जन्माष्टमी के पूजन की विशेष तैयारी
By: Team Aapkisaheli | Posted: 10 Aug, 2012
जन्माष्टमी पर पूजा पाठ को बहुत ही विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। खासतौर पर महिलाएं और युवतियाँ इस व्रत को करती हैं। कान्हा जन्म के उपलक्ष्य में मनने वाले इस त्यौहार पर महिलाएं अपने घर के मंदिरों को सजाकर लाला को पालने में झुलाती हैं। इसके पीछे भाव यह रहता है। कि जिस तरह कान्हा के जन्म पर गोकुल में आंनंद छाया था उसी तरह सब के घर में कान्हा आंनंद की बारिश करते रहें। शाчस्त्रय विधि नुसार इस उत्सव को आंनंद किस तरह लें यह हम यहां बाता रहे हैं।
- इस दिन सुबह तिल को जल में मिला कर स्नान करना शास्त्रों में भी उल्लेखित है।
- जन्माष्टमी के दिन अपने पापो के नाश व अभीष्ट कामना सिद्धि का संकल्प लेकर व्रत करना चाहिए।
- स्त्रान के बाद साफ-सुथरे कपडे पहनना चाहिए कृष्ण का ध्यान कर षोडशोपचार अर्थात् शास्त्रों में उल्लेखित 16 विधियों से भगवान का पूजन अर्चन करना श्रेयस्कर होता है।
- इस व्रत में खासतौर पर महिलाएं निराहार रह कर भगवान श्रीकृष्ण के नाम का जप करना चाहिए।
- रात में कान्हा के जन्म के समय शंख, मृदंग, घण्टा व अन्य वाद्य बजाकर भगवान का जन्मोत्सव मनाना चाहिए।
- जन्म के बाद घर में उत्सव और हरिनाम संकीर्तन होता रहता है। साथ ही लाला को भोग के रूप में धनिया-शक्कर की पंजीरी, खीर, मक्खन मिशरी का भोग लगाना चाहिए।
- जन्माष्टमी का त्यौहार एकदिवसीय ना होकर कई दिन चलता है। खासकर व्रत के अगले दिन मंदिरों में ब्राह्वाणो को अन्य, वस्त्र, स्वर्ण, रजत व मुद्रा दान करना चाहिए।