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टेस्ट करवाएं समय रहते इलाज पाएं

By: Team Aapkisaheli | Posted: 11 Oct, 2012

टेस्ट करवाएं समय रहते इलाज पाएं
हम सभी सेहतमंद रहना चाहते हैं, लेकिन यह चाहत सिर्फ ख्यालों में ही रहती है और हम अक्सर इसके लिए कोई कदम नहीं उठाते। बीमार होने पर लगता है कि काश पहले ही इस ओर ध्यान दिया होता! जी हां, ऎसे तमाम मेडिकल टेस्ट हैं,जिन्हें अपनी उम्र के मुताबिक सभी को कराना चाहिए, फिर चाहे हम पूरी तरह फिट क्यों न हों। किस उम्र में, कौन-सा टेस्ट कराना चाहिए
टेस्ट कराने के फायदे
हमें यह जानकारी मिलेगी कि हम फिट हैं या नहीं। पूरी तरह फिट हैं तो पॉजिटिव एनर्जी मिलेगी। बीमारी की जानकारी वक्त रहते मिल जाएगी जिसे खतरनाक होने से रोका जा सकेगा। ऎसी बीमारी जो पुश्तैनी है उसे रोकने के लिए वक्त रहते जरूरी कदम उठा पाएंगे।
टेस्ट कराने से पहले
टेस्ट या चेकअप कराने से पहले अपनी फैमिली हिस्ट्री जान लें। ऎसा करने से जिस बीमारी की फैमिली हिस्ट्री ( देखें बॉक्स ) है, उसे लेकर हम सचेत हो जाएंगे। टेस्ट और उससे जु़डी बीमारी संबंधी अपने सारे सवाल एक पेपर पर लिख लें। चेकअप कराने जाते वक्त अपने साथ सभी पुराने टेस्ट की रिपोर्ट लेकर जाएं। किसी बीमारी का इलाज चल रहा हो, तो अपना प्रिçस्Rप्शन लेकर जाएं। चेकअप से एक दिन पहले कोई भी दवा लेने से बचें। हां, इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें। टीएमटी करानेवाले खासतौर पर बीटा ब्लॉकर्स और सॉरबिट्रेट से बचें। जिन टेस्ट के लिए खाली पेट जाना होता है, उनके लिए कम-से-कम 12 घंटे की फास्टिंग जरूर रखें यानी रात में डिनर के बाद कुछ न खाएं। सुबह चाय भी न पिएं। पानी पी सकते हैं। टेस्ट में अगर कोई भी चीज असामान्य लगती है तो नजरअंदाज न करें। फौरन संबंधित डॉक्टर को दिखाएं।
महिलाओं के लिए टेस्ट
नीचे दिए गए कॉमन टेस्ट के अलावा महिलाओं को कुछ टेस्ट अलग से भी कराने की जरूरत होती है। उनके शरीर में हॉर्मोनल बदलाव काफी तेजी से होते हैं। साथ ही , प्रेग्नेंसी प्लान करने के दौरान भी कई टेस्ट जरूरी होते हैं।
पीरियड शुरू होने से पहले
10-11 साल की उम्र में ब्लड टेस्ट कराएं , जिसमें ब्लड काउंट की जांच की जाती है। इससे एनीमिया ( खून की कमी ) का पता लगाया जा सकेगा। अगर पीरियड नियमित नहीं हैं तो पीसीओडी की जांच कराएं। कैल्शियम की कमी का भी टेस्ट करा लें।
प्रेग्नेंसी से पहले
प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले प्री - कन्सेप्शनल काउंसिलिंग कराएं , जिसमें सीबीसी , ब्लड ग्रूप , शुगर , थायरॉइड , थैलेसीमिया आदि का टेस्ट होना चाहिए।
कुछ और जरूरी टेस्ट
सर्वाइकल कैंसर के लिए : रोकथाम के लिए 9 से 45 साल की उम्र में सभी वैक्सीनेशन कराएं।
पेप स्मियर टेस्ट: सर्वाइकल कैंसर की जानकारी के लिए , पहली बार सेक्स करने के बाद हर दो - तीन साल में। सर्वाइकल कैंसर का टीका लगवाने के बावजूद पेप स्मियर्स कराना चाहिए। टीके लगाने के बावजूद सर्वाइकल कैंसर की आशंका सौ फीसदी खत्म नहीं होती क्योंकि यह कुछ ही वजहों से बचाव करता है। दूसरे , अगर टीके लगने से पहले कैंसर शुरू हो चुका हो तो भी टीकों का कोई फायदा नहीं है।
यूरीन रूटीन और यूरीन कल्चर
इन्फेक्शन की जानकारी के लिए 30 साल की उम्र से हर पांच साल में , लंबे समय तक इन्फेक्शन से किडनी की प्रॉब्लम हो सकती है।
अल्ट्रासाउंड पेल्विस
ओवरी के ट्यूमर के लिए , 30 साल की उम्र से हर दो साल में।
ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड
ब्रेस्ट कैंसर के लिए, 30 साल की उम्र से। 40 साल के बाद हर दो साल में। ग़डब़डी निकलती है तो मेमोग्राफी जरूरी। हर उम्र की महिला को खुद ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करना चाहिए।
नोट
अगर फैमिली हिस्ट्री है तो जिस उम्र में आपके परिवार की महिला को ब्रेस्ट कैंसर हुआ , उससे 10 साल पहले आप कैंसर के लिए स्निंग करा लें , मसलन अगर आपकी मां को 45 साल की उम्र में कैंसर का पता लगा तो आपको 35 साल की उम्र में ही कैंसर की जांच करा लेनी चाहिए।
बोन डेक्सास्कैन
हिप और स्पाइन की हड्डी की जांच के लिए , 50 साल की उम्र के बाद हर पांच साल में।
ये भी जरूरी टेस्ट
आंख
आंखों की जांच स्कूल एजुकेशन शुरू होने पर , 20 साल और फिर 30 साल की उम्र में एक बार करा लें। 30 साल के बाद हर तीन या पांच साल में जांच कराएं। दिक्कत है तो डॉक्टर के कहे मुताबिक जांच कराएं , वरना 40 साल की उम्र से हर दो साल में एक बार जांच करा लें। आमतौर पर कंप्यूटराइज्ड जांच काफी है। जरूरत प़डने पर दवा डालकर रेटिना जांच की जाती है।
दांत
दांतों का चेकअप और क्लीनिंग हर 6 महीने में कराते रहना चाहिए।
विटामिन डी
अगर धूप में कम बैठते हैं तो विटामिन डी की कमी जांचने के लिए टेस्ट कराएं। धूप की कमी से ऑस्टोमलेशिया यानी हçड्डयां कमजोर हो जाती हैं। आजकल अक्सर डॉक्टर जांच के बिना भी विटामिन डी के डोज की सलाह देते हैं। साल में 40 दिन 4-4 घंटे धूप में बैठने से विटामिन डी की पूर्ति हो जाती है। इस दौरान शरीर को थो़डा खुला रखें।
कुछ और टेस्ट
55-60 साल से ज्यादा होने पर डिप्रेशन स्निंग , ऑस्टियोपोरोसिस के लिए डेक्सास्कैन और डिमेंशिया व अलाइमर्स के लिए टेस्ट कराएं।

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