1 of 1 parts

नीम: कडवा मगर सौ रोगों की दवा

By: Team Aapkisaheli | Posted: 17 Apr, 2012

नीम: कडवा मगर सौ रोगों की दवा
नीम एक ऎसा पेड है जो सबसे ज्यादा कडवा होता है परंतु अपने गुणों के कारण चिकित्सा जगत में इसका अपना एक अहम स्थान है। नीम रक्त साफ करता है। दाद, खाज, सफेद दाग और ब्लडप्रेशर में नीम की पत्ती का रस लेना लाभदायक है। नीम कीडों को मारता है इसलिये इसकी पत्ती कपडों और अनाजों में रखे जाते हैं। नीम की दस पत्तियां रोजाना खायें रक्तदोष नहीं होगा। नीम के पंचांग जड, छाल, टहनियां, फू ल पत्ते और निंबोरी उपयोगी हैं। इन्ही कारणों से हमारे पुराणों में नीम को अमृत के समान माना गया है। अमृत क्या है-जो मरते को जिंदा करे। अंधे को आंख दे और निर्बल को बल दे। नीम इंसान को तो बल देता ही है पेड-पौधों को भी बल देता है जैसे- खेतों में नीम के पानी की दवा बनाकर डाला जाता है। नीम आंख-कान-नाक-गले और चेहरे के लिए उपयोगी
आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं। आंखों में सूजन हो जाने पर नीम के पत्ते को पीस कर अगर दाई आंख में है तो बाएं पैर के अंगूठे पर नीम की पत्ती को पीस कर लेप करें। ऎसा अगर बाई आंख में हो तो दाएं अंगूठे पर लेप करें, आंखों की लाली व सूजन ठीक हो जाएगी। अगर कान में दर्द हो या फ ोडा-फुं सी हो तो नीम या निंबोली को पीस कर उसका रस कानों मे टपका दें। कान में कीडा गया हो तो नीम की पत्तियों का रस गुनगुना करके इसमें चुटकी भर नमक डालकर टपकाएं, एक बार में ही कीडा मर जाएगा।
अगर बहुत जरूरत हो तो दूसरे दिन भी डालें। अगर कान में दर्द हो तो 20 ग्राम नीम की पत्तियां, 2 तोला नीला थोथा (तूतिया) डालकर पीस लें व इसकी छोटी छोटी गोलियां बनाकर सुखा लें और फि र काले तिल या साधारण तेल में पका लें। जब टिकिया जल जाए तो इस तेल को छान कर रख लें, अब एक तीली मे रूई लगा कर इस तेल में डुबोकर कान साफ करें, बार बार रूई बदलें। अगर कान से पीप आ रहा है तो नीम के तेल में शहद मिलाकर कान साफ करें पीप आना बंद हो जायेगा। सर्दी-जुकाम हो गया हो तो नीम की पत्तियां शहद मिलाकर चाटें। खराश ठीक हो जाएगी। ह्रदय रोग में नीम रामबाण का काम करता है। अगर आपको ह्रदय रोग हो, तो नीम की पत्तियों की जगह नीम के तेल का सेवन करें। नीम पीस कर त्वचा पर लगाएं ज्यादा फ ायदा होगा।
दांत और पेट के रोग का इलाज
दांतों को नीम, बबूल की दातुन से साफ करें, अगर संभव हो तो एक बार घर पर ही इसका मंजन बना लें जिसमें जली सुपारी, जले बादाम के छिलके, 100 ग्राम खडिया मिट्टी, 20 ग्राम बहेडे, थोडी सी कालीमिर्च, 5 ग्राम लौंग, एक आधा ग्राम पिपरमिंट को पीस कर छान लें। इसे मंजन की तरह इस्तेमाल करें। दांत की सब बीमारियां, पायरिया, दुगंüध दूर हो जाएगी। अब पेट के बारे में देखें, अगर अपच हो जाये तो निंबोरी खाएं रूका हुआ मल बाहर निकालता है। रक्त स्वच्छ करेगा और भूख अधिक लगेगी। बासी खाना खाने से पित्त, उल्टियां हो, तो इसके लिये नीम की छाल, सोंठ, कालीमर्च को पीस लें और आठ-दस ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लें। तीन चार दिनों में पेट साफ हो जायेगा। यदि दस्त हो रहे हों, तो नीम का काढा बनाकर लें। गंदे पानी के मच्छर-मक्खी से होने वाले रोग तेजी से फैलते हैं। इसका उपाय भी नीम से है पांच लौंग, पांच बडी इलायची, महानीम(बकायन) की सींकें पीसकर पचास ग्राम पानी में मिलाकर थोडा गर्म कर लें। ये एक बार की मात्रा है। इसे दो-दो घंटे बाद बनाकर देते रहें। साथ-साथ हाथ पैरों में नीम के तेल की मालिश भी करें। कमजोरी दूर होगी। अगर किसी रोगी को पेशाब नहीं आ रही है तो नीम के पत्ते पीसकर पेट पर लगाएं, ठीक हो जायेगा। यदि पेट में कीडे हों तो नीम की नई कोपलों के रस में शहद मिलाकर चाटें कीडे समाप्त हो जाएंगे। पानी में नीम के तेल की कुछ बूंदें डालकर चाय की तरह पी जाएं। बच्चे को 5 बूंद व बडों को 8 बूंद से ज्यादा नहीं लेना है। नीम के पत्ते जरा सी हींग के साथ पीस लें और चाट जाएं, पेट के कीडे नष्ट हो जाएंगे।
त्वचा व बालों का इलाज
रक्त को शुद्ध करने के लिये नीम को वरदान ही समझिए। नीम की छाल का काढा बनाकर पी लें। नीम की 20-25 नई कोपलें ले लें, चार-पांच दाने काली मिर्च डाल कर बेसन की रोटी में मिलाकर बनाए घी में खूब तर कर लें। इस तरह कम से कम आठ दिन तक खाएं। हाथ-पांव में अधिक पसीना आता हो, तो नीम रोगन का तेल अच्छी औषधि है। चेहरे पर कील मुंहासे होने पर नीम का तेल लगाएं। झाइयां और चेचक दाग छुडाने के लिये निंबोरी का तेल लगाएं। फ ोडे-फु ंसी हो, तो नीम की छाल घिसकर लेप करें। अगर बालों में लीख, जुएं हों तो नीम का तेल लगाएं। गंजापन हो गया हो तो नीम का तेल लगाएं। बाल पकने लगें तो नीम तथा बेर की पत्तियां पानी में उबालकर उस पानी से सिर धोएं। यदि बाल काले करना हो तो नीम को पानी में उबाल कर सिर धोएं। कम से कम एक महीने में नतीजा आपके सामने होगा। कुष्ठ रोग उपचार के लिये नीम वरदान समान है। इस रोग का इलाज नीम से हो सकता है। कुष्ठ रोग फू ट जाये तो नीम के नीचे सोएं, नीम खाएं, नीम बिछाकर सोएं। बुखार, पुराना बुखार, टाईफ ाइड हो, तो 20-25 नीम के पत्ती 20-25 काली मिर्च एक पोटली में बांधकर आधा किलो पानी में उबालें। पानी खौलने दें ढक्कन लगाकर रखें, ठंडा होने पर चार हिस्से बनाकर सुबह-शाम दो दिन तक पिलाएं।

Mixed Bag

Ifairer