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रंगों का गृह सज्जा में महत्व

By: Team Aapkisaheli | Posted: 03 July, 2012

रंगों का गृह सज्जा में महत्व
गृह सज्जा में रंगों का विशेष महत्व है। घर में रंगों के प्रयोग सौन्दर्यत्पाद अत्यन्त आनन्ददायी प्रक्रिया है किसी भी सामान्य स्थान को रंगों के खुशनुमा प्रयोग से सुन्दर एवं मनोहारी बनाया जा सकता है। रंग एक जादुई प्रभाव रखते हैं, अँधेरे को रोशनी में बदलने का, उदासीन वातावरण को प्रफुल्लित करने का, गमनीक व्यक्ति को चहकाने का। घर एक ऎसा स्थान है जहाँ एक साथ कई प्रकार के रंगों के उपयोग की सम्भावनाएँ होती हैं। सूझबूझ से हम इन रंगों से घर में निखार ला सकते हैं सज्जा में अथवा वस्तु में होने वाली कमी को रंग द्वारा छिपाया जा सकता है।
रंग द्वारा स्थान के छोटे होने पर अथवा आवश्यकता से बडे होने पर विपरीत आभास उत्पन्न किया जा सकता है अलग-अलग कमरे में उस कमरे की क्रियाशीलता के अनुसार अभिव्यंजनाएँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। रंग का उपयोग जानने से पहले हम कुछ प्रमुख रंगों की विशेषताएँ जान लें तो हमें गृह सज्जा में उनके उचित उपयोग से सहायता प्राप्त होगी। विभिन्न रंगों का अस्तित्व- पीला- यह रंग प्रकाश का प्रतीक है तथा प्रकाश सदैव आशा, आनन्द, उल्लास एवं हल्केपन का पर्याय माना गया है। सज्जा के दृष्टिकोण से पीले रंग का विशेष महत्व है। पीला एक उष्ण रंग है जहां-जहां भी उपयोग में लाया जाता है। चमकीलापन भर देता है।
पीला रंग अन्य रंगों के साथ मिलाकर उपयोग करने में भी उस रंग को चमक प्रदान करता है। रंग योजनाओं में भी पीला रंग सामान्यत: सभी रंगों के साथ आकर्षक प्रभाव छोडता है और आजकाल फैशन जगत में इन है। बॉडीवुड हीरोइनों और मॉडलस इस पीले रंग को अधिक पसंद कर रही हैं। लाल-यह रंग उष्णता का उत्पादक है। यह रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है इस रंग में जीवन की लालसा के गुण पाये जाते हैं, तथा प्रफुल्लता और बडप्पन के भी गुणों से युक्त है। नीला-नीला रंग आरामदायक रंग है। यह शीतलता में विस्तृतता एवं वृहदता का गुण इस रंग के प्रयोग द्वारा भरा जा सकता है। यह रंग बहुलता से प्रयोग किया जा सकता है । यह रंग अपने साथ प्रयोग होने वाले रंगों को भी शीतल बना देता है।
हरा-यह रंग सम्पन्ना, स्फूर्ति एवं शीतलता का प्रतीक है किन्तु इस रंग का उचित प्रयोग ही सज्जा में किया जाना चाहिए। इसे सामान्यत: अन्य रंगों के साथ मिलाकर प्रयोग करने से इसकी उष्णता को कम किया जा सकता है।
नांरगी- लाल एवं पीले रंग से मिलाकर बना नांरगी एक उष्ण रंग है। इसका प्रयोग सज्जा में सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए यह रंग आशा व उत्साह का प्रतीक है। ठंण्डे स्थानों में अथवा ठंण्डे मौसम से इसका प्रयोग किया जाता है।
गुलाबी- गुलाबी रंग सबसे नाजुक रंग है तथा सज्जा में नाजुकता, सुन्दरता भर देता है प्राय: सभी रंगों के साथ प्रयोग किया जाता है यह एक शीतल रंग है। नवयुवतियों को गुलाबी रंग से काफी लगाव होता है।
बैंगनी- यह राजसी रंग कहलाता है। किन्तु सज्जा में उदासीनता उत्पन्नकरता है यह रंग लाल और नीले रंग के मिश्रण से बनता है। इसका प्रयोग सज्जा में बहुत आकर्षक प्रभाव नहीं छोडता अत: कम प्रयोग में आता है।
सलेटी- यह रंग एक उदासीन रंग है। काले एवं सफेद के सहायोग से बनता है। यह रंग सामान्यत: अधिक चटकीले रंगों के प्रभाव को कम करने के दृष्टिकोण से प्रयोग में लाया जाता है।
भूरा- यह रंग भारीपन का आभास देने वाला रंग है। सज्जा में शिथिलता उत्पन्न करता है। स्थान को कम करने का भी आभास देता है। इसका प्रयोग भी अन्य रंगों के साथ विशेषकर हल्के रंग के साथ आकर्षक लगता है। रंगों के विशिष्ट महत्व को जानने के बाद रंगों के सुरूचिपूर्ण प्रयोग के लिए हमें रंगों के प्रयोग के लिए हमें रंगों के प्रयोग को प्रभावित करने वाले कारणों को विषय में भी जानना आवश्यक है, क्योंकि के केवल रंग ही सुन्दरता सृजन करने में सक्षम नहीं है उनका उपयोग का तारीका, मात्रा, स्थान आदि ऎसे कई और कारक हैं जो रंगों के प्रयोग से सौन्दर्योत्पादन करते हैं।

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