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प्रसव के पहले और बाद ये सावधानियां जरूरी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 02 May, 2012

प्रसव के पहले और बाद ये सावधानियां जरूरी
औरत के लिए प्रसव एक तरह से दूसरा जन्म कहा जाता है। आंकडे बताते हैं कि जिन औरतों के मामलों में गर्भावस्था के दौरान सावधानी नहीं बरती जाती, समय पर उनका इलाज नहीं कराया जाता, उन औरतों में प्रसव के दौरान रिस्क बहुत बढ जाता है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि सावधानी बरत कर प्रसव को सुखद और सुरक्षित बनाया जाए। गर्भावस्था के दौरान औरतों के शरीर में तमाम तरह के बदलाव होते हैं। अगर समय पर इन बदलावों को डाक्टर से बात करके सलाह ले ली जाए तो प्रसव के दौरान आने वाली बहुत सारी परेशानियों से बचा जा सकता है। शरीर में जब भी किसी तरह का संकट आने वाला होता है, उसके कुछ लक्षण पहले दिख जाते हैं। जरूरी है कि इन लक्षणों को सही ढंग से समझ कर आने वाले संकट का मुकाबला करने के लिए शरीर को तैयार कर लिया जाए। इन लक्षणों को जब नजरअंदाज कर दिया जाता है तो शरीर किसी न किसी गंभीर बीमारी के जाल में फंस जाता है। इसलिए इन लक्षणों को छिपाना नहीं चाहिए और अपने डाक्टर से मिलकर इन पर खुलकर बातचीत करनी चाहिए। अगर डाक्टर उचित समझेगा तो जांच करा कर आने वाली परेशानी को समझ लेगा।
सावधानी से होगा सुरक्षित प्रसव
  •  गर्भावस्था में पेशाब का बार-बार आना कोई खतरनाक बात नहीं होती है। गर्भाशय के बढ जाने से मूत्राशय पर इसका दबाव पडता है, जिसके कारण यह होता है। यदि पेशाब में जलन हो तो इसके बारे में डाक्टर की राय जरूर लेनी चाहिए।
  • गर्भावस्था में उलटी का होना भी स्वाभावित माना जाता है। 50 प्रतिशत मामलों में सुबह सोकर उठने पर उलटी जरूर होती है। यदि उल्टी पूरा दिन हो तो डाक्टर से सलाह जरूर लें।
  •   गर्भावस्था के दौरान कब्ज की शिकायत भी बहुत होती है। इससे बचने के लिए खानपान का ख्याल रखें। ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ वाला रेशेदार फल और सब्जियों के खाने से भी इस परेशानी से बचा जा सकता है।
  •  गर्भावस्था के बढने के साथ बच्चो का विकास होता है जिसका असर कमर और हडि्डयों पर पडता है। इससे शरीर और कमर के आसपास दर्द होता रहता है। इससे बचने के लिए स्लीपर्स पहनें, चलने फिरने में सावधानी बरतें। डाक्टरी सलाह पर कुछ व्यायाम कर के भी इस तरह के दर्द से बचा जा सकता है।
  • गर्भावस्था में सीने में होने वाली जलन का ह्वदयरोग से कोई ताल्लुक नहीं होता है। इसका कारण ग्रास नली में द्राह का होना होता है। इससे बचने के लिए एकसाथ भोजन करने के बजाय थोडे-थोडे समय पर भोजन करें। अगर सांस लेने में ज्यादा तकलीफ हो तो डाक्टर से मिलकर बात करें।
  •  गर्भावस्था के आखिरी महीनों में पैरों में ऎंठन होने लगती है। कुछ दवाओं के लेने से इसमें आराम मिलता है। इस दौरान पैरों में सूजन भी हो जाती है। इससे बचने के लिए नमक कम खाएं और प्रोटीन वाला भोजन करें। रात को सोते समय पैरों के नीचे तकिया रखकर सोने से सूजन कम होती है।
  •  गर्भावस्था के दौरान सेक्स किया जा सकता है। जिन औरतों को गर्भपात और पहले प्रसव के समय अगर कोई गडबडी हुई हो तो उन्हें इससे परहेज करना चाहिए। खतरे के लक्षण गर्भावस्था के दौरान कुछ लक्षणों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर इनको समझ कर प्रसव को सुरक्षित और आसान बनाया जा सकता है।
  •   योनी, गुदा और स्तन से थोडा सा भी खून दिखाई दे तो इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
  • अगर चेहरे और हाथों में सूजन हो या किसी तरह का कोई उभार हो तो अपने डाक्टर से बात जरूर करें।
  • तेज सिरदर्द भी गर्भावस्था में किसी न किसी गंभीर बीमारी का संकेत देता है।
  • आंखों के सामने अगर अंधेरा छा जाता है या फिर धुंधला दिखाई देता है तो इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क पेट में तेज दर्द, कंपकंपी और बुखार भी खतरनाक संकेत माने जाते हैं।
  • क योनि से तरल पदार्थ का निकलना भी खतरे का संकेत है। इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
  • पेट में बच्चो का घूमना पता न चले तो भी मामला खतरनाक हो सकता है। प्रसव के बाद सावधानी कई बार ठीकठाक प्रसव होने के बाद भी कुछ परेशानियां हो जाती हैं। प्रसव के बाद औरत को सामान्य होने में कुछ समय लग जाता है। इसमें सबसे बडी समस्या योनि से खून का बहना होता है। आमतौर पर यह सामान्य बात होती है। कभी-कभी इसमें किसी बीमारी के लक्षण भी छिपे होते हैं। इसलिए प्रसव के बाद भी अगर कोई इस तरह की परेशानी आए तो उसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
  • शिशु का जन्म आपरेशन से हो या फिर सामान्य रूप से, शरीर प्रसव के बाद अनावश्यक म्यूकस, प्लेसेंटल टिशूज और खून को बाहर कर देता है। यह प्रसव के 2 से 3 सप्ताह तक चलता है। कभी-कभी 6 सप्ताह तक भी चलता है। इसकी परेशानी को कम करने के लिए ज्यादा आराम करें। खडे रहने और चलने से परहेज कर खून को सोखने के लिए पैड्स का प्रयोग करें।
  •  यह अपने आप ठीक हो जाता है। अगर खून का बहना काफी मात्रा में हो, बुखार हो और ठंड लगे, डिस्चार्ज में कोई गंध हो तो डाक्टर से संपर्क करें।
  •  पोस्टपार्टम हेमरेज प्रसव के बाद की गंभीर किस्म की बीमारी होती है जिसमें सामान्य से अधिक खून बह जाता है। इसका कारण प्लेसेंटा का पूरी तरह से बाहर न निकलना, प्लेसेंटा का जबरन बाहर खींचा जाना, प्रसव के दौरान गर्भाशय, सर्विक्स या योनि पर चोट लगने से ऎसा होता है। हमारे देश में प्रसव के चलते होने वाली मौतों में 10 प्रतिशत इस कारण से ही होती है।
  • पोस्टपार्टम हेमरेज का पता चलते ही डाक्टर को अपनी परेशानी के बारे में बताना चाहिए, जिससे वह इलाज कर के मरीज को बचा सके। इस दौरान शरीर की सफाई का खास ख्याल रखें।
  •  लगातार बुखार बना रहे तो यह किसी इन्फेक्शन के कारण ही होता है। इसको कभी नजरअंदाज न करें।
  •  स्तन में गांठ या दूध पिलाने में दर्द हो तो भी डाक्टर से सलाह लेनी जरूरी होती है।
  •  अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए गर्भनिरोधक साधनों का इस्तेमाल करें, यह न सोचें कि जब तक बच्चो को

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