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ऑफिस में कभी आपा न खोएं

By: Team Aapkisaheli | Posted: 15 May, 2012

ऑफिस में कभी आपा न खोएं
ऑफिस में आपा खोना आपकी छवि और करिअर दोनो के लिहाज से ठीक नहीं। यदि आप बॉस हैं, तब भी नहीं। इसलिए वक्त रहते अपने गुस्से को काबू करने के गुर सीख लेने में ही समझदारी है। यह होगा कैसे हम बताते हैं
मन को शांत करने वाली सैर
किसी खास प्रेजेंटेशन या मीटिंग के दौरान यदि कोई आपके सुझाव की आलोचना करे या आपकी टीम के काम करने के तरीके में मीनमेख निकाले, तो तुरंत ही पलटवार की गलती न करें। कुछ भी कहने से पहले एक बार सोचें। यदि आपके पास सटीक उत्तर है, तो शालीनता से जवाब दें। यदि बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है और भावनाओं पर नियंत्रण करना संभव नही है, तो थोडी देर के लिए उस स्थान से दूर जाना ही ठीक होगा। जरूरी फोन आने का बहाना बनाकर, दो मिनट के लिए मीटिंग हॉल से बाहर चले जाएं। थोडा टहलें और दिमाग को शांत करें। इसके बाद आगे की रणनीति बनाकर पुन: मीटिंग हॉल में दाखिल हों।
10 तक गिनती गिनें
फोन पर, बॉस के सामने या सहकर्मियों से बातचीत के दौरान अक्सर ही ऎसी स्थितियां खडी हो जाती हैं जब हमें सामने वाले की कोई बात बुरी लग सकती है। यदि आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है, तो गौर करें कि आप कहीं ओवर रिएक्ट तो नहीं कर रहे। इस दौरान अपना ध्यान कहीं और लगाकर दस तक गिनती गिनें। इसके बाद कोई भी जवाब दें।
साथी से परेशानी साझा करें
ऑफिसों में खींच-तान का माहौल बना ही रहता है। हो सकता है कि आपके आसपास भी कोई ऎसा हो जो आपके हर कार्य पर पैनी नजर रखता है। उसे बेसब्री से इंतजार होता है कि कब आप कोई न कोई भूल या लापरवाही करें और वह बॉस के सामने आपकी शिकायत कर सके। ऎसे में विश्वास पात्र सहयोगी से अपनी परेशानी साझा करें, आपको राहत भी मिलेगी और सही सलाह भी।
कमजोर पहलुओं पर भी तैयारी करें
कोशिश करें कि ऎसी स्थितियां खडी ही न हों जिनमें आपको गुस्सा आता हो या आप परेशान हो जाते हों। उदाहरण के लिए, यदि प्रेजेंटेशन के दौरान आपकी बातों में खलल डालने वाले सवाल आपको परेशान करते हैं, तो पहले ही अपनी रिर्पोट कुछ इस तरह तैयार करें कि विरोधियों को सवाल करने का मौका न मिले। चरण दर चरण आपकी रिपोर्ट स्पष्ट होगी, तो विरोधियों के सवाल अपने आप ही कम हो जाएंगे। देखें कि आपके सुझाव में कोई कमी न ढूंढ पाए और यदि कोई कमजोर पहलू है, तो उसके बारे में पहले ही सोच लें।
सहयोगियों का स्वभाव समझें
अपने सहयोगियों के व्यवहार को समझना भी जरूरी है। हो सकता है कि ऑफिस में किसी की बात आपको कडवी लगती हो, लेकिन खरा या स्पष्ट बोलना उनका आचरण हो। ऎसे ही बातूनी होना, ज्यादा सवाल पूछना, बहुत जल्द ही घबरा जाना आदि बातें भी कुछ लोगों के स्वभाव में शामिल होती हैं। यदि आप सहयोगियों के स्वभाव से अच्छी तरह वाकिफ होंगे, तो उनकी ये आदतें आपको बुरी नहीं लगेंगी।
अपनी बात को व्यक्त करना सीखें
कार्यस्थल पर गुस्से को नियंत्रित करना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अपनी भावनाओं को जाहिर ही नहीं करना है। ध्यान रखें, जताना जरूरी है, लेकिन तरीका सही होना चाहिए। काम का तनाव, किसी सहयोगी से कोई समस्या के बारे में शांति से बात करें। यदि आपके अधीनस्थ के काम में कोई कमी है, तो शांत मन से उसे उसकी गलतियों और सुधार के तरीकों के बारे में बताएं।

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