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पहचाने एनीमिया को

By: Team Aapkisaheli | Posted: 16 Oct, 2012

पहचाने एनीमिया को
एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी अर्थात बॉडी में रक्त में लाल कणों की कमी या बनावट में दोष एवं हीमोग्लोबिन की कमी। çस्त्रयों में गर्भावस्था एवं अधिक मासिक स्त्राव के कारण अक्सर एनीमिया होता है। खाना में लौह तत्व की कमी केकारण आमतौर पर एनीमिया होता है। यह कभी-कभी अलग से, विटामिन-12 एवं फालिक एसिड की कमी के कारण भी एनीमिया होता है। कु छ बीमारियों के कारण भी एनीमिया होता है। जैसे खूनी दस्त, खूनी बवासीर, पेट के कीडे पेट के घाव की वजह से रक्त की हानि से या मलेरिया के बाद।
लौह तत्व
लौह तत्व बेहद जरूरी होता है। एक-हीम बनाने वास्ते, दो-शरीर के ताप के नियामन वास्ते मांसपेशियों की क्रियाशीलता वास्ते। लौह तत्व का मुख्य काम शरीर के प्रत्येक अंग तक आक्सीजन ले जाना है और श्वास-प्रश्वास को चलाये रखना है। लौह तत्तव की कमी के कारण थोडा सा भी काम करने पर दम फूल जाता है और दिमाग में सुन्नता का एहसास होता है। लौह तत्तव की कमी से बच्चो ना सिर्फ पढाई-लिखाई खासकर विज्ञान व गणित विषयों में से जी चुराते हैं वरन वह खेल कूद में भी फिस्सडी रहते हैं यानी ऎसे बच्चो सुस्त और भोंदू रहते हैं। एनीमिया की पहचान
नाखून दबा कर छोडने पर खून की वापसी धीमी होना। नाखून को दबाने पर उसमें ग पड जाना। आंखों में सफेदी आना स्किन का रंग पाण्डु सफेद-पीला, आफ व्हाइट हो जाता है। फेस एवं पांव पर सूजन होती है। ब्लड प्रेशर कम रहता है।
विशेष
दूध, अण्डा, कैफीन चाय काफी, रेशेदार खाना, आक्सेलिक एसिड बैंगन, पालक भी लौह तत्व के जज्ब होने में रोडा बनते हैं।
2 बच्चो के जन्म के बीच अन्तराल कम 3-5 वर्ष कम होने के कारण भी मां-बच्चो दोनों में एनीमिया हो सकता है।
फोलेट
फालिक एसिड फोलेट की कमी आमतौर पर स्त्रयों में होती है। खासकर गर्भावस्था में एवं बच्चो को दूध पिलाने के दौरान। सेप्ट्रान जैसी दवाओं के अधिक या गैर जरूरी प्रयोग से भी इसकी कमी होती है। इसकी उपलब्धि मासाहार मांस, अण्डा एवं शाकाहार फल एवं सब्जियां दोनो से होती है।
विशेष
गर्भवती स्त्रयों में फोलेट की कमी से कम वजन 2500ग्राम से कम वाले बच्चो की पैदाइश का खतरा बढ जाता है। पुरूषों में इसकी कमी से सन्तोत्पति क्षमता पर भी बुरा असर पड सकता है। क्या करें अपने एनीमिया से पीडिता होने या ना होने के बारे में जानकारी प्राप्त करें क्योंकि जानकारी आपका अधिकार है और जानकारी में ही बचाव है। योग्य चिकित्सक से सलाह लें। अपने खाने में लौह के बर्तन में ही पकायें और पकाते समय एवं बाद में खाते समय नींबू का रस जरूर लें। खाने से पहले एवं बाद में चाय-काफी के सेवन से बचें।

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