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क्या सही, क्या गलत ?

By: Team Aapkisaheli | Posted: 25 Oct, 2012

क्या सही, क्या गलत ?
आजकल अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के ऑफिस खासकर कॉल सेंटर्स में जितने लडके काम करते हैं तकरीबन उतनी ही लडकियां भी नौकरी करती हैं। सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक एक-दूसरे का साथ होने का स्वाभाविक नतीजा दोस्ती है। एक सर्वे के अनुसार 57 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे ऑफिस प्रेम में या तो शामिल रहे हैं या ऎसा करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। अन्य दस प्रतिशत ने कहा कि वे फिलहाल आफिस प्रेम की गिरफ्त में हैं। आफिस रोमांस को समझने के भी कुछ नुस्खे हैं। अगर आप एक ऎसे बॉस हैं जिसे इन प्रेम प्रसंगों के चलते अपने लक्ष्य को हासिल करने में कठिनाई का सामना करना पड रहा है तो ऎसे प्रेम प्रसंगों पर नजर रखने के लिए ऑफिस की इन एक्टीविटी पर नजर रखें जब दो लोग हर घंटे बाद कॉफी ब्रेक की जरूरत महसूस करें तो समझ लें कि दोनों के बीच कुछ हो रहा है।
जब कमर्चारी कपडे लैटेस्ट डिजाइन के और नए-नए पहनकर दफ्तर आने लगें और दिवाली या ईद आसपास न हो तो समझो प्रेम पर बहार आई हुई है। जब दो लोग साथ आते हों और साथ जाते हों तो यह महज इत्तेफाक नहीं है भले ही वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हों कि वे आपस में अजनबी हैं। जब बार-बार मोबाइल पर एसएमएस आने लगें या हर आधा घंटे बाद मैसेंजर एलर्ट ई-मेल का संकेत देता हो तो समझ लें दो दिल धडक रहे हैं। जब आंखें आंखों को तलाश रही हों तो यह प्यार है। सर्वे के नतीजों पर किसी को ताज्जुब नहीं हुआ है। जो लोग दफ्तर जाते हैं उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि कार्यस्थल पर सोशल चैंजेस आ रहा है। खासकर इसलिए भी क्योंकि आज काम का भी दबाव है और करियर का भी, नतीजतन कर्मचारी ज्यादा से ज्यादा समय एक-दूसरे के साथ गुजार रहे हैं। ऎसे में प्रेम प्रसंगों की तादाद में इजाफा होना स्वाभाविक है। साथ काम करते समय एक-दूसरे को समझने का अच्छा मौका मिलता है। बेहतर आपसी समझ बन जाती है। एक-दूसरे के लिए सम्मान भी आ जाता है। ऎसे में कब प्यार अंकुरित हो जाए कुछ पता ही नहीं चलता। बहरहाल ये ऑफिस रोमांस कॉल सेंटरों तक ही सीमित नहीं है। दरअसल हो यह रहा है कि हर दफ्तर में वर्क फोर्स कम उम्र की है।
वे जिम्मेदारी की स्थिति में हैं, युवा हैं और अकेले हैं। कार्यस्थल पर उन्हें अपने जैसे ही दूसरे लोग मिलते हैं जिनकी दिलचस्पियां और पृष्ठभूमि भी उन जैसी ही होती हैं। ऎसे में यह बहुत प्राकृतिक प्रतीत होता है कि आपस में प्रेम संबंध विकसित हो जाएं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सहकर्मी से व्यक्तिगत संबंध बनाना अच्छा विचार है। पुराने लोग तो यह सुझाव दिया करते थे कि दफ्तर की रोशनाई अपने कलम में न भरे लेकिन यह सब जानते हुए अपने दिल पर काबू किसे रह पाता है। दरअसल मुसीबत उस समय खडी होती है जब संबंधों में खटास आ जाए और रिश्ते खराब अनुभव के साथ टूटें। इससे आपका काम भी प्रभावित होता है। अगर रिश्ते मर्यादित रहें तो हल्के-फुल्के रोमांस में कोई हर्ज नहीं। मनोविज्ञान कहता है ऎसे प्लेटोनिक लव से ताजगी मिलती है। लेकिन कुछ लडके और लडकियां खुलेपन की जिद में बदनामी की परवाह नहीं करते। यह सरासर गलत है क्योंकि ऑफिस आपका वकिं№ग प्लेस है इसे लव स्पॉट ना बनाएं और जरूरी नहीं कि जीवन भर आपको यहीं नौकरी में रहना पडे ऎसे में जब आप जॉब चैंज करेंगे तो आपकी बदनामी भी साथ जाएगी।

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