हर रिश्ते में रिस्पेक्ट जरूरी है
By: Team Aapkisaheli | Posted: 28 Nov, 2012
हमारा समाज विभिन्न रिश्तों की मधुर डोर से बंधा है। रिश्ते का अपना एक अलग और महत्वपूर्ण स्थान है। अलग-अलग एहमियत होते हुए भी हर रिश्ते में स्त्रेह, समर्पण और आदर-ये तीन तत्व जरूर होने चाहिए, क्योंकि ये विपरीत विचारधारा वाले लोगों को भी एक अटूट बन्धन में बांधने का सामथ्र्य रखते हैं। कुछ रिश्ते बेहद नाजुक और संवेदनशील होते हैं, इसलिए उन्हें बेहद सावधानी से संभालना भी पडता है। अगर रिश्तों में रिस्पेक्ट यानी उचित आदर की भावना हो, तो यह काम काफी आसान हो जाता है, क्योंकि एक-दूसरे के प्रति आदर की भावना ही रिश्ते की जडों को सींचकर उसे सबल, समर्थ और संवेदनशील रूप प्रदान करती है। यह याद रखना भी जरूरी है कि हर रिश्ते की एक मर्यादा और सीमा होती है और हर रिश्ते में थोडी स्वतंत्रता की पहचान हम तभी कर सकेंगे, जब रिश्तों के प्रति समुचित आदर भाव रखेंगे।
аरिश्तों की शुरूआत मां और बच्चो का मां और बच्चो का रिश्ता इस दुनिया में सबसे सुंदर और भावनात्मक होता है। सही मायने में हर बच्चाा रिश्तों में आदर की शुरूआत इसी महत्वपूर्ण रिश्ते से करता है। मां ही उसे हर रिश्ते का एकसास कराती है। मां के व्यवहार और पिता की बातों का अनुसरण करते हुए एक बच्चाा समाज और रिश्तों की महत्ता धीरे-धीरे समझता चला जाता है। फिर जिन्दगी में आगे बढते हुए बहुत से नए रिश्ते जुडते चले जाते हैं, जिनमें कुछ हमें पसंद होते हैं, तो कुछ नापसंद। रिश्ता चाहे कोई भी हो, अगर रिश्ते में परस्पर आदर भाव हो, तो उसे सहेजना इतना मुश्किल नहीं होता।
аविवाह के बाद के रिश्ते पति-पत्नी का रिश्ता जन्म-जन्मांतर का माना जाता है। इस रिश्ते में परस्पर विश्वास और आदर की भावना ही एक-दूसरे के लिए स्त्रेह व समर्पण का बीज बनती है, जिससे दाम्पत्य रूपी वटवृक्ष फलता-फूलता है।
а
बुजुगों से सम्बन्धों का समीकरण आज की पीढी ग्लैमर और भौतिक सुख के पीछे अंधी हो रही है। उसका बुजुर्गो के साथ समन्वय नहीं हो पाता। निरंतर एक अनजानी दौड में रत होकर यह पीढी तालतेल खोती जा रही है। आदर-सम्मान देना उसके लिए अब बीते कल की बात हो गई है। यदि नइ्र पीढी पुरानी पीढी को सम्मान नहीं दे पा रही है, तो उनके अधिकारों का क्या खयाल रख पाएगी ! आज जगह-जगह खुलते जा रहे वृद्धाश्रम,ओल्ड एक होमस इस तथ्य की गवाही दे रहे हैं। आज परिवार का अर्थ केवल पति-पत्नी और बच्चो मात्र रह गए हैं। सन्युक्त परिवारों के ह्वास का कारण बुजुगों№ के प्रति बढता अनादर भाव ही है।
а
अपशब्दों के प्रयोग से बचें सम्मान की भावना सम्बोधन और शब्दों के माध्यम से प्रसारित होती है। किसी भी रिश्ते में अपशब्दों के प्रयोग से हमेशा बचना चाहिए। सम्बोधन की सुन्दरता पर ही घनिष्ठता निर्भर करती है। सम्बोधन ही रिश्तों को आदर के साथ जोडता है। इसलिए हर रिश्ते में आदर सूचक संबोधन जरूरी है।
аदोस्ती का पावन
रिश्ता दोस्ती जैसे पावन रिश्ते में भी ईष्र्या घर जमाने लगी है। दूसरों से आगे निकलने की ललक या सनक इंसानी रिश्तों में कटुता व द्वेष का सृजन करने लगी है। ऎसी प्रवृति एक सुन्दर समाज के निर्माण में घातक सिद्ध होती है।
अपेक्षाएं ना करें
हर रिश्ता प्यार के कोमल एकसास से बंधा होता है, इसलिए हर रिश्ते का आदर करना हमारा कत्त№व्य है। रिश्ते में आदर तभी पनपेगा, जब हम एक-दूसरे को समझना चाहेंगे, उसके गुण-दोषों को आत्मसात् करना चाहेंगे। स्वंय पर यह विश्वास रखेंगे कि हमारी संस्कृति में संस्कारों का भी महत्व है और हमारे संस्कार यही शिक्षा देते हैं कि हर व्यक्ति की एक क्षमता होती है, इसलिए किसी से ज्यादा अपेक्षाएं रखना अच्छी बात नहीं।