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बिना कम्यूनिकेशन के रिश्तों में प्यार नहीं

By: Team Aapkisaheli | Posted: 01 Mar, 2013

बिना कम्यूनिकेशन के रिश्तों में प्यार नहीं
चाहे पैरेंट़स और बच्चों का रिश्ता हो, भाई-बहन का या फिर पति-पत्नी का। हमारे पास सब कुछ है, पर बात करने का टाइम नहीं है। बात सिर्फ समय की कमी की नहीं है, बात है हमारी बदलती लाइफस्टाइल के चलते हमारा बदलता एटीट्यूड। वक्त निकालना चाहें, तो निकल कसता है, लेकिन हमें अन्य चीजें ज्यादा जरूरी लगती हैं, बजाय अपनों के साथ बैठकर बातें करने के।

बडों का ऎसा कि घर और ऑफिस के बीच ही टाइम कम पडता है, तो बाकी किसी से बात करने के लिए टाइम कहां से निकालें।

इसके अलावा शोधों से यह बात भी सामने आई है कि आज ज्यादातर लोग अपने काम को लेकर इतना ज्यादा सोचते हैं कि घर में किसी से बात ही नहीं करना चाहते, जिससे कम्यूनिकेशन गैप बढता जाता है।

अपने खुद के रिश्तों में बढती उलझनों को सुलझाने तक की सुध उन्हें नहीं रहती, क्योंकि ये सब उन्हें समय की बर्बादी लगने लगती है। बातचीत से समस्या सुलझाने की बजाय अपनी अपनी दुनिया में बिजी रहना उन्हें ज्यादा भाता है।

सोशल नेटवर्किग साइट्स और इंटरनेट से हमारी दुनिया बहुत ही तेजी से बदली है। ऑनलाइन फ्रेंड्स से बात करना अब आसान हो गया है, लेकिन अपने ही घर में अपनों से बात करना बेहद मुश्किल।

उपाय हैं

समय की कमी का रोना ना रोएं, अगर आपको लगता है कि रिश्तों में खामोशी आ रही है, तो इसे पहचानकर अपनी जीवनशैली में थोडा-सा बदलाव लाएं।

रात के समय मोबाइल, टीवी या फिर लैपटॉप पर चिपके रहना थोडा कम कर दें।

हर समय ऑफिस और दोस्तों के बीच ही ना रहें, परिवार के लिए भी अलग से छुट्टी लें।

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