सौन्दर्य और प्रभावशाली व्यक्तित्व से युक्त देवता श्री कृष्ण
By: Team Aapkisaheli | Posted: 06 Aug, 2012
श्रीकृष्ण का भारत में एक अत्यन्त प्रभावशाली जनदेवता एवं लोकदेवता का रूप स्पष्ट है जिसका अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ना केवल भारत में अपितु विश्व के प्रमुख देशों में कोई ऎसा ही विरला व्यक्ति होगा। जो श्रीकृष्ण नाम के हर्षोल्लास परिपूर्ण लीलामय व्यक्ति वाले, अलौकिक सौन्दर्य से युक्त भारतीय देव में परिचित ना हो।
аजन्माष्टमी पर खास
भगवान श्रीकृष्ण को भारत के एक लोकदेवला के रूप मे ंप्रतिपादित किया जिसके कारण ना केवल श्रीकृष्ण की महिमा और भव्यता में विस्तार हुआ बल्कि कृष्ण कथा एवं कृष्णागाथाओं का भी कलेवर एवं रूपरेखा समृद्ध हुई। इसके अतिरिक्त श्रीकृष्ण के प्रति भारतीयों के विचित्र आकर्षण का एक अनय यह भी कारण है कि कृष्णकथा एवं कृष्णाख्यान ही भारत मेंएक ऎसी गाथा है जोकि सदियों से भारतीयों के जनमानस के साथ अंतरंगता से जुडी हुई है और उनकी अन्तचेंतना में इस तरह घनिष्ठता से समाहित है और श्रीकृष्ण की मन्त्रमुग्ध करने वाली अलौकिक माधुरी व्यक्तित्व छटा उनके विचारों, अन्तर्भावों और सांस्कृतिक आयामों में इतनी रस बस गई है कि प्रत्येक भारतीय उन्हें अपने अन्तरंग पा कर उनसे अपने दिल की बात कहने में भी सफल हो जाता है चाहे वह किसी वर्ग, जाति अथवा धर्म से सम्बधित हो, खेती बाडी करता हुआ कृषक या कारखाने का मजदूर अथवा गणमान्य शास्त्रवेत्ता ही क्यों ना हो ये सभी भारतीय कृष्णकथा एवं लीला प्रसंगों को अपने अपने स्वतंत्र ढंग से प्रस्तुत कर उसे जीवंत ही नहीं बनाते बल्कि व्यापक कर देते हैं।
यहीं नहीं भारतीयों के सर्वाधिक हर्षोल्लास के साथ मनाये जाने वाले अत्यन्त लोकप्रिय उत्सवों की की श्रृंखला में श्रीकृष्ण से जुडे उत्सव और त्यौहार जैसे जन्माष्टमी, रास, हिण्डोला, तीज होली, वसन्तोत्सव इत्याादि सर्वप्रसिद्ध हैं जो कि भारत के प्रत्येक प्रान्त के निवासी जनजातियों के जीवन का अंतरंग हिस्सा बन गए हैं जिसके कारणवशं यह स्वत: सिद्ध है कि श्रीकृष्ण भगवान ीाारत के प्रत्येक कोने में विविध आस्थाओं वाले जनसमुदाय के केवल आकर्षण केन्द्र ही नहीं बल्कि श्रद्धापात्र भी हैं अत: उनका यह अदम्य लोकदेवता रूप भारत में राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरणास्त्रोत की भांति कार्यान्वित किया जा सकता है।
श्रीकृष्ण सभी भरतीयों को अपनी अलौकिक माधुरी की ओर आकर्षित करते हुए सभी भारतीयों प्रान्तीय भाषाओं में निबद्ध इन कालजयी ग्रन्थों के महानायक बन हैं। प्राकृत में वाक्पतिराज की गाथासत्तसई, बंगला में मालाधर बसु का श्रीकृष्ण विजय, कन्नड में नेमिचन्द्र का नेमिपुराण, गुजराती में भीमदेव की हरिलीला, तेलुगु में पोटन का भागवत और मलयालम में चेरूशेरी की कृष्णगाथा, असमी में शंकरदेव का कीर्तनघोष। सन्दर्भ के उपसंहार में ऎसे अप्रतिम प्रभाव वाले भारतीयों के जन-नायक लोकदेवता श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू के ये प्रशंसा उeार अतीव समीचीन हैं श्रीकृष्ण केआख्यान या कथा जिसने देश के लम्बे इतिहास में भारतीयों पर गहरा प्रभाव डाला है वह नि:संदेह अपने में मह┼╛वपूर्ण है।