दिल्ली गैंगरेप: दामिनी को मिला इंसाफ, चारों दोषियों को सजा-ए मौत

By: Team Aapkisaheli | Posted: 13 , 2013

2जी घोटाला : तीसरे आरोप पत्र पर फैसला सुरक्षित
दिल्ली गैंगरेप: दामिनी को मिला इंसाफ, चारों दोषियों को सजा-ए मौत
नई दिल्ली। बीते साल 16 दिसंबर की रात को चलती बस में 23-वर्षीय पैरा-मेडिकल छात्रा दामिनी को नौ माह बाद शुक्रवार को इंसाफ मिल गया। उसके साथ बर्बरतापूर्ण सामूहिक दुष्कर्म करने वालेचारों दरिंदों विनय शर्मा, मुकेश, पवन गुप्ता उर्फ कालू और अक्षय ठाकुर के अपराध को "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" की श्रेणी का मानते हुए मौत की सजा सुनाई।

 जज ने अपराधियों के प्रति नरमी बरतने से इनकार करते हुए कहा कि यह ऎसा अपराध है, जिसने समाज को हिलाकर रख दिया। फैसला सुनाते वक्त कोर्ट दोषियों के अलावा दामिनी के माता-पिता और काफी तादाद में वकील और अन्य लोगों से खचाखच भरा था। फैसला सुनते ही कोर्ट एवं बाहर जमा भीड में खुशी की लहर दौड गई और लोग खुशी से उछल पडे और नारे लगाने लगे।

फैसले पर दामिनी के माता-पिता ने भी संतोष जताते हुए कहा कि उनकी बेटी को इंसाफ मिल गया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडिशनल सेशन जज योगेश खन्ना ने दोपहर ढाई बजे सजा का ऎलान करते हुए कहा कि एक असहाय लडकी के साथ जघन्य अपराध किया गया है। उस लडकी की हत्या की, जिसके पास बचने का कोई उपाय नहीं था। जज ने कहा कि क्रूरता की सीमाएं तोडी गई हैं। उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया। ऎसे अपराध के लिए मृत्युदंड से कम कोई भी सजा नहीं दी जा सकती है। इसके बाद चारों को एक-एक कर सजा सुनाई गई।

बचाव पक्ष ने इस फैसले के बाद कहा कि यह सरकार के इशारे पर किया गया है, तथ्यों के बिना राजनीतिक दबाव में यह फैसला सुनाया गया है। उन्होंने कहा कि उनके पास अपील करने के लिए 2-3 महीने का वक्त है। अगर इन दो-तीन महीनों में किसी के साथ दुष्कर्म नहीं होता है, तो वह आगे अपील नहीं करेंगे। वहीं दिल्ली पुलिस ने भी इस फैसले पर संतुष्टि जताई है। बुधवार को सजा पर बहस पूरी होने के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 इससे पहले 10 सितंबर को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को हत्या और सामूहिक दुष्कर्म समेत आईपीसी की 11 धाराओं के तहत दोषी करार दिया था। इस मामले में छह आरोपी थे, जिनमें से एक राम सिंह ने तिहाड जेल में खुदकुशी कर ली थी, जबकि एक नाबालिग को इसी महीने तीन साल की सजा सुनाकर स्पेशल होम में भेजा गया है, जबकि उसी ने पीडिता के साथ सबसे ज्यादा क्रूरता की थी। अभियोजन पक्ष ने चारों दोषियों के लिए फांसी की मांग की थी, जबकि बचाव पक्ष के वकीलों ने अलग-अलग तर्क देकर रहम की अपील की थी। गैंगरेप की शिकार दामिनी के माता-पिता ने दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी।

सजा पर फैसले से ठीक पहले एक टीवी चैनल से बात करते हुए मां ने कहा था, हमें आज इंसाफ की उम्मीद है। उन्होंने जघन्य अपराध किया है। उनका बर्ताव जानवरों की तरह था। उन्हें फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। वहीं दामिनी के पिता का कहना था, मैं आज इस उम्मीद के साथ घर से निकल रहा हूं कि मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा और इस केस में इंसाफ बस फांसी की सजा है। फांसी से कुछ भी कम इंसाफ नहीं होगा।

 दूसरी तरफ इस मामले में दोषी सबसे कम उम्र के विनय शर्मा की मां ने उसकी जान बख्शने की गुहार लगाई थी।
दक्षिण दिल्ली की झुग्गी-झोपडियों में रहने वाली विनय की मां चंपा देवी के मुताबिक, जज को उन्हें सुधरने का अवसर देना चाहिए। भगवान तक हर इंसान को दूसरा मौका देता है। चंपा के मुताबिक, उनका बेटा विनय और दूसरा दोषी पवन गुप्ता अच्छे लडके हैं। दोनों मेहनती लडके रहे हैं और उनके खिलाफ कभी कोई शिकायत नहीं आई। उनके मुताबिक, रामसिंह ने उन्हें इस मुश्किल में फंसाया है।

 फैसले के दौरान कोर्ट के बाहर कडे सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। सुरक्षाबलों की तीन कंपनियां, दो डीसीपी, छह एसीपी, 15 इंस्पेक्टर और तकरीबन छह पुलिस थानों के आधे पुलिस कर्मचारी इंतजाम देख रहे थे। पुलिस पूरे माहौल की वीडियोग्राफी भी करवा रही थी। घटना पिछले साल 16 दिसंबर की है, जब दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 वर्षीय एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह युवक बर्बर गैंगरेप करने के बाद उसे एवं उसके दोस्त को मरणासन्न हालत में झाडियों में फेंक कर फरार हो गए थे। गंभीर रूप से घायल लडकी को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया, जहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी। वारदात के मुख्य अभियुक्त रामçंसह ने तिहाड जेल में खुदकुश कर ली थी इसलिए इसके खिलाफ ट्रायल बंद कर दिया गया था, जबकि एक दोषी नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड पहले ही तीन साल की सजा के तहत स्पेशल होम भेज चुका है।

किन धाराओं के तहत मिली सजा-

302 (हत्या) अधिकतम फांसी और न्यूनतम उम्रकैद 376 (2-जी) (गैंग रेप) अधिकतम उम्रकैद और न्यूनतम 10 साल की कैद 365 (अपहरण) 7 साल की कैद 366 (संबंध बनाने की नीयत से अपहरण) 10 साल तक की कैद 307 (हत्या का प्रयास) 10 साल की कैद 377 (अप्राकृतिक सेक्स) अधिकतम उम्रकैद और न्यूनतम 10 साल की जेल 395 (डकैती) अधिकतम उम्रकैद और न्यूनतम 10 साल तक की सजा 397 (मारने के इरादे से डकैती) 7 साल तक का कठोर कारावास 201 (सबूत नष्ट करना) 7 साल कारावास 120-बी (आपराधिक साजिश रचना) जिस अपराध के लिए साजिश रची गई उसी के तहत सजा 412 (चोरी का सामान रखना) अधिकतम उम्रकैद और न्यूनतम 10 साल तक का कठोर कारावास
2जी घोटाला : तीसरे आरोप पत्र पर फैसला सुरक्षितPrevious

Mixed Bag

Ifairer