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बढता पैसा, टूटते परिवार!

By: Team Aapkisaheli | Posted: 26 Jan, 2012

बढता पैसा, टूटते परिवार!
माना पैसा सुख-सुविधाएं जुटाने का माध्यम बनता है पर कई बार ये रिश्ते बिखरने की वजह भी बन जाता है। कभी-कभी पैसे कमाने की दौ़ड में जिंदगी इतनी आगे बढ जाती है कि रिश्ते पीछे छूट जाते हैं। आज विवाह टूटने के मुख्य वजहों में से एक है पैसा। पहले जहां साथी को धोखा देना या उनके साथ एडजस्ट न कर पाना विवाह टूटने के कारण हुआ करते थे। वहीं अब पैसा दूरियां पैदा करने लगा है। अधिकांश तलाक के केस ऎसे ही हे। जहां पैसे की वजह से ही रिश्ते टूटे हैं। पैसा बढने से प्यार कम होना स्वाभाविक ही है क्योंकि तब रिश्तों को भावनाओं के आधार पर नहीं, बल्कि पैसे के आधार पर आंका जाने लगता है।
बढती अस्थिरता
भारतीय परिवारों मे नए दबावों व चुनौतियो के उभरने से वे एक तरह के बदलाव से गुजर रहे हैं। एक तरफ तो हर चीज पाने की चाह उन्हें ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने या बहुत जल्दी अमीर बनने के लिए उकसा रही है तो दूसरी तरफ स्थिति यह है कि भारतीय कलाकारों की परंपरागत व पाश्चात्य दोनों ही शैलियों को अपनाने व उनके बीच सामंजस्य बैठाने के बीच झूल रहे हैं। पैसों की वजह से संयुक्त परिवार पहले ही टूट चुके हैं। लेकिन अब इसका असर एकल परिवारों में भी पति-पत्नी के रिश्ते के बीच दिखाई देने लगा है। तेज दौडती जिंदगी की देन है अस्थिरता, जिसकी वजह से आपसी रिश्तों मे कम्युनिकेशन की कमी तो आई है, साथ ही तनाव ने सेक्स जीवन को प्रभावित कर उसे भी गौण बना दिया है। पति-पत्नी के बीच एक तालमेल विकासित हो, उससे पहले ही संबंधों मे दरार पडने लगती है।
रिश्तों की कम होती अहमियत
कॉलेज या आईआईटी से निकलते ही या एमबीए करने के बाद बडी-बडी मल्टीनेशनल कंपनियों में तुरंत बडा पैकेज और अन्य सुविधाएं मिलने से नई पीढी की सोच में व्यापक अंतर आ गया है। हर महीने मिलने वाला पे पैकेज हाथ में आ जाए तो उसकी चकाचौंध से इंसान का दिमाग केवल भौतिक सुखों का ही आनंद लेने में मग्न हो जाता है और प्यार, स्नेह, आत्मीयता व संबंधो की गरिमा की कद्र करना भूल जाता है। पैसा बढने के साथ उनकी अपेक्षाएं भी बढने लगती हैं, ऎसे में मोटी तनख्वाह भी उन्हें कम लगने लगती हैं। अपने परिवार पर पैसा खर्च करना या अभिभावकों के हाथ में पैसा देने की बात उन्हें खलने लगती है। परिणाम- मतभेद, दोषारोपण व अलगाव। विवाह होने के बाद भी अगर पति-पत्नी दोनों ही कमाते हैं तो कई बार पैसा रिश्ते को तोडने में सबसे अहम भूमिका निभाता है।
निर्णायक पहलू
आज पैसा नई पीढी के लिए मौज-मस्ती करने और सारी भौतिक चीजें पाने का पर्याय बन चुका है, ऎसे में वह इस बात का भी निर्णायक पहलू बन गया है कि विवाह कायम रहेगा या टूटेगा, परिवार की क़डी जुडी रहेगी या बिखर जायेगी। सच तो यह है कि पैसा बढने के साथ-साथ उनके बीच के फासले भी बढने लगते हैं। दोनों अपनी जिंगदी जीने की चाह रखने लगते हैं, अपने फैसले खुद करने लगते है। जब बहुत ज्यादा पैसा हाथ में होता है, तो जीने के मायने व शैली दोनों में ही बदलाव आ जाता है।

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