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प्रेम का बन्धन कम, नियामों का बन्धन ज्यादा

By: Team Aapkisaheli | Posted: 01 Mar, 2013

प्रेम का बन्धन कम, नियामों का बन्धन ज्यादा
हमारे समाज में ज्यादातर हर घर में पुरूष विभिन्न कत्तव्यों का निर्वाह करता है। जैसे पिता के रूप में, भाई के रूप में, बस या ट्रेन में सहयात्री के तौर पर या फिर देर रात ऑफिस से घर जाते हुए गाडी में महिला सहकर्मी के साथ पुरूष सहकर्मी के तौर पर और एक पति के रूप में। इन सभी रिश्तों में पुरूषों के ऊपर जिम्मेदारी होती है, वे घर से बाहर के सभी काम करें और घरों की महिलाओं की सुरक्षा करें, साथ ही उनके मान-सम्मान को बनायें रखें। इन सभी जिम्मेदारियों निभाते-निभाते पुरूष घर की महिलाओं की प्रोटेक्शन करते-करते ओवरप्रोटेक्टिव हो जाते हैं। इसके अलावा कई बार महिलायें अपने पति के सुरक्षात्मक रवैये को ओवरप्रोटेक्शन मानने लगती हैं। क्योंकि कई लडकियों को उकने मातापिता बाहर जाने, आजादी से घूमने-फिरने या फिर वेस्टर्न कपडे के लिये मना करते हैं और तर्क देते हैं कि शादी के बाद अपनेपति के पास रहकर जो मन करे वो करना। माता-पिता द्वारा बार-बारे यह बात बोलने से लडकी के दिमाग में यह बात बैठ जाती है कि वो पति के घर जाकर जैसे चाहे वैसे रह सकती है, घूम सकती है और मन चाहे कपडे पहन सकती है। इसलिये शादी के बाद कुछ लडकियां स्वतंत्रता खोजने लगती हैं, किसी भी प्रकार का अंकुश उन्होंने बर्दाश्त नहीं होता है और वे पति के समझाने को ओवरप्रोटेक्शन समझकर दुखी रहने लगती है। किसी के भी दांपत्य जीवन में ऎसी परेशानी नहीं हो, इसके लिये पति-पत्नी कोकुछ बातों को ध्यान रखकर दांपत्य जीवन में जहर घुलने से बचा सकते हैं।

यदि पत्नी को लगता है कि उसका पति ओवरप्रोटेक्टिव है तो उसे चाहिये कि वे अपने पति से इस विषय में खुलकर बात करे। पति को प्यार से बताये कि यदि बाहर का कोई काम खुद से नहीं करेगी या फिर हर जगह तुम्हारे साथ ही जायेगी, तो ऎसा करने से धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास कमजोर हो जायेगा और कभी जरूरत पडने पर बाहर जाने से डरने लगेगी।

पति बाहर के हर काम करने में पत्नी की सहायता करने के लिये जबर्दस्ती नहीं करनी चाहिए। उनके सामने काम करने में मदद करने की पेशकश करें ताकि खुद उस काम को करने के लिये उतारू हो जायें। अपनी पत्नी को कुछ स्पेस दें ताकि वह आत्मनिर्भर होकर कोई काम कर सकें। उसके व्यक्तित्व कोसमझकर समझदारी से काम लें तो शादीशुदा लाइफ में ऎसी कोई समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी।
 
पतिपत्नी को चाहिए कि दोनों एकदूसरे की सोच को समझें। क्योंकि पतिपत्नी दोनों ही अलग-अलग परिवेश और संस्कृति से आये हुए होते हैं, इसलिये जरूरी है कि पतिपत्नी एकदूसरे के व्यवहार को समझने का प्रयास करें, किस को क्या पसंद है और क्या नापसंद, इस बात का ध्यान रखें।

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