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मौत का खतरा बनी टावर की तरंगें

By: Team Aapkisaheli | Posted: 23 Nov, 2012

मौत का खतरा बनी टावर की तरंगें
आज के समय में देश के हर बडे शहरों से लेकर छोटे शहरों तक में और जहां घनी आबादी के बीच मोबाइल टॉवर लोगों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक ये टॉवर आबादी से बाहर होने चाहिए। इन टॉवरों के रेडिएशन के कारण दिल्ली में पक्षियों पर भी असर पडा है। यहां गौरेये की संख्या में कमी आने के कारण गौरेया बचाओ अभियान शुरू करना पडा है। दरअसल पक्षियों का चहचहाना इको सिस्टम का अच्छा संकेत माना जाता है मगर दुर्भाग्य से अब सुबह चिडियों की चहचहाने से नहीं घडियों के अलार्म से लोग जागते हैं। मोबाइल टॉवरों के रेडिएशन को अब गंभीरता से लिया जाने लगा है। अब इन्हें कम से कम स्कूलों और अस्पतालों के आसपास से हटाने की बात की जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि मोबाइल टॉवर इतनी ज्यादा संख्या में लगे हैं कि इन सबको हटाना मुश्किल लग रहा है।
फिर इनसे निकलती मौत की तरंगों को कौन रोकेगा। कई शहरों में कराए गए रिसर्च से यह बात सामने आई हैं कि जिन शहरों में इन टॉवरों की संख्या तेजी से बढी हैं, वहां पक्षियों खासकर गौरेये की संख्या में तेजी से कमी आई है। इसके साथ-साथ मधुमिक्खयों के लिए भी यह रेडियशन खतरनाक साबित हुआ है। यह इलेक्ट्रो मैगनेटिक रेडिएशन न सिर्प पक्षियों बल्कि फल-सब्जियों के साथ-साथ दूध पर भी पडता है। मोबाइल टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन से पेडों पर भी बुरा असर पडता है, उनके फल देने की क्षमता भी कम हो जाती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह रेडिएशन अगर लिमिट में भी हो, फिर भी यह मानव शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है। जिससे बाद में कई बीमारियां होती हैं।
अब तो रेडिएशन से ब्रेन हेमरेज और कैंसर होने की भी बात कही जा रही है। इसके अलावा मोबाइल टॉवर और मोबाइल हैंडसेट से निकलने वाले रेडिएशन से हर पल सेहत को नुकसान पहुंचता रहता है। सुनने की क्षमता में कमी आती है। दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर, हर वक्त थकान, याददाश्त का कम होना और लगातार सिरदर्द, ये सारे लक्षण रेडिएशन के कारण हैं। आजकल की भागती-दौडती जिंदगी में लोगों को मोबाइल के बिना एक दिन भी काम नहीं चलता। मोबाइल पर बात करने की इतनी बुरी आदत पड चुकी है कि घंटी न भी बजे, तो ऎसा लगता है कि घंटी बज रही है। अगर ऎसा है तो सावधान हो जाइए क्योंकि मोबाइल रेडिएशन आपकी सेहत पर असर डाल रहा है। कुछ सावधानियां ऎसी हैं जिन्हें बरतना बेहतर होगा। मोबाइल पर जब भी बात करें खुले में करें। हालांकि कई बार यह मुमकिन नहीं मगर स्पीकर से चिपका कर न रखें। जब इसका इस्तेमाल न कर रहे हों, तो दो फुट से ज्यादा की दूरी पर रखें। मोबाइल से निकालने वाला रेडिएशन बच्चों की सेहत को भी काफी नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें। मोबाइल पर गेम खेलना तो बेहतर है पर ज्यादा समय तक इंटरनेट इस्तेमाल करना खतरनाक है।
मोबाइल पर ज्यादा लंबी-बातचीत से बचना चाहिए। अगर ज्यादा बात करनी हो, तो कार्डलेस फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सुरक्षित है। मोबाइल पर जब भी बात कर रहे हों, तो थोडी दूरी बनाए रखें। ब्लूटूथ से बात करना और भी खतरनाक है क्योंकि इसे ऑन करते ही एक्सट्रा पावर की ज्यादा जरूरत होती है। मोबाइल टावरों की बात करें, तो इसे घरों की छतों से हटाकर खाली जगह में लगाना चाहिए ताकि इससे निकलने वाले खतरनाक रेडिएशन से मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षी और पेड-पौधे सबका बचाव हो सके। अक्सर लोग दो-दो मोबाइल पास रखते हैं जिससे उनकी सेहत को खतरा और बढ जाता है।

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