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महिलाएं बीमारियों को ना करें नजरअंदाज

By: Team Aapkisaheli | Posted: 19 Oct, 2012

महिलाएं बीमारियों को ना करें नजरअंदाज
घरेलू महिला या गृहिणी की परिभाषा में वे महिलाएं आती हैं जो शादी के बाद अपने घर परिवार की जिम्मेदारी उठाती हैं। पति कमाने जाता है और वे घर पर बच्चों के साथ पूरे घर को संभालती हैं। गृहिणी के लिए कहा जाता है कि उनके पास क्या काम है लेकिन देखा जाए तो घरेलू महिला कामकाजी महिला से ज्यादा व्यस्त और जिम्मेदार होती है। जो महिलाएं घर को छोडकर बाहर काम पर जाती हैं वे न तो घर की रह पाती हैं और न बाहर की। अर्थात् उनकी जिन्दगी दोहरी जिम्मेदारियों को अपने ऊपर लादती है। ऎसे में वे अपनी बीमारी को भी अनदेखा कर देती हैं। यहां हम आपको महिलाओं से जुडी कुछ ऎसी आम बीमारियां बता रहे हैं जिन्हें महिलाओं को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
रयूमेटायड अथर्राइटिस
रयूमेटायड अथर्राइटिस का जोडों पर आक्रमण होने से इम्यून सिस्टम पर प्रभाव पडता है। रयूमेटायड अथर्राइटिस के लक्षणों में सूजन आना, हाथ में, कलाई, नितंब, घुटने और पैर में दर्द की शिकायत होना होता है।
पीओसी पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
यह एक हार्मोनल डिस्आर्डर है। इसकी सबसे बडी पहचान है कि इससे अचानक से वजन बढने लगता है। महावारी अनियमित हो जाती है। मुंहासे की समस्या और गंजापन भी होने लगता है। यह समस्या महिलाओं में आम है। बच्चे पैदा करने की उम्र में लगभग 1 से 10 महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है। इस बीमारी का घातक लक्षण है कि लगभग 10 में से 5 फीसदी महिलाओं को पीओसी के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ह्वदय रोग और बांझपन का खतरा हो जाता है।
फोजन शोल्डर
इस स्थिति में कंधों के आसपास के कैप्सूल यानी संयुक्त कोशिकाओं में दर्द होना है। यह समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है। आमतौर पर यह समस्या 40 से 65 साल की उम्र के लोगों में अधिक देखने को मिलती है।
फाइब्रोमायलगिया
यह एक क्रानिक डिस्आर्डर है। इसके लक्षण अथर्राइटिस की ही तरह होते हैं। हालांकि इन दोनों ही बीमारियों के बीच बहुत अंतर है। इस बीमारी के लक्षणों में सुबह के समय जकडन महसूस होना, थकान और भारीपन महसूस होना।
ल्यूपस
इसे सिस्टमिक ल्यूपस एरिथमेटोसस के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या इम्यून सिस्टम में खराबी के कारण होती है। इसके लक्षणों में बुखार होना, चेस्ट पेन, जोडों में दर्द, जकडन और त्वचा में घाव इत्यादि है। यह बीमारी आमतौर पर महिलाओं को प्रजनन की उम्र के दौरान परेशान करती है.
कैंसर
वैसे तो कैंसर महिलाओं और पुरूषों दोनों को बराबर ही प्रभावित करता है, लेकिन कैंसर के भी बहुत से प्रकार है कुछ तो सिर्फ महिलओं में ही पाए जाते हैं। ओवरियन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर आमतौर पर महिलाओं को ही होता है लेकिन इसके साथ ही कुछ और तरह के कैंसर जैसे त्वचा कैंसर, लंग कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर महिलाओं को ही मुख्य रूप से प्रभावित करते हैं।
पेल्विक इनफ्लेमेटरी डिजीड
पीआईडी आमतौर पर यौन संक्रमित बीमारियां जैसे गोनोरिया और क्लै माइडिया के कारण गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब्स को नुकसान पहुंचता है। जिसके कारण महिलाओं की श्रोणि में सूजन और दर्द की शिकायत भी हो जाती है साथ ही बांझपन का खतरा भी बढ जाता है।

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