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ताजगी की युवा जुबां कॉफी...

By: Team Aapkisaheli | Posted: 03 July, 2012

ताजगी की युवा जुबां कॉफी...
कॉफी की लोकप्रियता हमेशा से ही गपशप और सृजनात्मक गतिविधियों से जुडी देखने को मिली है। गौरतलब है कि भारत के ख्यात लेखन, रंगमंच और अध्ययन-अध्यापन से जुडे व्यक्तियों ने कॉफी हाउस में बैठ कॉफी के प्याले के साथ ही रचनात्मक कार्य किए हैं। ब्रितानी लेखिका जेके रॉलिंग्स ने स्थानीय कॉफी शॉप में हैरी पॉटर सीरीज की अधिकतर किताबों का लेखन किया था। यहां तक कि बडी क्रांतियों या आंदोलन के सूत्रपात्र में भी कॉफी आउटलेट ने भूमिका निभाई। 60 के दशक के मध्य से फैला बंगाल का नक्सलबाडी आंदोलन कॉफी हाउस में ही विस्तृत हुआ था। साथ ही 1695 में फ्रांस की राज्यक्रांति की जडें पर्शियन कैफे से जुडी थीं। चाहे जो कहिए, लोकप्रियता ने लीक से हटकर रंग लेना भी शुरू किया और कॉफी हाउस की तरह विदेशी ब्रांड के कॉफी शॉप मेट्रो सिटीज में खुलने लगे। पहले जिन लोगों की पसंद इंडियन कॉफी हाउस होती थी, वहीं वर्तमान युवा पीढी ने विदेशी चेन की कॉफी शॉप को गपशप का केन्द्र बनाया। कॉफी शॉप अपनी अत्याधुनिक आंतरिक सज्जा और जंक फूड्स व कॉफी की कई वैराइटीज की वजह से युवाओं में पैठ बनाने में सफल रहे। 1990 के दशक में इंटरनेट एक्सेस करने और कॉफी का लुत्फ उठाने के बहाने कॉफी शॉप्स ने नया रूप साइबर कैफे का ले लिया। यहां दिलचस्प तथ्य एक और सामने आया कि कई बडे साइबर अपराध कॉफी के घंूट के साथ अंजाम दिए गए थे। एक दशक बाद (2000 में) कैफे, रिटेल कॉफी चेन्स के रूप में उभरा और कई शृंखलाओं ने मेट्रो और टायर-टू एवं टायर-थ्री शहरों में धाक जमानी शुरू की। उनका लक्ष्य ही था कि 14 से 30 साल के आयु वर्ग को अपना उपभोक्ता बनाएं।
हालांकि इन शॉप में एक कप कॉफी की कीमत इंडियन कॉफी हाउस की एक कप कॉफी की तुलना में 6 गुणा से अधिक होती है, पर बढती पॉकेट मनी, स्वतंत्र आचरण और धनाढ्य वर्ग जैसे तौर-तरीकों की नकल करने वाले युवाओं को ये कॉफी शृंखलाएँ खूब भाने लगीं। कॉफी हाउस के बाद युवाओं ने क्विकीज, कोस्टा कॉफी, बैरिस्टा और कैफे कॉफी डे जैसी रिटेल चेन को शहरों में पनपने के अवसर दिए। भारत में कोस्टा कॉफी चेन सफल नहीं हो पाई, लेकिन अन्य शृंखलाओं ने जमकर पैठ बना ली। 2007 में बैरिस्टा को इटली की कॉफी रिटेल चेन लवाजा ने खरीद लिया। पिछले साल लवाजा ने दिल्ली में एक्सप्रेशन नामक ब्रांड स्टोर खोला। कैफे कॉफी डे छोटे शहरों को लक्ष्य कर रही है, वहीं लवाजा ने बडे शहरों को चुना है।
हाल ही में टाटा-स्टारबक्स गठबंधन की घोषणा के बाद जाहिर हो गया कि भारतीय युवाओं में कॉफी बतौर पेय पदार्थ अच्छी पैठ बना चुकी है। विश्व की सबसे बडी कॉफी चेन स्टारबग्स को भारत में लाने का काम टाटा ग्लोबल बेवरिजेज ने किया। कॉफी उद्योग के एक अनुमान के अनुसार, खुदरा कॉफी का प्रवेश बाजार अभी भी निचले स्तर पर 1600-1800 कैफे के साथ हैं, हालांकि अगले कुछ वर्षो में कॉफी का यह कारोबार 2300-2700 आउटलेट्स को खपाने की क्षमता रखता है।

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