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बच्चों में बढती जेबखर्च की आदत

By: Team Aapkisaheli | Posted: 01 Mar, 2013

बच्चों में बढती जेबखर्च की आदत
क्या आपके बच्चो की पौकेट मनी की आदत दिन ब दिन बढती जा रही है। अगर हां, तो अलर्ट हो जाएं और अपने पर्स के बढते भार को कम करने के लिए कुछ बुनियादी बातों का खास ध्यान रखें।

बच्चों को फिजूलखर्ची की हानिकारक आदत से बचाने के लिए उन्हें मार्केट साथ ले जाकर उनके लिए खुद चीजें खरीदिए ताकि वे मनी को खर्च करते वक्त अपनी आवश्यकता को अच्छी तरह समझ सके।

अगर बच्चो को पहली बार पौकेट मनी दे रही है तो शुरू में हर दिन बच्चो को पौकेट मनी दें।

अगर वह नहीं खोता है तो धीरे-धीरे हफ्ते भर का जब खर्च एक साथ दें। आय कम हो या ज्यादा बचत जरूरी है।

मनी सेविंग घर का नियम होना चाहिए। इस तरह बच्चे एक तो खर्च करने से पहले अनेक खर्च को ध्यान में रखना सीखते हैं, साथही उन्हें आय और खर्च का अंदाजा भी होता है।

उनकी डिमांड कम हो जाती है, वे पौकेट मनी को भी सोच-समझ करे खर्च करना सीखते हैं।

बच्चो को उकने बर्थडे पर अतिरिक्त जेब खर्च दें ताकि वह अपने मन के अनुरूप कुछ खरीद ले।

अगर बच्चो की एज 12 साल है तो उसको पौकेट मनी महीने भर का दें, ताकि वह अपनी जिम्मेदारी को समझ सके और मौका आने पर जिम्मेदारी का एहसास करा सके।

पहली तारीख के बाद जब आप महीने भर के खर्च की लिस्ट बनाएं तो बच्चों को भी साथ बैठाकर और हर खर्च की राशि का राशि निकालकर अलग लिफाफे में रख दें।

हर रोज चीज पर खर्च करने की सीमा निर्धारित कर दें यानी जींस, टी-शर्ट आदि पर उससे अधिक महंगा हो तो बच्चों से कहें कि वे अपनी पौकेट से पैसे मिलाकर खरीदें। इस तरह बच्चो सीमा में खर्च करना सीखते हैं।

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