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गोरा रंग और काबिलियत

By: Team Aapkisaheli | Posted: 12 Apr, 2012

गोरा रंग और काबिलियत
आज बात चाहे किसी लडकी की शादी की हो या फिर किसी मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी नौकरी की, चुनाव की प्राथमिकता गोरा रंग ही होता है। भारतीय समाज में लडकी का गोरा होना उतना ही अनिवार्य है जितना कि सब्जी में नमक का होना। भारतीय समाज में रंगत के चलते भेदभाव होना एक आम सामाजिक समस्या है जिसके चलते एक गहरी रंगत वाली लडकी को कभी न कभी भुक्तभोगी होना ही पडता है। वहीं यदि कोई लडकी मॉडल, एंकर या अभिनेत्री बनना चाहती है तो इन करियर क्षेत्र को चुनने की पहली शर्त लडकी का गोरा होना होता है। घर से लेकर बाहर तक लडकियों को अपनी गहरी रंगत के चलते कई प्रकार के भेदभाव से गुजरना ही पडता है आखिर एक लडकी की त्वचा का रंग काला या गोरा होना समाज के लोगों के लिए इतने मायने क्यों रखता हैक् विदेश में भारतीयों के साथ यदि रंग के आधार पर भेदभाव होता है तो कितना हल्ला मचाया जाता है। लेकिन जब अपने ही देश में लडकियों के साथ रंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है तो विरोध में कहीं से कोई आवाज भी सुनाई नहीं देती है।
मनोवैज्ञानिकों की राय
इन सभी प्रश्नों के उत्तर के रूप में मनौवैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय समाज हमेशा से पुरूष प्रधान रहा है और अभी भी है я┐╜स्त्रयों को हमेशा से घर के काम करने और सजा-धजा कर घर में रखने की वस्तु के रूप में देखा जाता है। भारतीय मानसिकता के अनुसार घर में रखी जाने वाली कोई भी चीज सुंदर होनी चाहिए। जब स्त्री को भोग-विलास की वस्तु के रूप में देखा जाता है तो अपेक्षा की जाती है कि घर की स्त्री भी गोरी और सुंदर हो। वहीं अधिकतर पुरूषों की मानसिकता होती है कि वे शिक्षित, कम सुंदर लडकी को गर्लफ्रेंड तो बना सकते हैं लेकिन उन्हें पत्नी सुंदर और गोरी चिट्टी ही चाहिए। क्योंकि गोरी बीवी को वे और उसके घरवाले एक उपलब्धि के तौर पर मानते हैं और उससे पैदा होने वाली संतान गोरी होगी, ऎसी अपेक्षा करते हैं। इसीलिए सांवली रंगत वाली लडकी की खूबियों को भी नकार दिया जाता है।
गोरी रंगत की चाहत के पीछे क्या मुख्य कारण हैं आइए जानते है-
शिक्षा और समझ की कमी
पहले की अपेक्षा भारत में साक्षरता दर कई गुना बढ गई है। किताबी ज्ञान लेकर अच्छे पदों पर काम तो कर रहे हैं लेकिन उस ज्ञान का इस्तेमाल वह चीजों को समझने और देखने में इस्तेमाल कम ही करते हैं। वो अभी भी चीजों को अपने नजरिए से ही देखते चले आ रहे हैं। पारिवाकि माहौल
भारतीय घर परिवार में बचपन से लडके या लडकी के दिमाग मे यह डाल दिया जाता है कि लडकियों को गोरी, सुंदर और सुशील होना चाहिए। गोरी रंगत की लडकियां ही सुंदर होती हैं। गहरी रंगत की लडकियों की शादी होने में परेशानी होती है। बचपन से सुनते-सुनते लडके और लडकियों के दिमाग में यह बात बैठ जाती है और बडें होकर सुंदरता को समझने का यही नजरिया बन जाता है।
अंग्रेजों की हुकूमत का असर
भारतीय लोगों की गोरी चमडी के पीछे दीवानगी का मुख्य कारण ब्रिटिश लोगों द्वारा भारत पर कई वर्षा तक राज करना भी रहा है। क्योंकि ब्रिटिश लोग गोरा होना एक अभिमान की बात मानते थे और भारतीय लोगों को काली चमडी वाला कहकर हेयदृष्टि से देखते थे। वे स्वयं को शासक और गहरी रंगत वाले भारतीयों को गुलाम समझते थे। अंग्रेज तो भारत छोडकर चले गए लेकिन यह मानसिकता भारतीय लोगों के दिमाग में बस गई।
विज्ञापन और फिल्मों का असर
टीवी पर दिखाए जाने वाले कई विज्ञापनों में भी दिखाया जाता है कि सांवली रंगत वाली लडकी को छोडकर गोरी रंगत वाली लडकी को नौकरी पर रख लिया जाता है। इन सभी विज्ञापनों में गोरी रंगत लडकी में काबिलियत को माना जाता है और उसे प्राथमिकता दी जाती है। ऎसे विज्ञापन देखकर लोगों के मन में यह भावना बैठ जाती है कि लोगों का प्यार और जीवन में सफलता हासिल करने के लिए काबिलियत के साथ-साथ गोरी रंगत होना भी जरूरी है।
पुराने साहित्य व मानसिकता
गोरी रंगत के प्रभुत्व के पीछे कहीं ने कहीं हमारे देश में रचनाकारों व कवियों द्वारा रचे गए साहित्य व कविताएं भी हैं। क्योंकि रचनाकारों ने अपनी रचनाओं में सुंदर नारी की छवि जहां भी प्रस्तुत की हैं उसमें गोरे रंग को सुंदरता का प्रतीक दर्शाया गया है।
कैसे दूर करें इस समस्या को
वर्षो से चली आ रही इस सोच को बदलने के लिए हमे कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है ताकि कोई अपनी गहरी रंगत के चलते किसी तरह के भेदभाव का शिकार नहंीं हो- रंग नही काबिलियत देखें
लडकी की रंगत नही उसके व्यवहार, गुण, शिक्षा और काबिलियत को देखें। क्योंकि जीवन इन सभी बातों पर चलता है। किसी की गोरी रंगत सही जीवन जीने का प्रमाण नहीं होता है। किसी को ताना देने का हक न दें
त्वचा गोरी हो या काली, इससे कोई फर्क नहीं पडता। व्यक्ति में आत्मविश्वास होना चाहिए। किसी को इतना हक नहीं दें कि वो आपकी रंगत को लेकर ताना दे सके क्योंकि कुछ बनना या बनाना आपके हाथ में होता है। जागरूक बनें त्वचा की रंगत को लेकर बनी इस दकियानूसी सोच में बदलाव लाने के लिए जरूरी है लोग शिक्षित हों और चीजों को देखने का अपना नजरिया विकसित करें। परिवार के लोगों को समझाएं अपने घर-परिवार के लोगों को ही समझाने की आवश्यकता है कि किसी लडकी की गहरी रंगत होना कोई पाप नहीं है, यह तो इंसान की बनावट और रंग अलग-अलग और भगवान द्वारा दिए होते हैं। रंगों के आधार पर किसी के गुणों का पता लगाना सही मानसिकता नही हैं।
मानसिकता बदलें
इस सोच को बदलने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले महिलाएं ही अपनी इस सोच को दुरूस्त करें। गोरी रंगत के आधार पर किसी अन्य लडकी के गुणों का अंदाजा नहीं लगाएं। बल्कि उसकी अन्य खूबियों को देखकर कोई निर्णय लें। खुद का सम्मान करें किसी भी लडकी को अपने से प्यार करना सीखना चाहिए। त्वचा का रंग काला है यह सोचकर दुखी होने के बजाए पहले अपना सम्मान करना सीखें और सबसे बडी बात अपने आपको जानें।

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