झण्डा ऊंचा रहे हमारा
By: Team Aapkisaheli | Posted: 14 Aug, 2012
तिरंगा हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। सभी के मार्गदर्शन और हित के लिए भारतीय ध्वज संहित-2002 में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है। जब झण्डा किसी भवन की खिडकी, बालकनी या अगले हिस्से से आडा या तिरछा फहराया जाए तो झण्डे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए। जब भी झण्डा फहराया जाए तो उसे समानपूर्ण स्थान दिया जाए।
उसे ऎसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। झण्डे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मँुह श्रोताओं की ओर हो तो झण्डा उनके दाहिने ओर हो । झण्डे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए। झण्डे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा पाए कि झण्डे को बिगुल की आवाज के साथ ही उतारा जाए।
झण्डा किसी अधिकारी की गाडी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाई ओर लगाया जाए। डकसी दूसरे झण्डे या पताका को राष्ट्रीय झण्डे से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, ना ही बराबर में रखा जाएगा। सरकारी भवन पर झण्डा रविवार और अन्य छुट्टीयों के दिनों में भी सूर्याेदय से सूर्यासत तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है।