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क्यों बढ रही है बच्चों में रीडिंग प्रॉब्लम

By: Team Aapkisaheli | Posted: 05 Sep, 2012

क्यों बढ रही है बच्चों में रीडिंग प्रॉब्लम
आज इस इंटरनेट, टीवी और सैटेलाइट के जमाने में बच्चों का ध्यान या तो किताबों की ओर जा ही नहीं पाता या फिर वे किताबें पडना ही नहीं चाहते। बच्चो अगर पडने से मन चुराते हैं या आसानी से रीड नहीं कर पा रहें हैं तो कुछ ट्रिक्स से पैरेंट्स उनकी मदद कर सकते है। कहानियों से करें आकर्षित
हालांकि माता-पिता अपने बच्चो को ज्यादा से ज्यादा वक्त देते हैं, लेकिन जब बच्चो के पास बैठने की बात आती है तो इसमें उनको कुछ मश्किल होती है, पर यह जरूरी है। बच्चो को पहले कहानी सुनाकर उनको आकर्षित करें। इसके बाद पैरेंट्स स्टोरी का एक बैंक बनाकर रखें, ताकि बच्चो इन्हें सुन या देख सकें। इस तरह धीरे-धीरे बच्चो में किताबों की ओर रूचि जागेगी।
बचपन से किताबों से रू-ब-रू करायें
बच्चो में किताबों के प्रति रूचि तभी से उत्पन्न करें, जब वे समझने लायक हो जाएं। काने का मतलब यह है कि 2-3 साल की उम्र से ही बच्चो को किताबों से दोस्ती करायें। बच्चो की किताबों में दिलचस्पी जगाने का सबसे अच्छा उपाय है कि पैरेंट्स उन्हें शुरू से सब पढकर सुनाएं, लेकिन ध्यान रखें कि पढें जाने वाले इस मैटर में बच्चो के साथ पैंरेट्स की भी रूचि होनी चाहिए। ऎसा ना होने पर वे अच्छे तरीके से बच्चो को समझा नहीं पाएंगे और नतीजतन बच्चो उस बात से कटने लगेगें।
बच्चो की पसंद भी जानें
अगर एक बार बच्चो को कोई किताब पसंद आ गई तो वह उसे तब तक बार-बरे पढेगा, जब तक कि उसे पूरी तरह समझ ना ले या उससे उसका मन ना भर जाए। कुछ बच्चो टीवी प्रोग्राम को बच्चो एक्सप्लोर कर सकते हैं। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप भी अपने बच्चो में किताबों के प्रति रूचि पैदा कर सकते हैं।
रीडिंग हैबिट्स डालें
बहुत कम मातापिता बच्चो में रीडिंग हैबिट्स डालते हैं जाहिर है कि इससे बच्चो की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। अगर पैरेंट्स अपने बच्चो के साथ बैठकर पढने के लिए समय निकालें तो यह बात बच्चो के भविष्य के लिए मजबूत नींव का काम करेगी। शुरूआत करें छोटी-छोटी कहानियों और घटनाओं से और फिर बच्चो को अच्छा साहित्य पढने को दें तथा उनका महत्व भी बताएं।

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