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शादी में बढते खर्चो से होने वाली परेशानियां

By: Team Aapkisaheli | Posted: 21 Nov, 2012

शादी में बढते खर्चो से होने वाली परेशानियां
शादी काफी धूम-धाम से होनी चाहिये। समाज के सामने हमारी नाक नहीं कटनी चाहिये। कुछ ऎसी ही बातों के चलते सदियों से भारतीय शादियों में लोग अपनी-अपनी हैसीयत के अनुसार निमंत्रण पत्र, सजावट, कपडों और खाने पर लाखों करोडों रूपये स्वाहा करते आ रहे हैं।
शादियों पर होने वाला खर्च लडकी के घरवालों के लिये नासूर बनता जा रहा है और यह नासूर लोगों को तभी सेसालने लगता है जब उनके घर में लडकी जन्म लेती है। कुछ ऎसी ही परेशानियों से बचने के चलते कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं को बढावा मिलता है।
शादी में झूठी शान के चलते होने वाला खर्च एक नहीं अनेक समस्याओं को जन्म देता है जो इस तरह हैं- लडके वालों की मांग के अनुसार यदि लडकी के घरवालों के पास पैसा नहीं होता है तो मजबूरी वश उन्हें कर्ज लेकर शादी पर खर्च करना पडता है। एक दिन की खातिर लिया गया यह कर्ज लडकी के घरवालों पर कई वर्षो तक भारी पडता है।
पमाज में एक-दूसरे के घर की शादियों को देखकर अन्य लडके वालों का मन बढता है और वे भी देखा-देखी अपने बेटे की ऎसी ही शादी के सपने देखते हैं। शादी के खर्च को देखते हुए कई घरों में माता-पिता लडकी की पढाई-लिखाई पर खर्च नहीं करते हैं।
जिस कारण लडकियों की पढाई आधी-अधूरी हो पाती है और वो अपने पैरों पर खडी नहीं हो पाती हैं। लडके वाले इजत और समाज की दुलाई देते हुए अनाप-शनाप खर्चे लडकी के घरवालों कोबताते रहते हैं, जिन्हें पूरा करने में लडकी के घरवालौं को अपना घर और जमीन तक बेचनी पड जाती है लेकिन फि र भी लडके वालों को संतुष्टि नहीं होती है।
कैसे खत्म होगी
इस नासूर के दर्द को समझते हुए ही केंद्रीय महिला एवं वाल कल्याण मंत्रालय ने पहल करते हुए शादी में होने वाले खर्च को रोकने व कम करने के लिये एक प्रस्ताव लाने की बात की है, जिसमें लडकी वाले केवल दूल्हे और उसके करीबी रिश्तेदारों को केवल चाय-नाश्ते कराने की जा रही है साथ ही इससे संबंधित कानून भी ड्राफ्ट करने की बात भी की जा रही है, जिसके अतंर्गत सभी धर्म की शादियां दिन में ही होंगी क्योंकि रात की बजाय दिन में शादी निपटने से काफी हद तक खर्चो पर लगाम लग सकती है।
अगर आप बेटी के नाम पर पैसा जोडते भी हो तो उस पैसे को बेटी के एकांउट में जमा करा दें ताकि उस पैसे का इस्तेमाल वो अपने बुरे समय में कर सके और उसे किसी का मुंह ना ताकना पडे। अगर हम ये कहें कि समाज के लोग अपने मे बदलाव लाये तो यह कभी हो ही नहीं सकता क्योंकि समाज की परंपराओं में बदलाव समाज के लोग नहीं करते हैं क्योंकि समाज में किसी को किसी की परवाह नहीं होती है। जब भी समाज में बदलाव हुए हैं वो सब कानून के बल पर ही हुए हैं। लेकिन कितनी हा
स्यस्पद बात है कि समाज के नाम पर क्या-क्या कांड नहीं होता। सबसे बढी बात यह है कि यदि लडके वाले अच्छी शादी करने की बात करते हैं और अच्छे शब्द की आड में लडकी के घरवालों पर दबाव बनाते हैं तभी लडकी के घरवालों सचेत हो जाना चाहिये क्योंकि जिन रिश्तों की नींव पैसे, जेवर और गडी के लालच की बुनियाद पर टिकी होती है तो रिश्ते कभी भी भरभरा कर गिर सकते हैं।

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