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बोर्ड एग्जाम की वक्त रहते तैयारी करें

By: Team Aapkisaheli | Posted: 01 Mar, 2013

बोर्ड एग्जाम की वक्त रहते तैयारी करें
एग्जाम चाहे बोर्ड हो या कोई और इम्तहान, यह सिफ बच्चों की ही परीक्षा नहीं होती है। यह उनकी सभी महत्वपूर्ण लोगों की भी परीक्षा होती है जो उसके करीबी होती हैं खासतौर पर माता-पिता। परीक्षा से 2-3 महीने पहले ही मातापिता बच्चों का टाइमटेबल बना देते हैं। उनके उठने-बैठने का वक्त निर्धारित कर देते हैं। आइये जानते क्या ठीक है।

बच्चों पर पाबदियां लगा दी जाती हैं कि ये करो या ना करो, एग्जाम टाइम है यह इससे खराब मत करो। इससे बच्चो के मन एक खौफ से बैठ जाता है और वे पढाई को बोझ समझने लगते हैं। उनके मन में टेंशन व्याप्त हो जाती है। परीक्षा का जैसे-जैसे टाइम करीब आने लगता है उनकी घबराहट बढने लगती है तथा उनकी हेल्थ पर इन सब का बुरा असर पडता है। ज्यादा तनावपूर्ण माहौल में भी पढाई में ठीक से मन नहीं लगता है। ऎसे बच्चों के मातापिता को चाहिए कि बच्चो के मन से बोर्ड का के नाम का जो डर है वह निकालना होगा और उसे समझाना होगा कि सिक तरह अपना टाइम मैनेजमेंट कर वह परीक्षा में अच्छे नम्बर ला सकता है, वह भी बिना किसी टेंशन के।

बच्चों में आत्मविश्वास का होना जरूरी है लेकिन अति विश्वास ठीक नहीं है। बोर्ड की तरह ही प्रीबोर्ड को भी गम्भीरता से लेना चाहिए। इसका एक बडा लाभ यह होता है कि बच्चो के कोर्स का एक बडा हिस्सा तैयार हो जाता है।

बच्चो को हर विषय के सैंपल पेपर हल करने चाहिए ताकि उन्हें अपनी गलतियों का पता चलता रहे और समय रहते ही वह उन्हें सुधार सके। पढाई के दौरान बच्चो को ज्यादा आरामदायक मुद्रा में नहीं बैठना चाहिए, इससे उसे आलस्य या नींद आने लगती है। बच्चो को पढने के लिए टेबल चेयर देनी चाहिए, इससे उसे आलस्य नहीं आता है और पढाई में भी मन लगा रहता है।

एग्जाम्स में 2-3 महीने पहले ही तैयारी करनेसे एक फायदा यह होता है कि आपको अपनी गलतियां मालूम हो जाती हैं तथा उनको सुधारने के लिए आपके पास वक्त भी होता है। स्कूल में जो पेपर दिए हैं या आपने सैंपल पेपर्स सॉल्व किये हैं उन्हें चैक करें तथा जो गलतियां हों ढूंटकर सुधारें।

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