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पैरेंट्स का ओवर-प्रोटेक्टिव रवैया

By: Team Aapkisaheli | Posted: 18 Sep, 2012

पैरेंट्स का ओवर-प्रोटेक्टिव रवैया
पैरेंट्स अपने बच्चो को लेकर इतने ज्यादा प्रोटेक्टिव होते हैं कि उन्हें खुलकर जीने नहीं देते। पैरेंट्स का बार-बार टोकना, साये की तरह आगे पीछे घूमना, जरूरत से ज्यादा देखभाल करना आदि एक समय के बाद बच्चो को बोझ जैसा लगने लगता है। जैसे-जैसे बच्चो बढते हैं, वे खुद के लिए प्राइवेसी चाहते हैं। अपनी कई बातें वे पैरेंट्स की बजाय अपने दोस्तों से शेयर करना चाहते हैं। ऎसे में पैरेंट्स का ओवर-प्रोटेक्टिव व्यवहार बच्चो की परवरिश पर बुरा प्रभाव डालता है।
इसके लक्षण
ओवर प्रोटेक्टिव पैरेंट्स अपने बच्चो को लेकर इतने पजेसिव होते हैं कि उन्हें अपने बच्चोа के अलावा और कुछ नजर नहीं आता। हर वक्त पीछे लगे रहना रात को सोते-सोते तक बच्चो के आगे-पीछे उसकी देखभाल में लगे रहने से कई पैरेंट्स अपने बच्चो को असहाय बना देते हैं। इसके कारण उनमें खुद अपने निणर्य लेने की क्षमता का विकास नहीं हो पाता और ऎसे बच्चो हमेशा किसी ना किसी का सहारा लेने की कोशिश मे रहते हैं।
जायज-नाजायज डिमांड को पूरा करना
पैरेंट होने के नाते आपकी ये जिम्मेदारी है कि आप अपने बच्चो का हर तरह से ख्याल रखें। उसे कब किस चीज की जरूरत है, उसे मुहैया करवाएं, लेकिन ऎसा करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चो की हर उचित-अनुचित मांग को पूरा ना किया जाए। ऎसा करने से बच्चो चीजों की कद्र करना नहीं सीख पाते। उन्हें ये समझ में नहीं आ पाता कि पैसे कितनी मेहनत से कमाएं जाते हैं।
जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्ट करना
बडे होने के बाद भी उंगली पकडकर सडक पार करवाना, हर काम के लिए कहना किये तुमसे नहीं होगा बात-बात रोक-टोक, छोटी-बडी गतिविधि पर नजर रखते, वह कुर्सी पर किस तरह बैठा, उसने टूथ ब्रश किस तरह पकडा आदि बातें आपके बच्चो को बुरी लग सकती हैं। पैरेंट्स के ऎसे रवैये के कारण कई बच्चो अपना आत्मसम्मान खो देते हैं।
इसके असर
ओवर-प्रोटेक्टिव पैरेंट्स अपने बच्चो के दिमाग में यह बात भर देते हैं किवे अकेले किसी भी समस्या का हल नहीं निकाल सकते। बाहरी दुनिया उनके लिए ठीक नहीं, समाज में व्याप्त बुराइयां उनकी अच्छाइयों को खत्म कर देंगी। ऎसे पैरेंट्स बडे होने के बाद भी अपने बच्चो की देखभाल छोटे बच्चो की तरह करते रहते हैं, जिससे बच्चो पूरी तरह उन पर आश्रित हो जाते हैं।
आत्मविश्वास कमजोर
ओवर-प्रोटेक्टिव पैरेंट्स के बच्चो उनपर आश्रित रहने के इतने आदी हो जाते हैं कि वे खुद कोई फै सला नहीं ले पाते और उनका आत्मविश्वास कमजोर होता चला जाता है। आत्मविश्वास की कमी के कारण ऎसे बच्चो जिन्दगी में कुछ अलग करने का रिस्क नहीं ले पाते और अन्य बच्चोа के मुकाबले पीछे रह जाते हैं।
डिफसिंव
ओवर-प्रोटेक्टिव पैरेंट्स की अपने बच्चो को लेकर ये खुशफहमी कि उनका उन पर पूरा कंट्रोल है, कई बार गलत साबित होती है, बार-बार की टोका-टाकी से तंग आकर कई बार बच्चे पैरेंट़स को पलटकर जबाब देना शुरू कर देते हैं। बडे होने के बाद बच्चो को अपने लिए स्पेस चाहिए होता है और जब उन्हें ये स्पेस नहीं मिलता, तो वे पैरेंट्स से अपनी बातें छुपाना शुरू कर देते हैं। कैसे बचें बच्चो की देखभाल करना, उनकी चिंता करना, उनकी हर चीज का ख्याल रखना सही है, लेकिन पैरेंट्स का ओवर-प्रोटेक्टिवहोना बच्चो के लिए हारिकारक साबित हो सकता है
बच्चोа की बातों पर दें ध्यान
आप बडें हैं इसलिए जो कुछ भी आप कहते हैं, वो ठीक हो और बच्चो की बातें गलत, ऎसा नहीं है। कभी-कभी बडों को भी बच्चो सही राह दिखाते हैं। उनकी बातों को नजरअंदाज करके आप उनमें विद्रोह की भावना पैदा कर सकते है। अत: समझदार पैरेंट्स की तरह बच्चो की मानसिकता को समझें और उसके मुताबिक व्यवहार करें।
विश्वास दिलाएं
बच्चो को यह विश्वास दिलाएं कि आप उस पर अविश्वास नहीं करतीं, बल्कि उनकी चिंता करती हैं। आपके ऎसा करने से बच्चा भी आपके प्यार को समझ पाएगा। अपने बच्चो से कहें कि आप उससे बहुत प्यार करती हैं और आपको हर पल उसकी चिंता रहती है, इसलिए आप बार-बार उसकी निगरनी करती हैं या उसका ध्यान रखती हैं।

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