जब सास बन जाए सहेली
By: Team Aapkisaheli | Posted: 21 Nov, 2012
आज के नहीं बल्कि बज से सास नाम का जन्म हुआ तभी से यह सामाजिक धारणा बन गई कि सास वो है जो सांस अटका दे। जबकि असके विरपरीत देखा जाए तो आज की सास की परिभाषा बदल गई है। वो अब पहले की तरह बस बहू को काम करने का आर्डर नहीं देती बल्कि अब उसका काम में हाथ भी बंटाती है।
सास से मिलता है इमोशनल सपोर्ट
चाहे बहू कामकाजी हो या फिर हाउस वाइफ अनुभवी सास के साथ वक्त बिताकर आप बहुत कुछ सीख सकती हैं। आपकी हर बात को सुनने के लिए शायद आपके पति के पास वक्त ना हो लेकिन आपकी सासु मां जरूर आपकी बात सुन सकती है। वो दुख में इमोशनल सपोर्ट का काम करती है। अगर आप किसी बात को लेकर परेशान हैं तो ऎसे में आपकी सासू मां आपकी तकलीफ को समझती है और अगर वो उस समस्या का समाधान कर सकती है तो करती भी है। वह एक महिला होने के नाते अपनी बहू के दुख से सास बनने के पहले ही जुड जाती है।
रिश्तों की एहमियत को समझाना
किस रिश्ते कोज्यादा एहमियत देती हैं और खुद बहू भी उस रिश्ते को एहमियत देने लगती है। इसलिए सास का होना बेहद जरूरी है। यही नहीं बल्कि सास आपके पति के साथ आपकेरिश्ते को मजबूत बनाने में भी सहायता करती है। एक वही होती है जो आपको पति से जुडी हर छोटी से छोटी बात को जानती है और आपको भी बताती है। सास द्वारा दी गई जानकारी से आप अपने पति का और भी अच्छे से ख्याल रख सकती हैं और अपने प्यार भरे रिश्ते को और भी मजबूत बना सकती हैं।
रीति-रिवाज को अच्छे से सिखाना
एक लडकी जब अपने ससुराल में आती है तो एक उसकी सास ही होती है जो उस घर के रीति-रिवाजों व जिम्मेदारी के बारे में उसे बताती हैं। एक सास ही होती हैं जो ससुराल के रीति-रिवाजों से आपको अवगत कराती है, यही नहीं बल्कि अगर आपकी सास है तो आपको कम जिम्मेदारी निभानी पडती है। आपको ससुराल का हर काम करना ही सास के होने पर ऎसा जरूरी नहीं होता। सास के साथ मेंने से आपके कई काम आसान हो जाते हैं। आप बेफिक्र होकर घर की टेंशन छोड बाजार जा सकती हैं या फिर आपको जरूरी काम से बाहर जाना है तो अपने बच्चाों को उनके पास छोड सकती हैं।