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गुरूर् देवो भव:

By: Team Aapkisaheli | Posted: 05 Sep, 2012

गुरूर् देवो भव:
शिक्षक दिवस माने साल में एक दिन बच्चों द्वारा टीचर्स को भेंट किया गया एक गुलाब का फूल या कोई भी गिफ्ट। नहीं यह टीचर दिवस मनाने का सही तरीका नहीं है। टीचर्स डे हम सभी मनाते आए है। आपने भी मनाया है। हमने भी मनाया है। लेकिन इस दिन को मनाना तभी सही मायने में सार्थक सिद्ध होगा जब आप अपने टीचर के प्रति सही नजरिया रखें। पिछले कुछ ही समय में ऎसी कई घटनाएँ देश और दुनिया में घटी है जो आपके व्यवहार, वातावरण और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। चाहे वह घटना सभरवाल कांड हो या फिर किसी शिक्षक द्वारा भरी क्लास में या एकांत में स्कूली छात्रा के कप़डे का नाप लेना हो। या फिर किसी शिक्षक द्वारा बच्चे के कप़डे उतारकर उसे दंडित करना हो। यह सब बातें हमें किस ओर इंगित करती है। यह समझना आज बहुत जरूरी हो गया है। या तो शिक्षक वो शिक्षक नहीं रहे जो अपने छात्रों को वह सही संस्कार दे सकें। या फिर आजकल के शिक्षकों में अहंकार, अत्याचार, ईर्ष्या और द्वेष का भाव बहुत ज्यादा मात्रा में आ गया है। यह सब मैं इसलिए नहीं कह रही हूँ कि मैं शिक्षकों का आदर करना नहीं जानती, या फिर मैं शिक्षकों के खिलाफ हूँ।
समाचार पत्रों में टीवी पर आये दिन हमारे आमने-सामने, आस-पास घटित होने वाली उन घटनाओं सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ये सब हो क्या रहा हैक् क्या किसी भी छात्र संगठन के छात्रों द्वारा शिक्षकों को अपमानित करना, उनके साथ मारपीट करना ये वाक्या किस हद तक सही है। अभी कुछ दिनों पहले ही एक स्कूल 11वीं के छात्र ने अपने टीचर की जमकर धुनाई कर दी थी। उस छात्र ने ऎसा क्यों किया यह सोचना भी एक बहुत ब़डा पहलू है। अगर हम मान भी लेते है कि हो सकता है उस बच्चे की कोई मजबूरी रही हो, या उस बच्चे को गुस्सा बहुत ज्यादा आता हो तो शिक्षक द्वारा कहीं गई बातों का, शिक्षक द्वारा उस छात्र के साथ किए गए व्यवहार से आहत होकर उस बच्चे ने इतना खौफनाक कदम उठाया। बात जो भी हो, लेकिन तरीका तो गलत ही हुआ।
शिक्षक से मिलता है विधा का वरदान
शिक्षक को हम विद्या का वरदान देने वाले भगवान का दर्जा देते आए है। उनके प्रति हमारे मन असीम प्यार, और स्त्रेह छुपा होता है। तो फिर छात्र द्वारा अपने शिक्षक के साथ किया गया यह व्यवहार कैसाक् क्या आजकल के बच्चों को स्कूलों में सही शिक्षा, सही वातावरण नहीं मिल रहा है या फिर आपके घर के संस्कारों में कुछ कमी है। जो आप जरा-जरा सी बात पर मरने-मारने पर उतारूँ हो जाते है।
शिक्षक का महत्व
अगर आप शिक्षक दिवस का सही महत्व समझना चाहते है तो सबसे पहले आप इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि आप एक छात्र है, और अपने शिक्षक से उम्र में काफी छोटे है। और फिर हमारे संस्कार भी तो हमें यही सिखाते है कि हमें अपने से ब़डों का आदर करना चाहिए। अपने गुरू का आदर-सत्कार करना चाहिए। उनकी बात को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए। अगर आपने अपने Rोध, ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज बोएँ तो निश्चित ही आपका व्यवहार आपको बहुत ऊँचाइयों तक ले जाएगा। और तभी हमारा शिक्षक दिवस मनाने का महत्व भी सार्थक होगा।

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