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महिलाओं में अच्छा होता है, कलर सेन्स

By: Team Aapkisaheli | Posted: 19 Sep, 2012

महिलाओं में अच्छा होता है, कलर सेन्स
वैज्ञानिकों का कहना है कि महिला और पुरूषों के दिमाग रंगों की जानकारी को अलग-अलग तरह से प्रोसेस करते हैं। इसका यह मतलब हुआ कि अगर दोनों नारंगी रंग को देखें तो पाएंगे कि महिलाओं की तुलना में वह पुरूषों को ज्यादा लाल दिखाई देता है। इसी तरह घास पुरूषों को पीलापन लिए, जबकि महिलाओं को हरी दिखाई देती है। यह अंतर रंगों के शेड्स में बरकरार है। न्यूयॉर्क की सिटी यूनिवर्सिटी में हुए एक्सपेरिमेंट्स के मुताबिक, पुरूषों को पीले, हरे और नीले कलर के शेड्स में अंतर करने में भी दिक्कत हुई।
पुरूषों और महिलाओं के रंग पहचानने की क्षमता में यह अंतर तो बहुत बारीक-सा है पर इससे यह तय होता है कि अगर कलर चार्ट के दर्जनों रंगों में से कोई एक रंग छांटना हो तो महिलाएं यह काम बेहतर तरीके से करेंगी। इस दिलचस्प एक्सपेरिमेंट में महिला और पुरूष वॉलंटियर्स के सामने रंगों की चमक दिखाई गई और उनसे कहा गया कि उनके नाम लिखें। इनमें सभी की नजर ठीक थी और उनमें से कोई भी कलर ब्लाइंड नहीं था। खास बात यह है कि महिलाओं की तुलना में यह रोग पुरूषों में ज्यादा होता है।
एक रिसर्चर में पाया गया है कि अंतर दरअसल दोनों के दिमाग में है। यहां मेल सेक्स हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन पुरूषों के दिमाग पर असर डालता है और आंख से मिलने वाली जानकारी को प्रभावित करता है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि महिलाएं चखने और सूंघने के मामले में भी पुरूषों से आगे हैं। हां, एक बात में पुरूष बाजी मार ले जाते हैं, वे किसी चलते हुए दृश्य की बारीकियां अच्छी तरह से नोट कर सकते हैं। पुराने समय में यह खूबी शिकार के समय पुरूषों के काम आई होगी और मॉर्डन दुनिया में यह टीवी पर क्रिकेट या फुटबॉल मैच देखने में काम आती हंै।

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