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करिए मौसम की भविष्यवाणी और बना लीजिये अपना करियर

By: Team Aapkisaheli | Posted: 29 Sep, 2012

करिए मौसम की भविष्यवाणी और बना लीजिये अपना करियर
मौसम विज्ञानियों की बढ़ती भूमिका को देखते हुए आज युवा इस क्षेत्र की ओर अपने कदम बढा रहे हैं। आने वाले टाइम में इनकी मांग और बढ़ने वाली है क्योंकि कृषि प्रधान देश में अब ब्लॉक स्तर तक मौसम की भविष्यवाणी की जाने की प्लानिंग है। चुनिंदा मौसम केंद्रों पर डोप्लर वैदर रडार लगाए जाने के बाद से करीब दो हजार जगहों पर स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं मौसम का हाल बताने और लोगों को जागरूक करने का काम करने के लिए युवा मौसम विज्ञानी बनकर सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी काम को शुरू करने के पहले शुभ धडी देखी जाती है। शुभ धडी में मौसम का मन जरूर टटोला जाता है। यह मंगलकारी होगा या अमंगलकारी, यह बताने का काम एक समय में ज्योतिषियों के जिम्मे था लेकिन विज्ञान की बढ़ती भूमिका और वैज्ञानिक तर्क के आधार पर शुभ या अशुभ हाल बताने के लिए आज इस तरह की भविष्यवाणी मौसम विज्ञानी कर रहे हैं। समाज और दुनिया में ऎसे मौसम वैज्ञानिकों की कद्र और पूछ बढ़ी है। इन वैज्ञानिकों की आने वाले दिनों में मांग और बढ़ने वाली है क्योंकि कृषि प्रधान देश में अब ब्लॉक स्तर तक मौसम की भविष्यवाणी किये जाने की प्लानिंग है।

मौसम केंद्रों को हाइटेक किया जा रहा है। चुनिंदा मौसम केंद्रों पर डोप्लर वैदर रडार लगाए जाने के साथ ही करीब दो हजार स्थानों पर स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। यहां पर आंक़डे सीधे दिल्ली, पुणो व मुंबई से प्राप्त किए जाएंगे और मौसम विज्ञानी सुपर कंप्यूटर से आंक़डों का विस्तृत अध्ययन व विश्लेषण कर ब्लॉक स्तर के तापमान, बरसात, हवा व नमी आदि की भविष्यवाणी कर सकेंगे। कई संस्थाएं 10-15 दिन के मौसम और तापमान की जानकारी देते हैं।
स्किल मौसम की भविष्यवाणी करने वाले मौसम विभाग में हर शख्स कैमरे के सामने नहीं आता और न ही परदे पर दिखता है। यहां कुछ लोग मौसम के लिए आंक़डे एकत्रित करने में जुटे रहते हैं तो कुछ लोग वातावरण का अध्ययन करते हैं। कई शोध कार्य से जु़ड कर इस काम को सफल बनाते हैं। एक अच्छा मौसम वैज्ञानिक बनने या इस क्षेत्र में सफल होने के लिए पर्यावरण साइंस का ज्ञान होना जरूरी है।
छात्र को गणित और भौतिकी का बेसिक पता होना चाहिए। इसमें समस्या का हल निकालने के लिए विश्लेषणात्मक और तार्किक बुद्धि से लैस होना चाहिए। पर्यवेक्षण की शक्ति भी होनी चाहिए। छात्र को विभिन्न सोर्स से डाटा एकत्र करके उसकी व्याख्या करना आना चाहिए। छात्रों को कैमेस्ट्री की भी जानकारी होनी चाहिए। आज प्रदूषण के स्तर की माप और इस आधार पर मौसम में होने वाले फेरबदल का भी आकलन किया जाता है। ऎसे में मौसम विज्ञानियों से अपेक्षा की जाती है कि वह प्रदूषण के स्तर को मापते हुए मौसम की सटीक भविष्यवाणी करें।
योग्यता इस क्षेत्र में करियर बनाने वालों के लिए जरूरी है कि अभ्यर्थी ने बीएससी या भौतिकी और गणित की पढ़ाई की हो। जिस छात्र ने मेट्रियोलॉजी या एटमॉस्फेरिक साइंस में स्त्रातक किया है उसे भी यहां मौका दिया जाता है। आमतौर पर बीएससी के बाद एमएससी के छात्र ही आगे चलकर स्पेश्लाइज्ड कोर्स कर मौसम वैज्ञानिक बन सकते हैं। जिस छात्र ने भौतिकी के अलावा एमटेक, ओशिनोग्राफी आदि की पढ़ाई की है उसे भी यहां करियर बनाने का अवसर मिलता है।
अवसर राज्य या केन्द्र स्तर पर मौसम वैज्ञानिक की नियुक्ति बतौर साइंटिस्ट स्तर पर होती है। इसके लिए यूपीएससी हर साल रिक्त पदों के हिसाब से परीक्षा आयोजित करती है। मीट्रियोलॉजिस्ट यानी मौसम विज्ञानियों की नियुक्ति राज्यों की राजधानी में मौसम विभाग के सेंटरों पर होती है। इसके लिए महानगरों में बनाए गये रीजनल सेंटर पर इन्हें नियुक्त किया जाता है। साइंटिफिक असिस्टेंट और सीनियर आब्जर्वर की नियुक्ति कर्मचारी चयन आयोग करता है।

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