नहीं पछाड़ सकती आमिर की दंगल!
आमिर खान अभिनीत, निर्मित और नितेश तिवारी निर्देशित ‘दंगल’ चाइना बॉक्स ऑफिस पर जो कमाल कर रही है, वह अपने-आप में बेमिसाल है। चाइना में भारतीय सितारे आमिर खान कितने लोकप्रिय हैं, फिल्म की कामयाबी इसका जीता जागता उदाहरण है। ‘दंगल’ की कमाई को लेकर जो समाचार इन दिनों मीडिया में प्रकाशित हो रहे हैं उनमें कहा जा रहा है कि यह फिल्म ‘बाहुबली-2: द कन्क्लूजन’ को पीछे छोडने में कामयाब हो जाएगी। उपलब्ध आंकडों को देखते हुए ऐसा होना संभव है। दंगल ने अब तक 1501 करोड का कारोबार किया है, वहीं निर्देशक एस.एस. राजामौली की ‘बाहुबली-2’ ने बॉक्स ऑफिस पर 1538 करोड का कारोबार किया है। आंकडों की दृष्टि से यह अंतर ज्यादा नहीं है। ‘दंगल’ इस आंकडे को आज या कल पार करने में सफल हो जायेगी। यह सफलता एक उपलब्धि है लेकिन इसकी तुलना ‘बाहुबली-2’ से करना बेमानी है। ‘बाहुबली-2’ ने जो कुछ किया है वह सिर्फ अपने प्रदर्शन के 21 दिनों में किया है, सबसे बडी बात यह है कि वह अभी तक चाइना में प्रदर्शित नहीं हुई है, जबकि दंगल पूरे विश्व में प्रदर्शित हो चुकी है। चाइना में प्रदर्शित होने से पूर्व दंगल ने पूरे विश्व में मात्र 765 करोड का कारोबार किया था, जबकि प्रभास अभिनीत बाहुबली-2 ने अकेले भारत में ही 21 दिनों में नेट 973 और ग्रॉस 1,256 करोड और ओवरसीज मार्केट में इसने 282 करोड का कारोबार करने में सफलता प्राप्त कर ली। यह उपलब्धि अपने आप में एक मिसाल है, जिसका मुकाबला आमिर खान की ‘दंगल’ कभी नहीं कर सकती।

यह तय है कि जब कभी राजामौली की ‘बाहुबली-2’ चाइना बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शित होगी, निश्चित रूप से यह वहां पर आमिर खान की दंगल के स्थापित रिकॉर्ड को तोडने में कामयाब होगी। कहा जा रहा है कि ‘बाहुबली-2’ की सफलता में उसके स्पेशल इफैक्ट का बडा हाथ है। ‘बाहुबली-2’ में बडे-बडे सैट्स हैं, भव्य फिल्मांकन है, उच्च तकनीक है, जबकि ‘दंगल’ में कोई बडा सैट, भव्य फिल्मांकन, स्पेशल इफेक्ट या उच्च तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया है, यह पूरी तरह से मिट्टी में फिल्मायी गई फिल्म है, जिसे दर्शकों ने न सिर्फ सराहा है बल्कि उसे सफलता भी दिलाई है। यह सब तर्क अपने आप में सही हैं। इन तर्कों को छोडकर यदि दोनों फिल्मों के कथानक पर गौर किया जाये तो हमें पता चलेगा कि दोनों का कथानक भी अलग है। एक राजा-महाराजाओं के जमाने की कथा है और एक वर्तमान को दर्शाती गाथा है। राजामौली और नितेश तिवारी की फिल्में ‘एक व्यक्ति एक लक्ष्य’ को लेकर हैं।

यही इन दोनों फिल्मों की सबसे बडी और मजबूत समानता है जिसने दर्शकों की विचार शक्ति को न सिर्फ प्रभावित किया है बल्कि उन्हें सोचने की एक नई दिशा दी है। सिनेमा समाज को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, यह गलत धारणा है। वास्तविकता इसके विपरीत है समाज सिनेमा को बदलता है, उसे नई कहानियां, नई सोच को परदे पर उतारने का मौका देता है। ‘दंगल’ में एक व्यक्ति विशेष की इच्छाओं को पूरा करने का दृढ़ संकल्प है, वहीं ‘बाहुबली-2’ में एक व्यक्ति का लक्ष्य अपने पूर्वजों की बेइज्जती का बदला लेना है। दोनों निर्देशकों ने अपनी-अपनी सोच और कल्पना शक्ति के सहारे इसे फिल्माया है। ‘बाहुबली-2’ जहां फंतासी है, वहीं ‘दंगल’ वास्तविकता के धरातल पर है। दंगल एक व्यक्ति की जीवन गाथा है। यह एक जीता जागता इंसान है, जबकि बाहुबली-2 निद्रा में देखा गया एक भव्य स्वप्न है।

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