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कहां से कहां पहुंच गई महिलाएं

By: Team Aapkisaheli | Posted: 16 Apr, 2012

कहां से कहां पहुंच गई महिलाएं
बदले दौर और बदलते वक्त के बारे में भले ही हम बहुत-सी-नकारात्मक बातें करते हैं, लेकिन कहीं न कहीं इसी बदलाव और लाइफस्टाइल ने हमें अपने तरीके से जीने की आजादी दी है और बहुत सी सुविधाएं भी। महिलाओं की स्थिति में सबसे ज्यादा बदलाव आए हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता, न ही नजरअंदाज किया जा सकता है। कहते हैं परिवर्तन ही जीवन है, इसीलिए वक्त के साथ महिलाओं में आए बदलाव को एक सुखद अनुभूति के रूप में देखा जा सकता है। इसमें समाज की सोच में तेजी से आए बदलाव ने भी उनकी तस्वीर को सकारात्मक रूप से बदलने में मदद की है, जैसे-
  • аस्त्री-पुरूष का समान वेतन
  • उच्चा शिक्षा का अधिकार
  • аवोट देने का अधिकार
  • аपैतृक सम्पत्ति पर हक
  • а नौकरी करने की आजादी
  • аबेहतर स्वास्थ्य सेवाएं
  • аअपनी पसंद का कЄरियर चुनने की आजादी
  • аकम बच्चो पैदा करने का निर्णय लेने का अधिकार
  • а ये सब अधिकार तो उन्हें पहले ही मिल चुके थे लेकिन आज जो सबसे बडा बदलाव महिलाओं के जीवन में नजर आ रहा है, वह है उनकी अपनी सोच में आया व्यापक बदलाव। अब वे अपने हितों व अधिकारों के प्रति सजग हो गई हैं, जिसने उनके आत्म्विश्वास को बढाया है। वैसे भी कुछ कर गुजरने का जुनून हो, तो आपको आगे बढने, कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता, फिर चाहे वो सोशल फील्ड हो, बिजनेस वल्र्ड हो, राजनीति हो या खेल का मैदान
    लीडरशिप
    आज की शिक्षित महिला भारत के शहरों से ही नहीं बल्कि गांवों व छोटे शहरों से भी बडी संख्या में आईटी कंपनियों से जुड रही है। विश्वभर में महिलाओं की भूमिका में नाटकीय ढंग से बदलाव आया है। आज हर क्षेत्र में महिला पुरूष समकक्ष खडी है, फिर चाहे वह किचन हो या डिफेंस। जॉब मार्केट में महिलाओं के लिए अवसर बढ गए हैं और अब वे अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान दे रही है। आज हमारे यहां अनु आगा, सुलज्जा फिरोदिया, मेहर पदमसी, किरण मजूमदार शॉ, नैला लाल किदवई, रेणुका रामनाथ, इंदिरा नूई जैसी महिलाएं हैं जिन्होंने नेतृत्व की कमान अपने हाथों में थामी हुई है।
  • पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनकर किरण बेदी ने इतिहास बनाया। महिलाएं उन्हें अपना आदर्श मानती हैं। बकौल किरण, उल्टी लहर में तैरना जरा मुश्किल होता है, पर आप उस जगह पहुंच जाते हैं, जहां कोई और नहीं पहुंच सकता।
  • а सर्वे के अनुसार किरण मजूमदार शॉ बिजनेस वल्र्ड में एक नामचीन चेहरा है। उन्हें 2004 में बिजनेस वुमन इकोनॉमिक्स टाइम्स अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। वह अपनी हर बात बिना किसी डर के साथ कहती हैं, शायद इसलिए वे बिजनेस वल्र्ड में इतनी कामयाब भी रही हैं।
  • а 2007 में फोब्र्स पत्रिका द्वारा कराए गए सर्वे में इंदिरा नूई 100 सर्वाधिक ताकतवर महिलाओं में पांचवें स्थान पर थीं। फॉरच्यून पत्रिका ने भी उन्हें 2006-2007 में बिजनेस फील्ड में सबसे शक्तिशाली महिलाओं में शामिल किया था। शहर ही नहीं, गांव-कस्बों में रहने वाली महिलाओं में भी सकारात्मक बदलाव आए हैं। वे घर-बाहर के कामों के अलावा सोशल वर्क, चुनाव आदि में भी बढ-चढकर हिस्सा लेने लगी हैं। उन्हें दिशा देने के लिए छवि राजावत जैसी सरपंच भी आगे आ रही हैं। जो एमबीए की पढाई करने के बावजूद जयपुर से 60 किमी. दूर टोंक जिले में रहकर सरपंच के तौर पर काम कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में बढती महिला उद्यमियों की संख्या इस बात का प्रतीक है कि आत्मविश्वास की लहर वहां भी चल चुकी है।
बदलती भूमिका
आज की बदलती हुई भूमिका ने जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है, वहीं उनकी चुनौतियां भी बढ गई हैं। भावनात्मक व शारीरिक तनाव को झेलते हुए भी वे अपनी पहचान को नया आकार दे रही हैं।
  • аघर और ऑफिस को साथ-साथ संभाल रही हैं।
  • महिलाएं मल्टी टास्किंग हो गई हैं और उन्हें अपनी इस खूबी को बढाने के अवसर मिल रहे हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास भी बढ रहा है।
  • аइस परिवर्तन ने ही महिलाओं के हाथ में नेतृत्व की कमान थमाई है जिसके कारण वे ऎसे नई दुनिया में कदम रख चुकी हैं, जहां उनके पास आजादी है, नाम-शोहरत है और महत्वाकांक्षाओं का असीम संसार है।
  • аउनकी आत्मनिर्भरता और निर्णय लेने की क्षमता के कारण परिवार के हर सदस्य के जीवन की दिशा और दशा दोनों ही बदल गई हैं।
  • аसजगता के चलते वह परिवार के स्वास्थ्य, हित और तरक्की के बारे में सोच सकती हैं।
  • аउसके अंदर नीति संतुलन करने की योग्यता ने परिवार व कЄरियर के बीच सामंजस्य करना आसान बना दिया है।
टेक्नो स्मार्ट
इन दिनों गैजेट्स के प्रचार में जर्बदस्त विस्तार आया है। लेकिन इस बार उन्हें बनाने वाली कंपनियों का टार्गेट पुरूषों की बजाय महिलाएं हैं। पिछले कुछ दशकों में महिलाओं ने जिस तेजी से अपनी कामयाबी का परचम लहराते हुए समाज में अपनी एक जगह बनाई है उसका असर न सिर्फ उनकी सोच पर दिखाई दे रहा है, वरन उनकी जीवनशैली और कार्यशैली में भी दिख रहा है।
  • а सुबह सैर करते हुए अपने मनपसंद संगीत का आनंद उठाने के लिए कान में लगा आईपॉड।
  • аइंटरनेट के जरिए पूरी दुनिया से जुडाव।
  • а फोन करने के लिए स्मार्ट मोबाइल।
  • аड्राइविंग करते हुए भी ब्लू टूथ से बात।
  • аहैंडी कैम और डिजिकैम का बखूबी इस्तेमाल।
    यानी घर में तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए आज की नारी नए-नए गैजेट्स को भी अपने जीवन का हिस्सा बना रही हैं।
    इंवेस्टमेंट में भी आगे
    एक बडा और सकारात्मक बदलाव जिसने महिलाओं की जीवनशैली को बदल डाला है वह है उसका इंवेस्टमेंट यानी निवेश को लेकर सजग व आत्मनिर्भर होना।
  • аआज महिलाएं ऎसे क्षेत्रों में इंवेस्टमेंट कर रही हैं जिनके बारे में पहले उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
  • аशेयर मार्केट में बढती महिलाओं की भागीदारी इस बात का प्रतीक है कि वे अब इस ओर भी रूख कर रही हैं।
  • महिलाएं ऑनलाइन इंटरनेशनल करेंसी ट्रेडिंग में भी दिलचस्पी दिखा रही हैं। यह क्षेत्र शिक्षित घरेलू महिलाओं को ज्यादा आकर्षित कर रहा है क्योंकि यह पैसे के साथ-साथ उनकी समझ में भी इजाफा करता है।
होम ओनर ही नहीं, पर्चेजिंग पॉवर भी
कुछ वर्षो पहले तक एक स्त्री का बिना किसी पुरूष की सहायता के अकेले घर या प्रॉपर्टी खरीदना बिल्कुल असंभव सी बात थी।
क लेकिन पिछले साल के आंकडों पर एक नजर डालें तो पाएंगे कि घर खरीदनेवालों में एक तिहाई महिलाएं ही थीं।
क इसकी साफ वजह है, आर्थिक व सामाजिक जीवन में आया बदलाव, जिसने महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता तो प्रदान की ही है, साथ ही बडी से बडी चीज को खरीदने व निर्णय लेने की क्षमता भी दी है।
क आज नारी के पास सामाजिक स्तर है और धन भी जिसने उसे आत्मविश्वास दिया।
क बोर्ड रूम में जबसे औरत का प्रवेश हुआ है, वह गोल्ड की बजाय प्रॉपर्टी में इंवेस्ट करने लगी है।
क अपनी बढती ताकत को उसने पर्चेजिंग में लगा दिया है ताकि अपने हिसाब से अपनी इच्छाओं को बिना मारे जी सकें।

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